प्रकाश जी 54 वर्ष के विधुर पति थे ।पेशे से इंजीनियर थे वो।दो साल से विधुर का जीवन बीता रहे थे वो।एक बेटी थी जिसकी पत्नी के जाने के बाद शादी हुई थी। बेटी एम बीए करने के दौरान साथ पढ़ने वाले सहपाठी मयंक को पसंद करती थी। मां को बेटी मेघा ने बताया था । फिर मां मालती जी की एक दिन हाटअटैक से मृत्यु हो गई थी ।दिन में जब प्रकाश जी आफिस में थे और मेघा कालेज गई थी तभी मालती जी को हाटअटैक आया था घर में किसी के न होने की वजह से डाक्टर के पास उन्हें कोई ले नहीं जा पाया इसलिए उनकी मृत्यु हो गई थी ।जब बेटी और प्रकाश जी घर आए तो मालती को मृत अवस्था में घर में पाया था।
मयंक को मेघा मां से मिला चुकी थी तो प्रकाश जी ने कुछ जानकारी हासिल की मयंक के बारे में सबकुछ ठीक लगा तो बेटी की कुछ समय बाद शादी कर दी। मां के जाने के बाद घर में मेघा और प्रकाश जी ही रह गए थे तो मेघा ही पापा का ख्याल रखती थी । लेकिन शादी हो जाने के बाद प्रकाश जी बिल्कुल अकेले हो गए थे। मेघा जब भी पापा से मिलने आती वो बड़े चुपचाप से और उदास से लगते। बिल्कुल अकेले जो रह गए थे।मेघा ने पूछा लिया क्या हुआ पापा आप बड़े ढीले ढाले और कमजोर से लग रहे हैं , खाना वगैरह ठीक से नहीं आते क्या ,
तबियत तो ठीक है एक साथ कई सारे सवाल पूछ लिए मेघा ने ।अरे नहीं कुछ नहीं ठीक है सब ,बस अच्छा नहीं लगता बड़ा अकेला पन है बेटा ,घर में अच्छा नहीं लगता । पापा आफिस के बाद थोड़ा बाहर दोस्तों के साथ मिल गया करिए। कहां जाऊं बेटा रोज रोज किसी के पास सबके अपने-अपने परिवार है जिम्मेदारी यां है । कोई बेटा बेटी की शादी के लिए परेशान हैं तो कोई बच्चों के कैरियर के लिए प्रयास रत है ।बेटा सबकी अलग-अलग समस्याएं हैं सब उसी में उलझे रहते हैं।बस रोज़ रोज़ किसी के पास जाकर अपना रोना अच्छा नहीं लगता।और ये तो जो अकेला पन है न घर खाने को दौड़ता है जिसपर बीतती है वहीं जानता है।
मेघा आज ससुराल आकर मयंक से कहने लगी आज पापा की स्थिति देखकर मन बड़ा उदास हो गया । मयंक पापा बहुत बुझे बुझे से रहने लगे हैं। हां वो तो होगा ही मयंक बोला। सबसे बड़ा दुख इंसान का तो अकेला पन ही है। मयंक जब से मम्मी गई है उनका जीवन ऐसे ही हो गया है । मम्मी के जाने के बाद मैं थी तो पापा थोड़े ठीक थे लेकिन मेरी शादी के बाद तो वो बिल्कुल ही अकेले हो गए हैं। मयंक मेरे दिमाग में एक बात आई है क्या, क्यों न हम पापा की फिर से शादी करा दे । लेकिन क्या पापा मानेंगे ,
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मनाएंगे उनको मेघा बोली। देखो अभी पापा 54 वर्ष के है छै साल बाद रिटायर हो जाएंगे तब तो घर में रहना और भी मुश्किल हो जाएगा। अभी तो सुबह से शाम तक आफिस में रहते हैं फिर तो और भी मुश्किल हो जाएगी। अभी तो काफी समय उनका आफिस में निकल जाता है।जब सारे दिन घर पर रहेंगे तो क्या होगा।समय कैसे कटेगा। फिर मैं तो हर वक्त नहीं जा सकती पापा के पास। देखो पापा से बात करके देखो मयंक बोला। देखो मां बाप की दूसरी शादी करने में उनके बच्चे ही बाधा बनते हैं ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाते ।और जब तुम ही तैयार हो तो पापा से बात करके देखो ।
