पराई माँ – मुकेश कुमार

विनोद जी का एक ही बेटा था जिसका नाम विकास था। बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही होनहार था।  वह हमेशा घर में कुछ न कुछ नए नए प्रयोग करता रहता था। अपने बेटे के प्रयोग को देखकर विनोद जी ने भी मन बना लिया था कि बड़ा होगा तो बेटे को इंजीनियर बनाऊंगा। 

विनोद जी दिल्ली के साप्ताहिक बाजार में कपड़े की दुकान लगाते थे उसी से परिवार का खर्चा चलता था। वह अपने बेटे के लिए अभी से पैसे जोड़ने में लग गए थे।  धीरे-धीरे समय बीता बेटा टेंथ में चला गया और टेंथ बोर्ड के एग्जाम में 98% मार्क्स ले आया।  

विनोद जी को पता चला कि राजस्थान के कोटा में इंजीनियरिंग की अच्छी तैयारी कराई जाती है उन्होंने अपने बेटे को कोटा भेज दिया इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए।  विनोद जी का बेटा विकास अपने घर की स्थिति जानता था इसीलिए वह पापा से मना कर रहा था कोटा जाने के लिए वह कह रहा था पापा मैं दिल्ली रह कर भी तैयारी कर सकता हूं।  लेकिन विनोद जी नहीं माने उन्होंने बेटे को कोटा भेज दिया। 



 विकास ने मन लगाकर तैयारी किया और उसने इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम पास कर लिया उसका एडमिशन एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया। 

विकास इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में ही रह कर पढ़ाई कर रहा था।  एक दिन अचानक से रात में उसकी तबीयत बिगड़ गई तेज बुखार से शरीर तप  रहा था।  विकास के रूममेट अंकित ने वहां के वार्डन को जाकर खबर दिया कि अंकित की तबीयत अचानक से खराब हो गई है। कुछ ही देर में वहां की वार्डन सरला आई। 

और विकास को बुखार की गोली दी। पूरी रात सरला विकास के कमरे में ही बैठी रही। जब बुखार पूरी तरह से उतर गया तब ही  वहां से गई। 

सरला एक तलाकशुदा महिला थी एक बेटा था जो उसके जीने का सहारा था उसने सोचा इसी बेटे के सहारे अपना जीवन काट लेगी।  लेकिन बेटा बड़ा होकर गलत लड़कों के संग में पड़ गया और ड्रग्स का शिकार हो गया। कितनी बार सरला ने ड्रग्स नहीं लेने के लिए मना किया लेकिन बेटा नहीं माना और आखिर में भगवान को प्यारा हो गया। 

 उसके बाद से सरला को हर लड़के में अपना बेटा ही नजर आता था।  लेकिन विकास को देखकर उसे अलग ही लगाव हो गया।  उसे लगा कि यह उसका बेटा दिनेश है।  इसीलिए वह बैठकर पूरी रात विकास की सेवा की। 

 उस दिन के बाद से विकास और वार्डन सरला के बीच नजदीकियां बढ़ गई दोनों जब भी मिलते एक दूसरे  को देख कर मुस्कुरा देते थे।  सरला भी कई बार विकास से पूछ लेती थी बेटा कोई भी दिक्कत परेशानी हो तो मुझसे बेझिझक अपनी मां समझकर  कहना। 



एक  दिन विकास अपने रूम में बैठा हुआ था तो उसका रूममेट अंकित ने कहा, ” मेरे दोस्त मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं मेरी बात का  बुरा मत मानना जो मैंने सुना है मैं तुमसे कह रहा हूं।  तुम्हें सरला मैडम से ज्यादा दोस्ती नहीं करनी चाहिए।  इस कॉलेज में सरला मैडम के बारे में कहां जाता है। वह एक बदचलन औरत हैं। 

