रोहन और गीतांजलि दोनो काम काजी पत्नी थे। रोहन का बनारस में भरपूर। परिवार था।पिताजी बनारस यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक थे।मां घर संभालतीं दोनों बहने उनकी शादी हो गई थी। छोटा भाई सुनील भी कॉलेज में प्राध्यापक था रोहन को पत्रकारिता का शौक था इसलिए वो दिल्ली आ गया और गीतांजलि भी अच्छी पोस्ट पर लाइब्रेरी में काम करती थीं। सब कुछ अच्छा चल रहा था । गीतांजलि शादी के बाद एक दो बार ही बनारस गई पर उसे वहां के रीति रिवाज सब बंधन लगता था।इसलिए वो वहां जाना ही नहीं चाहती थीं।
अब जब भी जाना होता तो रोहन अकेले ही जाता। समय बीता रोहन और गीतांजलि भी दो बच्चो के मां बाप बन गए बेटा आकाश एयर इंडिया में पायलट था और बेटी रीमा ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था और वो एक बड़े फैशन हाउस में जॉब कर रही थी। गीतांजलि पहले आकाश की शादी करना चाहती थीं
पर आकाश बोला मम्मी पहले रीमा की शादी करते हैं। रीमा के लिए लड़का देखा जाने लगा। और अनंत जो एक बिजनेस मेन था। उससे रीमा की शादी हो गई। अब आकाश की बारी थी रीमा आकाश की शादी अपनी नंनद की देवरानी की बहन से करवाना चाहती थीं। गीतांजलि चाहती थीं कि आकाश की शादी उसकी दोस्त की बेटी छवि से हो जाए दोनो ने ही अपनी अपनी पसंद आकाश को बताई पर आकाश ने कहा कि मैं अपनी कुलीग आरती से शादी करना चाहता हूं।
गीतांजलि बोली तुम मेरे बेटे होगे ऐसी जगह मै अपने बेटे की शादी ऐसी लड़की से नहीं करूंगी।आकाश बोला मम्मी वो मेरी पसंद है मै उसी से शादी करूंगा बहुत नानुकर मान मनुहार करने के बाद गीतांजलि आरती के परिवार से मिलने के लिए तैयार हुई। आरती के मम्मी पापा दोनो दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। रोहन को परिवार बहुत पसंद आया।आरती भी एक सुलझी हुई लड़की थी।बड़े ही बेदिली से गीतांजलि और रीमा शादी के लिए तैयार हुई।नियत समय पर आकाश और आरती की शादी हो गई।
शादी होते ही आकाश और आरती घूमने चले गए। वहां से वापस आते ही आकाश ने काम पर जाना शुरू कर दिया पर आरती ने कहा मै कुछ दिन बाद ज्वाइन करूंगी पहले घर और घरवालों को समझ लूं। दूसरे दिन आकाश अपनी फ्लाइट पर 4 दिन के लिए बाहर गया।रोहन ऑफिस गीतांजलि घर पर थी और थोड़ी देर में रीमा भी आ गई। दोनो बैठ कर बाते कर रही थी वहीं पर आरती भी आ गई गीतांजलि बोली तुम यहां क्या कर रही हो।आरती बोली मम्मी जी मै भी आप दोनों से बाते करना चाहती हूं आप लोगों की पसन्द नापसन्द जानू।गीतांजलि बोली ये तुम्हारा घर नहीं मेरा है और तुम्हे हमारी पसंद का
इस कहानी को भी पढ़ें:
ध्यान रखने की जरूरत नहीं। रीमा बोली ये मिडिल क्लास लोगो का घर नहीं है। यहां हर काम के लिए नौकर है।पर दीदी खाना तो सबकी पसंद से ही बनता होगा रीमा बोली दीदी कौन दीदी मै तुमसे छोटी हू।आरती बोली वो हमारे यहां नंनद बड़ी हो या छोटी उसे दीदी ही कहते है। गीतांजलि बोली हमारे यहां ये ग्वार लोगो जैसी बाते नहीं होती।तुम अपना काम करो।आरती फिर बोली मम्मी जी मै दिन के खाने में कुछ बनाऊं।रीमा बोली हम बाहर जा रहे है तुम्हे जो करना है करो।