दो दिन बाद मेघा फिर पापा से मिलने गई तो कुछ औपचारिक बातें करने के बाद पापा से बोली, पापा आप दूसरी शादी कर लीजिए। क्या कह रही हो मेघा तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या, क्या मैं तेरी मां की यादों को दरकिनार करके उसकी जगह किसी और को दे दूं।तो क्या हुआ पापा , नहीं ये नहीं हो सकेगा मुझसे।मैं चाहती हूं आप खुश रहें, अकेले अकेले कैसे कटेगा जीवन । पता नहीं कितना लिखा है जीवन ईश्वर ने ये कोई नहीं जानता।पर तू तो है न हां पापा पर मैं भी कितना आऊंगी
यहां मुझे भी तो घर मयंक और अपने छोटे बच्चे को देखना है।पर बेटा मैं तो कुछ देर ही तेरे आ जाने से और अपने नवाशे के साथ खेलकर खुश हो लेता हूं । लेकिन फिर उसके बाद फिर वही उदासी और अकेलेपन।तो क्या मैं तेरी मां को भूल जाऊं । नहीं पापा मां को कौन भूलने को कह रहा है वो तो हर वक्त हमारे साथ रहती है ।और आपके लिए कितना चिंतित रहती होगी आपको उदास देखकर। पापा आपको मेरी बात माननी होगी। पापा और बेटी बाहर बालकनी में बैठी चाय पी रहे थे। तभी पड़ोस के फ्लैट में किराए
पर रहने वाली सुधा आंटी और उनकी बेटी सिया कहीं से आई ।वहां से निकली तो पापा का और मेरा हाल चाल पूछने लगी।और बोली बड़े उदास रहने लगे हैं तेरे पापा। बिल्कुल सन्नाटा सा खिंचा रहता है तेरे घर में। तेरी मां तो बहुत अच्छी थी बेटा सबसे बोलने चालने वाली थी । मुझसे भी मालती की अच्छी पटती थी।बड़ा दुख है उसके जाने का। तेरे पापा को देखकर बहुत दुख होता है कैसे कटेगा अकेले जीवन।
मेघा घर आकर सोचने लगी अब पापा के लिए किसी अच्छे जीवन साथी की तलाश करनी होगी इसी उधेड़बुन में थी ।आज मयंक का जन्मदिन था तो दोनों ने मंदिर जाने का प्रोग्राम बनाया।शाम को मेघा और मयंक मंदिर गए । वहां पड़ोस में रहने वाली सुधा आंटी और सिया मिल गए । सुधा ने मेघा से पूछा आज मंदिर कोई खास बात , कुछ नहीं आंटी आज मयंक का जन्म दिन था तो सोचा भगवान के दर्शन कर आऊं ।और क्या मांगा भगवान से बस कुछ नहीं आंटी स्वस्थ रखें हम सभी को और पापा के लिए ,
क्या पापा के लिए उन्हें भी खुश रखे ।अच्छा आंटी आप बताएं आपने क्या मांगा बस बेटा सिया को सद्बुद्धि दे और शादी हो जाए इसकी । अच्छा , हां बेटा सिया की शादी हो जाए तो मैं भी बेटे के पास चली जाऊं अभी साथ नहीं रहते क्यों कि सियासी भाभी से पटती नहीं है । जिसके लिए सिया ने शादी से इंकार किया था
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वो तो अब रहे नहीं क्या मतलब ।अरे इसने अपने पापा की खातिर शादी नहीं की थी कैंसर था उनको पापा की देखभाल कौन करेगा लेकिन वो तो अब रहे नहीं ।और इसकी शादी की उम्र निकल गई ।अब कहां रिश्ते मिलेंगे अब तो समझौते वाली शादी होगी ।चालीस की हो रही है अब कैसे कोई लड़का मिलेगा ।अब तो कोई जरूरत मंद ही शादी करेगा ।इस बातचीत के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए।
अभी मयंक चाय पीते पीते मेघा से बोला मेघा मेरे दिमाग में एक बात आई है क्या मेघा बोली , क्यों न हम पापा की शादी के लिए सुधा आंटी की बेटी के लिए बात करें । हां मयंक तुम तो ठीक कह रहे हो ,अब इस उम्र में सियाको कौन सा लड़का मिलेगा।और शादी होगी तो वो भी समझौते वाली ही शादी होगी ।और फिर पापा और सिया में कोई बहुत ज्यादा अंतर तो है नहीं पंद्रह साल का अंतर है कोई आधे का तो अंतर है नहीं। लेकिन क्या सुधा आंटी या सिया इस बात से तैयार होगी ।बात करके देखते हैं उनको भी तो जाना समझा घर मिल रहा है। कोशिश करने में क्या हर्ज है । हां ठीक है । मयंक आज शाम को जब आफिस से घर आओ तो फिर उसके बाद सुधा आंटी के घर चलते हैं।
