महाराज जी
आप जैसे महात्मा जो एक दिन भी कही रुकना उचित नहीं समझते आपने मेरे परिवार की सुरक्षा की खातिर नौ दिन इस गांव में गुजर दिए…..
मैं आपका कर्ज कैसे उतारूगा महाराज जी?
गौरी शंकर अगर तुम ये समझ रहे हो की ये मैने तुम्हारी खातिर किया है तो तुम गलत हो , ये तो मैंने एक शिव भक्त होने के नाते दूसरे शिव भक्त के ऊपर आई हुई कोई विपदा मेरी विपदा समझ तथा साथ साथ तुमने और तुम्हारी पत्नी ने जो मेरा आतिथ्य किया है उसका भी तो कुछ मन रखना था मुझे इसलिए गौरीशंकर तुम्हारी विपदा को अपनी विपदा समझ कर मैं तुम्हारी मदद कर रहा हूं
तुम चिंता मत करो भोलेनाथ सब ठीक करेंगे….
( हर हर महादेव…. महाराज जी धीरे से बुदबुदाते है)
तब तक उमा महाराज जी के लिए भोजन परोस देती है
भोजन करने के पश्चात …
पुत्री…
जी महाराज
आज तुम्हारे हाथ का अंतिम भोजन कर रहा हूं लेकिन मैं जल्दी ही लौट कर फिर आऊंगा क्यूं की तुम्हारे हाथों का बना भोजन बड़ा ही पवित्र होता है जिसे खाने से मुझे आनंद की अनुभूति हुई है… इसलिए मैं तुम्हे कुछ रहस्य बता कर जा रहा हूं
जी महाराज ( उमा हाथ जोड़कर कहती है)
आज से जब तक मैं दोबारा तुम्हारे घर न आ जाऊं प्रत्येक शाम को अपने घर के प्रत्येक हिस्से में जब संझा ( शाम को घरों में दीपक दिखाना) दिखाती हो तो घंटी जरूर बजाना इससे घर में मौजूद या छिपी हुई नकारात्मक शक्तियां भय से दूर भागती है लेकिन अपने बच्चों के रहने वाले कमरे में के दीपक जलाना
पर ऐसा क्यों महाराज ( उमा बीच में टोककर बोली)
इसे मेरी आज्ञा मानकर कर पालन करो और इसमें कोई प्रश्न न पूछो….
जी महाराज ( हाथ जोड़कर )
चलो गौरीशंकर मुझे छोड़ आओ ….
जी महाराज ..चलिए
(महाराज जी और गौरी शंकर जाते जाते )
गौरी शंकर ..
मैं जानता हूं तुम बहुत चिंतित हो इसलिए मैने तुम्हारे लिए एक और सुरक्षा कवच बनाया है जिसे मैंने माता चंडी का आह्वाहन करके अभीमंत्रीत किया है …. इसे पहनने के बाद तुम चंद्रिका का सामना कर सकते हो
चंद्रिका तुम्हे छू भी नहीं पाएगी और अगर ऐसा करने की कोशिश भी करेगी तो चाहे वो कितनी भी शक्तिशाली क्यूं ना हो वो माता चंडी के प्रकोप को झेल नही पाएगी और भस्म हो जायेगी
और ऐसा वो कभी नहीं चाहेगी..
ध्यान रहे ये केवल तुम्हारी सुरक्षा के लिए है इसका कही और दुरुपयोग मत करना।
कल जाने के बाद मैं पांच दिनों का भोलेनाथ के रुद्र रूप का एक हवन करूंगा उसके बाद मैं वापस तेरे घर आऊंगा और जहां चंद्रिका का वास है वहां जाकर एक बार फिर से उसके आने का कारण जानने की कोशिश करूंगा।
अब तुम जाओ और ध्यान रहे अभी उमा को कुछ भी पता न चल पाए..
जी महाराज ( हाथ जोड़कर गौरीशंकर महाराज जी से विदा लेता है)
आज गांव में चहल पहल कुछ कम है क्योंकि एक दिन पहले ही अखंड की पूर्णाहुति हुई थी , सुबह का समय है सभी अपने अपने कामों में लगे पड़े है…..