पति को तलाक देकर दिल्ली चली आई और उनका एक दूसरे मर्द से संबंध हो गया जब उनके बेटे को पता चला तो उन्होंने बेटे को भी जहर देकर मार दिया। इसीलिए मैं तो कहता हूं कि तुम सरला मैडम के चिकनी चुपड़ी बातों में मत आ जाओ तुम बहुत भोले  हो।  सीनियर का कहना है वह हमेशा एक नए मुर्गा फसाने की ताक में रहती हैं। तुमने नोटिस किया होगा क्यों हमेशा बन ठन कर रहती हैं ऐसा लगता है कि पिछले साल ही उनकी शादी हुई हो नहीं तो जिसका जवान बेटा मर गया है पति ने छोड़ दिया हो वह इस तरह से कभी रह सकता है कभी नहीं। 

 लेकिन पता नहीं क्यों विकास को अपने दोस्त अंकित की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसने अपने दोस्त अंकित से तो कह दिया हाँ ठीक है मैं उनसे दूरी बना कर रखूँगा। लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाया रहा था। 

 1 दिन विकास क्लास करके जैसे ही हॉस्टल में आया तभी सरला विकास के कमरे में आई और बोली तुम्हारे घर से फोन आया है तुम्हारे पिताजी की तबीयत बहुत खराब है।  विकास ने जब फोन उठाया तो उधर से विकास की मां बोली बेटा जल्दी से घर आ जाओ तुम्हारे पापा को हार्ट अटैक आया है हमने उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया है और शाम को ही ऑपरेशन होने वाला है। 

विकास तुरंत वहां से अपने घर दिल्ली के लिए निकल गया। 



विकास के पापा का हार्ट काऑपरेशन सफल रहा। कुछ दिनों के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर आ गए।  इसी महीने विकास को कॉलेज की सेकंड सेमेस्टर की फीस भरनी थी।  लेकिन विकास काफी तनाव में था।  उसे पता था कि घर में अब एक रुपए भी नहीं है जितने भी पैसे थे पापा के हार्ट के ऑपरेशन में लग गए यहां तक कि रिश्तेदारों से भी उधार लेना पड़ा।  अब अगर वह  कॉलेज फीस लिए पैसे मांगे तो किससे मांगे। 

वह चुपचाप घर से कॉलेज के लिए चला गया। 

कॉलेज पहुंचते ही कॉलेज प्रशासन ने अगले दिन ही विकास को बुलाया और बताया गया कि तुम्हारी फीस भरने की कल आखिरी तारीख है तुमने अगर फीस जमा नहीं किया तो तुम्हारा नाम कॉलेज से काट दिया जाएगा।  विकास ने अपनी मजबूरी कॉलेज प्रशासन के सामने रखी और उसने  कुछ महीनों की मोहलत मांगी।  लेकिन कॉलेज प्रशासन ने साफ इंकार कर दिया। 

 विकास के सामने अब कोई भी रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था वह दोबारा यह बात कह कर अपने पापा को परेशान नहीं करना चाहता था।  विकास को पता था कि अगले साल उसकी बहन की शादी भी होने वाली थी पापा की तबीयत खराब होने की वजह से पिछले 1 महीने से दुकान भी नहीं खुली है।  घर का खर्चा ही मुश्किल से चल रहा है मैं अगर फीस की बात करूंगा तो सब और परेशान हो जाएंगे।  उसने आखिर में फैसला किया कि वह अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ देगा और दिल्ली जाकर अपने पापा की दुकान को ज्वाइन करेगा। 

अगले दिन विकास ने  बिना किसी को बताए अपना बैग लेकर सीधे रेलवे स्टेशन के लिए निकल पड़ा। 

यह बात सरला को जैसे ही पता चला कि विकास फीस नहीं भरने के कारण कॉलेज बीच में ही छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए अपने घर वापस लौट रहा है।वो जल्दी से ऑटो पकड़ कर रेलवे स्टेशन विकास को ढूंढने पहुंची। 

 सरला जैसे ही रेलवे स्टेशन पहुंची उसने देखा कि एक बेंच पर विकास चुपचाप उदास बैठा हुआ है। 