शाम को मेघा और मयंक सुधा आंटी के घर पहुंच गए।इस तरह से मेघा और मयंक को देखकर सुधा जी थोड़ा चौंक गई ,और बोली क्या बात है बेटा,वो आंटी हम दोनों ने तय किया है कि अपने पापा की फिर से शादी करा दे । बहुत अकेला पन हो गया है उनके जीवन में।और फिर मैं अपना घर छोड़कर कहां तक आती रहूंगी । आगे मेरी भी तो जिम्मेदारी यां बढ़ जाएगी।और मैं जब भी पापा के पाससे होकर अपने घर जाती हूं तो बहुत रोती हूं । बहुत अच्छा सोचा है बेटा आजकल तो बहुत लोग इससे भी ज्यादा उम्र में शादी कर रहे हैं ।
और किसी चीज की तमन्ना के लिए नहीं खुद के अकेले पन को दूर करने के लिए। पहले बच्चे इस बात को तैयार नहीं होते थे लेकिन आजकल तो खुद बच्चे आगे आकर पेरेंट्स को ऐसा करने को कह रहे हैं।अच्छी बात है । फिर बिना किसी प्रकार की भूमिका बनाएं मेघा ने कहा दिया कि तो क्या आंटी आप सिया दी की
शादी हमारे पापा से करेगी।सिया की शादी हां आंटी, क्यों कि आप भी इतने समय से परेशान हैं और अब सिया की भी उम काफी हो चुकी है कोई मनपसंद लड़का तो मिलने से रहा । समझौता तो करना ही पड़ेगा। फिर इतने समय से आप हमारे पापा को देख रही है आप घर के वातावरण से स्वभाव से सभी परिस्थितियों से अच्छे से वाकिफ हैं तो बताए क्या विचार है । सुधा जी थोड़ी असमंजस में आ गई ।अच्छा बेटा मैं सोचने कर बताऊंगी । ठीक है आंटी।
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अब मेघा पापा के घर आईं और पापा को बताया कि हम लोग आपकी शादी करवा रहे हैं । पहले तो मेघा के पापा बहुत गुस्सा हुए लेकिन फिर मयंक और मेघा के बहुत जोर देने पर चुप हो गए ।मयंक बोला पापा इसमें हर्ज ही क्या है आजकल बहुत से लोग ऐसा कर रहे हैं । यदि सुधा आंटी तैयार हो जाती है तो जल्दी ही हम मंदिर चलकर शादी कर देगे। बच्चों के आगे मां बाप शादी करते अच्छे लगेंगे बेटा।यूं आप आंखों में आसूं भरकर जिए तो क्या हमें अच्छा लगता है। दोनों परिवारों में जोर आजमाइश चल रही थी । सुधा जी को इस रिश्ते में कोई बुराई नहीं दिख रही थी ।अब इस उम्र में उसको कौन ब्याहने आएगा।जो उसकी किस्मत में लिखा है तो यही सही।
सुधा आंटी का मेघा के पास फोन आया कि वो तैयार है शादी को और पापा का मौनही उनकी स्वीकृति है । मेघा मयंक और सुधा सिया मंदिर पहुंच गए। भगवान को साक्षी मानकर दोनों ने एक दूसरे को पति पत्नी स्वीकार कर लिया।सिया को घर ले आए मेघा ने मां मालती के सामने हाथ जोड़कर आशीर्वाद मांगा । पापा जी बोले देखो मालती तुम्हारी बेटी ने ये क्या कर दिया । तुम्हारी यादों से निकाल कर किसी और के यादों में बसा दिया । नहीं पापा अब दुखी होने के दिन गए आपके आंखों में आसूं अब नहीं।
लेकिन मेघा तू भी तो रो रही है बेटा ,ं नहींपापा ये आंसू खुशी के है ,ये आंसू अब मोती बन गए हैं अब मैं कभी नहीं रोऊंगी। क्यों कि अब पापा को सिया दी रोने नहीं देंगी। सिया दी नहीं मेरी प्यारी सी मम्मी।मैं बहुत खुश हूं पापा । मेरी चिंता अब समाप्त हो गई आपका ख्याल रखने को मैंने मां ला दी है।
आज मेघा के पापा सिया को लेकर मेघा के घर गए हैं ।मिठाई खिलाई सबको । पापा के चेहरे पर हल्की मुस्कान देखकर मेघा के आंसू आज मोती बनकर बरस पड़े।वो मारें खुशी के पापा और सिया के गले लग गई।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
30 मार्च