तभी
अरे भैया….चाचा
भैया सब हो…
अरे कहां गए सब
चिल्लाता हुआ एक गांव का ही नौजवान मनोहर आता है और सबको कुछ बताने लगता…
भैया
जल्दी चलो उधर…
क्या बात है मनोहर? ( ग्रामीण)
अरे चाचा चलो तो पहले
मनोहर के साथ कुछ ग्रामीण नदी के तरफ चल पड़ते है और वहां पहुंच कर सभी की आंखे फटी की फटी रह जाति है ये देखकर की दो कपड़े खून से सने हुए बेर की झाड़ियों में लटके पड़े है
कपड़ो को देखकर पता चल रहा था की ये किसी साधु सन्यासी के कपड़े है..
इस घटना की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल जाती है तथा सभी ग्राम वासी पुलिस को खबर कर घटना स्थल पर पहुंचते है इस बार साथ में गौरीशंकर भी पहुंचा था घटना वाली जगह …
पुलिस अभी निरीक्षण ही कर रही थी की एक कपड़े को देखकर गौरीशंकर चीख पड़ा …
अरे ……
ये तो महाराज जी के कपड़े है
कौन महाराज जी का है (ग्रामीण)
ये तो श्री महाबल्लेश्वर जी महाराज के कपड़े है
क्या?…..( सभी ग्रामवासी लगभग एक साथ)
लगता है किसी ने लूटपाट के इरादे से उनकी निर्मम हत्या कर दी है ( एक ग्रामवासी)
लेकिन उनकी बॉडी कहां है……(पुलिसवाला)
सभी पुलिस वाले और गांव वाले एक साथ उनकी बॉडी को ढूंढना शुरू करते है
काफी ढूंढने के बाद एक पुलिसवाले को एक घने बेर की झाड़ियों के बिलकुल अंदर एक बॉडी मिलती है जब उसको बाहर निकाला जाता है तो उस बॉडी को देखकर एक बार तो सभी के प्राण हलक तक आ जाते है…
क्योंकि उस बॉडी के चेहरे पूरी तरह से नोच खसोट कर खाया गया था।
शरीर के आकार प्रकार को देखकर गौरीशंकर आश्वस्त हो जाता है की ये महाराज जी की ही बॉडी है।
बॉडी को पुलिस अपने कब्जे में लेकर कुछ पूछताछ करती है और चली जाती है
इधर गांव वालों में दहशत फैल जाती है और लोग इसे अपशकुन मानते है क्योंकि अखंड खतम होने के अगले दिन ही आमंत्रित साधु संन्यासियों में से सबसे बड़े साधु श्री महाबलेश्वर जी की लाश मिलना किस बड़े अपशकुन से कम नहीं था
गौरीशंकर को महाराज जी ने कुछ बाते बताई थी जिस कारण गौरीशंकर अकेला ऐसा व्यक्ति था जिसे इन चीजों के बारे में पता था लेकिन किसी अनहोनी होने की आशंका के चलते वह गांव के किसी व्यक्ति को तो छोड़िए अपनी पत्नी तक से वह कुछ नही बता रहा था क्योंकि उसे पता था जो घर में रह रहे दोनो बच्चे विष्णु और अपूर्वा का रूप है असल में वे दोनो नही है इसलिए कही वो चंद्रिका मेरे कुछ बताने पर मेरे बच्चों को हानि न पहुंचाए …..
लेकिन महाराज जी की मृत्यु की खबर से उमा भी बहुत ज्यादा दुखी थी ।
उस शाम उमा ने महाराज जी के द्वारा बताए उपाय को करना शुरू कर दी और शाम को घरों में दीपक दिखाते समय वो घंटियां बजा रही थी लेकिन महाराज जी की याद उसके मन में इतनी ज्यादा व्याकुलता उत्पन्न कर रही थी की उसे यह ध्यान ही नही रहा की महाराज जी ने बच्चो के कमरे में घंटियां बजने को मना किया था , और उमा ने दोनो बच्चे के कमरे में दीपक सहित घंटियां बजाना जैसे ही शुरू करती है वैसे ही……….
शशिकान्त कुमार
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पापी चुड़ैल (भाग -8)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi