पप्पा जी मने डर लागे सै  – मंजू तिवारी

पप्पा तू कित गिया,,, मने घणो डर लागे सै तू अठे बैठ जा,,,,,,, यह बात अभी कुछ दिन पहले की ही थी जब प्रेरणा के बेटे की तबीयत यकायक खराब हो गई और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा प्रेरणा के बेटे के बेड के दोनों तरफ दो छोटी बच्चियां एडमिट थी जिसमें से एक बच्ची यूपी से थी उसके पिता आर्मी में थे बेड के दूसरी तरफ एक छोटी बच्ची एडमिट थी वह शायद हरियाणा के लग रहे थे बोली से,,,, शायद उसके पिता भी किसी सरकारी नौकरी में थे जो आर्मी में थे उनकी बेटी का शायद आंख का ऑपरेशन हुआ था 

वह अपनी बेटी को रात भर बड़े प्यार से अपने सीने से चिपकाए रहे  पल पल पर उसका ध्यान रखते उसे कुछ ना कुछ खिलाते पिलाते रहते वहीं दूसरी तरफ बेड पर लेटी छोटी बच्ची की आवाज आई जब हॉस्पिटल के कमरे की लाइट बंद कर दी गई रात में,, तो वह चिल्लाने लगी “पप्पा मने घणो डर लागे  सै”दोनों ही बच्चों के साथ में मां नहीं थी बच्ची की आवाज सुनकर वही खिड़की में बैठा पिता जो बाहर का नजारा ले रहा था जोर से चिल्लाया, कति चुप ना हुई छोरी अभी खींच कर रापटो दूंगो,,,, बेटी डर के कारण चुपचाप हो गई फिर थोड़ी देर में डॉक्टर आया उसी बच्ची की बेड पर,, 

बोला इसके साथ में कौन है तब उसके पापा आकर खड़े हो गए डॉक्टर ने जोर से डांट लगाई इतनी छोटी बच्ची है आपको इसके साथ लेटना चाहिए कहीं गिर जाए चोट लग जाए बीमार तो वैसे ही है यह प्रेरणा लिए बहुत बड़ा धक्का था कि पिता ऐसे नहीं हो सकते हैं। मैंने तो हमेशा देखा भी है सुना भी है ज्यादातर पिता ही बेटियों को मां से अधिक प्यार करती है। प्रेरणा भी अपनी पिता की मां से अधिक लाडली थी।। जिस बच्ची के पिता आर्मी में थे वह बच्ची मेरे बेटे के साथ खेल थी और सब बातें करके खेल रहे थे



 तभी उनकी  बातचीत प्रेरणा और उनके पति से होने लगी प्रेरणा ने पूछा भैया आपके कितने बच्चे हैं उन भाई साहब ने बताया मेरे तीन बच्चे हैं दो बेटियां और एक बेटा,, बेटा ज्यादा छोटा है इसलिए इसकी मां यहां नहीं आ पाई है मैं इस बेटी की देखभाल कर रहा हूं। प्रेरणा को अंदाजा लगाते देर न लगी दो बेटियां होने के बाद अगर तीसरा बच्चा होता है तो बेटे की चाहत में ही होता है। लेकिन जिस प्रकार से वह अपनी बेटी की देखभाल कर रहे थे उससे उनकी बेटियों का तिरस्कार नहीं हो रहा था

 यह भी प्रेरणा को ठीक ही लगा चलो तिरस्कार तो नहीं है फिर वह भाई साहब बताने लगे मैंने अपने बेटे के लिए 3500000 का प्लॉट खरीद लिया है जो आगे बेटे के काम में आएगा फिर प्रेरणा कहने लगी भाई साहब आपने इन दो बेटियों के लिए क्या,,,,,? कहने लगे अच्छे से पढ़ा लिखा रहा हूं यह कुछ करने लगेंगीऔर इनकी अच्छे से शादी कर दूंगा तब प्रेरणा ने कहा भाई साहब यह अंतर क्यों,,,? अच्छे घर में शादी कर दूंगा और इन्हें क्या चाहिए,,, 

फिर प्रेरणा ने बिना मांगे एक सलाह दे डाली भाई साहब जिस प्रकार आप ने अपने बेटे के लिए अचल संपत्ति की व्यवस्था की है ठीक उसी प्रकार अपनी दोनों बेटियों के लिए ज्यादा नहीं सही थोड़ी सी अचल संपत्ति बना दीजिए इनके बहुत काम आएगी दहेज और शादी में लगवाया हुआ पैसा बेटी के कभी किसी काम का नहीं होता है बेटे की तरह इनका भी आप भविष्य सुरक्षित  कर दीजिए,,,,, उनकी बातों से लग रहा था शायद प्रेरणा की बातों का असर पड़ रहा है। अगर प्रेरणा थोड़ा सा भी उनके विचारों को बदल पाए तो अपने आप को सफल समझती है।,,,,,

मंजू तिवारी गुड़गांव

 

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