वो दोनों चली गई उस दिन आरती ने अरहर की दाल और आलू मटर की सब्जी बनाई।रोहन भी दोपहर को घर लौट आया। आज उसने भर पेट खाना खाया बोला बेटा ऐसा खाना मेरी मां बनाती थी।इतने दिन के बाद अच्छा खाना खाया। गीतांजलि के राज में तो घास फूस खानी पड़ती हैं हेल्थ कॉन्शस।तभी गीतांजलि और रीमा घर आई बोली आज तुम इतनी जल्दी कैसे? बस आज कुछ खास काम नहीं था इसलिए जल्दी आ गया।क्या खाया गीतांजलि बोली अरे आज बहुत दिनों बाद अरहर की तड़का डाल और सुखी आलू मटर खाई मां की याद आ गई।
ओह माय गॉड कितनी कैलोरीज़ इंटेक की, चावल भी खाए होगे। ए लड़की तुम हमारे घर का माहौल मत बिगाड़ओ । तुम अपना ये ग्वार खाना अपने तक रखो रीमा बोली।आरती को बहुत बुरा लगा रोज का यही काम था वो आते जाते आरती को ताने देती।अब आरती भी ऑफिस जाने लगी थी वो सुबह अपना और आकाश का खाना बनाती रोहन को भी नाश्ता करवाती।जिन खानों के लिए वो तरस गया था अब वह आरती उसे बना कर खिलाती।
एक दिन आरती की तबियत कुछ ठीक नहीं थी तो उसने छुट्टी कर ली।अजय को भी कुछ जरूरी काम था इसलिए वो एयरपोर्ट गया था। पीछे आरती की तबियत बहुत खराब हो गई इसलिए रोहन उसे हॉस्पिटल ले कर गया। जब वो घर आए तो गीतांजलि और रीमा हॉल में ही बैठी थीं। रोहन आरती को पकड़ कर अंदर लाया। गीतांजलि बोली यह क्या तरीका है क्या अपने पति से मन भर गया जो ससुर पर डोरे डाल रही हो। बेशर्म मेरे बेटे को जाल में फंसाया और अब मेरे पति को वो आरती को मारने के लिए आगे बढ़ी।
रोहन बोला तुम पागल हो क्या बोल रही हो।अरे इस जैसी आवारा लड़कियों का यही काम है आमिर लड़कों को फसाना।तभी आकाश अन्दर आया और बोला वाह मम्मी अगर आरती की जगह रीमा होती तो भी आप यही शब्द बोलती।आरती पापाजी,मम्मी जी करते थकती नहीं और आप दोनों की सोच कितनी गंदी है।रोहन बोला गीतांजलि तुम्हारे इसी व्यवहार के कारण मैं अपने घर परिवार से दूर हुआ अब बस आकाश तुम बहु को लो और उसे अपने मायके छोड़ दो अपने और आरती के लिए घर ढूंढो और उसकी इज्जत की रक्षा करो।
इस कहानी को भी पढ़ें:
ये कैसी शिक्षा? – डॉ संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi
आरती मै तुमसे माफी मांगता हू बेटा।आरती बोली नहीं पापा प्लीज आप सॉरी मत बोले आप हमेशा मेरे आदर्श रहेंगे। मम्मी जी मैने आप दोनों को अपने माता पिता की जगह समझा पर शायद आपकी गंदी सोच ये ना समझ पाए।आकाश आरती को ले कर चला गया। रोहन भी घर छोड़ कर बनारस चला गया।रीमा भी अब कम आती थी गीतांजलि अब अकेली थी उसके पास कोई ना था। उधर आकाश और आरती को बेटा हुआ उसका नामकरण बनारस में हुआ
सब को न्योता गया गीताजंली को भी अपने पोते का नाम सुन वो भी बनारस पहुंची।सब होने पर गीताजंली बोली रोहन हम अपने पोते और बेटे बहु को घर ले चलते हैं।आरती बोली माफ कीजिएगा मै उस घर में कभी नहीं जाऊंगी जहां मेरे चरित्र पर लांछन लगाया गया। आकाश तुम्हारl क्या फैसला है? आकाश बोला मां आप ने मुझे जनम दिया पर आप ने अपने पति और मेरी पत्नी का अपमान कर वो सम्मान खो दिया है। मै दुबारा अपनी पत्नी का अपमान सहन नहीं करूंगा। इसलिए आप जाए हम नहीं आएंगे। रोहन बोला तुम ने तो अपने पति की इज्जत ही बहु के सामने उतार दी तुम यहां से जाओ।अपने महल में अकेले रहो।
आज गीतांजलि टूट गई थी उसका घमंड टूट गया था आज बेटा ,पति पोता सब छूट गए वो अपने महल में अकेली थीं अब उसे समझ आया परिवार और घर की क्या अहमियत होती है।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी