पर-कटे अरमान – पूनम अरोड़ा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : खूबसूरत तो जिया बचपन से थी ही, लेकिन सबके बार यह कहने कि “यह तो किसी माॅडल- हीरोइन से कम नहीं ,भगवान ने फुर्सत में  बनाया है इसे ,वाह !!क्या अप्सरा सा सौन्दर्य है !!”ये सब सुनसुन कर उसे भी अपनी  खूबसूरती पर गुरूर होने लगा था । कुछ बालिवुड का ग्लैमर भी सिर चढ़ कर बोल रहा था ।

अब वो पढ़ने लिखने से ज्यादा अपने  स्लिम फिगर ,बातचीत करने के तरीके ,चलने फिरने की अदा , और पार्लर के  प्रसाधन सौन्दर्य की तरफ अधिक आकर्षित होती चली गई ।सिर्फ यही नहीं मन ही मन उसने मुम्बई में माॅडल ऐक्ट्रेस बनने का फैसला भी ले लिया ।इस बात में  उसे तनिक भी शक नहीं था कि उसे वहाँ हाथों हाथ लिया जाएगा ।वो है ही इतनी खूबसूरत। उसने माता पिता को अभी अपने अरमानों के बारे में  नहीं बताया था लेकिन डांस  क्लास जरूर ज्वाइन कर ली थी  और अलग अलग स्टाइल के डांस सीख भी गई  और एक्टिंग तो वैसे ही बढ़िया कर लेती थी

वो अक्सर एक्टर ऐक्ट्रेस की मिमिक्री किया करती और वास्तव में  जान थी उसकी एक्टिंग में ।

लेकिन अपनी इन ख्वाहिशों की कल्पनात्मक उड़ान में वो इतना खो गई कि अपने वर्तमान लक्ष्य से ही भटक गई ।दसवीं की परीक्षा में जिसने 88परसेन्ट प्राप्त किए थे ,दो साल में ही बारहवीं की परीक्षा में 55परसेन्ट पर आ गई ।घरवालों के लिए बहुत अप्रत्याशित था , हतप्रभ रह गए वे ,क्या कमी की थी उन्होंने  अच्छी से अच्छी कोचिंग कराई ,नया लैपटाप ले के दिया , उसके छोटे भाई को अपने  कमरे में एडजस्ट करके उसे अकेले पूरा कमरा  दे दिया कि पढ़ाई में  कोई व्यवधान न हो लेकिन उन्हें कहाँ पता था कि कमरा बंद करके आइने के आगे वो डांस की और एक्टिंग की प्रैक्टिस करती रहती थी ।

इतने निराशाजनक परिणाम के  जब उससे इसका कारण पूछा गया तो उसने स्पष्ट कह दिया कि पढ़ने में उसका मन नहीं लगता उसे माडलिंग और एक्टिंग के क्षेत्र में  जाना है और वह अब यहाँ नहीं रहना चाहती अपना कैरियर मुम्बई में बनाएगी “आखिर यह उसकी जिन्दगी है और अपनी जिन्दगी अपनी मर्जी  से जीने का उसे पूरा अधिकार है ।”यह दूसरा  जबरदस्त झटका था माता पिता के लिए !!

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अगर पढ़ाई लिखाई कर  कुछ उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद ,कुछ परिपक्व होने पर उसने यह कहा होता तो भी माता पिता  शायद उस संदर्भ में कुछ विचार करते लेकिन कच्ची उम्र में, बिना किसी उपलब्धि के वो कैसे ऐसी इजाजत दे सकते थे इसलिए परिणाम स्वरुप उस पर अनुशासन कठोर कर दिया और प्रतिबंध लगा दिए गए,नजर रखी जाने लगी ।

उसे किसी काॅलेज में रेगुलर कोर्स के लिए एडमिशन नहीं मिल पाया । वे उसके एडमिशन के लिए कहीं न कहीं  कोशिश कर रहे थे तभी एक दिन सुबह देखा कि वो घर से गायब है ।चिट्ठी छोड़ गई थी कि “मैं मुम्बई जा रही हूँ,कुछ रूपये अल्मारी से लिए हैं,मुझे ढूंढने की कोशिश बेकार है ,मैं अब  बालिग हूँ अपना भला बुरा और भविष्य का निर्णय खुद ले सकती हूँ । जब कुछ बन जाऊँगी तो आपको  अपना पता दूँगी और देख लेना तब आपको  मेरे फैसलें और अपनी बेटी दोनों पर गर्व होगा।”