तभी सरला ने विकास के पीठ पर हाथ रख कर बोली, “विकास तुम यहां आकर उदास क्यों बैठे हो।” विकास ने कुछ नहीं कहा चुपचाप बैठा रहा वह मन में सोचने लगा क्या सरला मैडम उसकी परेशानी को समझ पाएंगी।  वह सरला मैडम से नजरे नहीं मिला पा रहा था।  उसने नजरें झुका ली और आंखों से आंसू की अश्रु धारा बहने लगी।  सरला, विकास के बगल में बैठ गई और उसे स्नेह से अपने गोद में सुला लिया। सरला ने विकास के आंखों से आंसू पोछते हुए कहा तू कैसा बेटा है रे जो तू अपनी मां को  बिन बताए भागा चला आया।  एक बेटा अपनी परेशानी को अपनी मां से नहीं बताएगा तो किससे बताएगा।  मैं पराई सही लेकिन मैं माँ हूं तेरी। 



विकास ने रोते-रोते अपनी सारी परेशानी सरला से बता दी।  सरला ने कहा, “जब तुम ऑफिस से निकल कर आ रहे थे तभी मुझे लग गया था कि कुछ तो गड़बड़ जरूर है।  लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम कॉलेज छोड़कर जाने वाले हो।मैंने हमेशा कहा है कि कोई भी प्रॉब्लम हो एक बार मुझसे जरूर शेयर करना  मैं तुम्हारी मां जैसी हूं।  एक मां अपने बेटे को  परेशान कैसे देख सकती है।  विकास सच कहूं तो तुमको देखने के बाद मुझे मेरा बेटा दिनेश याद आता है ऐसा लगता है कि तुम मेरे बेटे दिनेश ही हो।  रही पढ़ाई की बात तो मेरे रहते तुम्हारा कॉलेज नहीं छूटेगा।  चलो मेरे साथ।

  सरला ने विकास को अपने साथ लेकर अपने कमरे पर आ गई ।  जो भी पैसे उसने जमा किए थे।  सब लाकर विकास को दे दिया और बोली कि यह गिन लो तुम्हारे फीस भर है कि नहीं। अगर कम पड़ेंगे तो मैं अपने सोने का मंगलसूत्र बेच दूंगी यह अब मेरे किसी काम के नहीं। 

 विकास ने पैसे गिने तो उसके फीस से कुछ ज्यादा ही थे।  उसने सरला को शुक्रिया कह गले लग गया। गले लगते हुए बस विकास ने इतना ही कहा, “तू मेरी यशोदा मैया है मां।  कॉलेज के लोगों ने तेरे बारे में बहुत कुछ गलत कहा लेकिन मेरा मन मानने को तैयार नहीं हुआ।”  “बेटा क्या कहोगे हमारा समाज ही ऐसा है अगर औरत आत्मनिर्भर होकर रहना चाहे तो हमारा समाज उसे रहने नहीं देता है अगर दूसरों की परवाह ना कर अपनी परवाह करो तो लोग उस औरत को बदचलन कहना शुरू कर देते हैं. क्या औरतों को अकेले जीने का हक नहीं है  अगर पुरुष के नाम का सहारा ना लें तो क्या वह बदचलन हो जाती है।  लेकिन मैंने किसी की परवाह नहीं की मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीती हूं। 

समय अपने पंख लगाकर उड़ता रहा विकास ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक ऑटोमोबाइल कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी कर ली।  लेकिन  वह अपनी यशोदा मैया को नहीं भूला।  अपने माता-पिता की  इजाजत से यशोदा मैया को भी अपने साथ रख लिया। 

दोस्तों  कई रिश्ते ऐसे होते हैं जो खून के रिश्ते से नहीं बने होते हैं लेकिन इस तरह से जुड़ जाते हैं कि उसको  तोड़ना आसान नहीं होता ऐसा ही रिश्ता सरला और विकास का था जैसे यशोदा और कृष्ण का रिश्ता।

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