चिट्ठी पढ़कर उन दोंनो के पैरों तले जमीन खिसक गई

ये क्या किया जिया तूने  !! फूट फूट के रो पड़े । बेटी के संभावित   अंधकारमय भविष्य का खौफ उनकी चेतना को  शून्य कर रहा था ।एक तो वैसे ही अनजान  शहर ,अनजान लोग ,अपरिपक्व बुद्धि और सबसे ज्यादा  लड़की  की अस्मिता की सुरक्षा की चिंता  ने उन्हें असहाय सा बना दिया।बदनामी के डर से पुलिस के पास भी नहीं गए ।अपने स्तर पर मुम्बई पर यहाँ वहाँ कुछ दिन बदहवास से घूमते रहे लेकिन मुम्बई के अथाह सागर में बिना किसी सूत्र  के खोजना  नामुमकिन था।आखिर अपने  भाग्य को कोसते वापिस आ गए ।

जिया को उसके डांस टीचर ने किसी एक  शख्स  के बारे में ऐसे ही बातों बातों में  जानकारी दी थी जिसका  कुछ फिल्मी लाइन वालों से मिलना जुलना था बस उसी के आधार पर वो बिना कुछ सोचे समझे वहाँ आ गई  थी मन में  यह सोचकर कि बस किसी निर्देशक निर्माता  से मिलने की देर है फिर तो हाथों हाथ ली जाएगी वो लेकिन उसे पता नहीं  था कि उस जैसी रम्भा उर्वशी  वहाँ मारे मारे घूमती हैं ।पूरा पता न होने की वजह से वह उस व्यक्ति को ढूंढ  नहीं पाई और डांस टीचर को फोन नहीं किया कि उसका सुराग न मिले।

एक गेस्ट हाऊस में  ठहरी  और रोज एक से दूसरे स्टूडियो पागलों की तरह चक्कर काटती लेकिन क्या आसान था ऐसे एन्ट्री पाना?एक किसी दलाल ने उसकी उम्र और हाव भाव देखकर उसे एक नामी निर्देशक से मिलाने का  वादा किया और उनसे मुलाकात के लिए एक होटल ले आया फिर  ही हुआ जिसका डर था । वह उसके और उसके साथियों के हवस की शिकार बनी ।उन लोगों ने उसका वीडियो भी बना लिया कि अगर किसी को कुछ बताया तो  यह वीडियो वायरल कर देंगे ।अब तो वे रोज उसे होटल बुलाते और  उसका शारीरिक शोषण करते ।

अब  वह रोज दिन रात हजार आँसू  रोती और खुद को कोसती ।

ऊँचा उड़ने के अरमान में गिर रही थी रोज

पर कट गए थे उसके मर रही थी रोज

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‘शीर्षक’ – पुष्पा ठाकुर 

आखिर एक दिन हिम्मत करके उसने अपने घरवालों को फोन पर सब सच्चाई बता  दी उनसे  रो रो कर माफी माँगती रही और ब्लैकमेलिंग की बात भी बताई ।जो भी हो माता पिता तो संतान के सौ खून भी माफ कर देते हैं ।अब जब बदनामी का डर खत्म  हो चुका था तो मुम्बई पहुंच कर  पुलिस को आखिर सब बता दिया और जिया के सुराग पर अपराधियों को गिरफ्तार कर  लिया गया और वीडियो भी डिलीट कर दिया ।
जिया जैसी न जाने कितने बच्चे  मुम्बई की ग्लैमर रंगीनियों के कारण अपने घर से भाग आते हैं  व अपना भविष्य अंधकारमय कर लेते हैं  तो उनके लिए —
अरमान हों ऐसें कि हो सके स्वयं पर अभिमान
अरमान न हों ऐसे कि खो ही जाए आत्मसम्मान

पूनम अरोड़ा

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