पैसे का गुरुर – नीलम शर्मा  : Moral Stories in Hindi

तनु देख ना मैंने ये सूट लिया है। कैसा लग रहा है। तनु ने मनु को फोटो भेजी तो उधर से मनु का फोन ही आ गया। क्या दीदी अब तो जीजा जी कुछ ठीक से कमाने लगे होंगे। देखने में ही बिल्कुल सस्ता लग रहा है। ऊपर से काला रंग। हंसते हुए बोली…..कैसा लगेगा आप पर। तनु ने सोचा क्यों दिखाने बैठ गई मैं इसको यह सूट। जबकि मुझे पता है कि पैसे का गुरुरऔर अपने रुप का घमंड उसके सर चढ़कर बोलता है। 

तनु अपना सर झटक रसोई के काम में लग गई। तनु और मनु ये हैं गिरधारी जी की दो बेटियां। दोनों ही एक दूसरे के विपरीत शक्ल में भी और स्वभाव में भी। तनु बहुत ही सरल स्वभाव की साधारण शक्ल सूरत की, मनु का गोरा रंग किसी हीरोइन को मात देती सुंदरता और स्वभाव से अहंकारी। गिरधर जी पर ज्यादा कुछ तो शादी में लगाने के लिए था नहीं जैसे तैसे अपनी बड़ी बेटी की शादी संयम से कर दी। जो बहुत ज्यादा कमाता तो नहीं था लेकिन स्वभाव से बहुत अच्छा और संस्कारी था। तनु अपने ससुराल में खुश थी। क्योंकि वह हर स्थिति में संतुष्ट रहना जानती थी।

लेकिन मनु की शादी उसकी सुंदरता के कारण बिना किसी लेन देन के एक बड़े अमीर घर में हो गई। लड़का भी सही था। मनु की स्थिति तो ऐसी थी जैसे किसी अंधे के हाथ बटेर लग गई हो। उसके पैर तो जमीन पर होते ही नहीं थे। ना ही वह तनु को नीचा दिखाने का कोई मौका छोड़ती थी। जब की तनु उसकी बदतमीजी को भी उसका बचपना समझ कर छोड़ देती थी। 

एक दिन तनु अपने घर का काम खत्म करके बैठी हुई थी कि मनु का फोन आया। दीदी कल हमारे नए घर में पार्टी है। आप और जीजा जी भी आना। लेकिन देखो दीदी बुरा मत मानना, अच्छी तरह से आना क्योंकि यहां पर सभी बड़े-बड़े लोग होंगे। ठीक है। लेकिन मनु की बातें सुनकर तनु का मन पार्टी में जाने का नहीं था। उसने संयम को बताया तो वह बोला चलो कोई बात नहीं, है तो तुम्हारी छोटी बहन ही ना। जब उसने बुलाया है तो चलते हैं। 

तनु और संयम अपनी तरफ से अच्छी तरह तैयार होकर एक गिफ्ट लेकर मनु के घर पहुँचे। घर क्या कोठी ही थी, जो रोशनी से जगमगा रही थी। वे दोनों अंदर पहुँचे तो मनु तनु के पास आकर बोली, क्या दीदी आपके और जीजाजी के पास ढंग के कपड़े नहीं थे। तो मुझे बता देती। आ जाओ अब। और दोनों को एक कोने में ले जाकर बैठा दिया। आज संयम भी मनु के व्यवहार को देखकर असहज सा हो गया था। 

जैसे ही वह उठकर चला उसका हाथ बराबर में रखे बहुत बड़े से शोपीस पर लग गया। जिसे तनु ने तुरंत पकड़ लिया और वह गिरने से बच गया। लेकिन मनु बहुत जोर से चिल्लाई। जीजा जी इतना महंगा शोपीस अभी टूट जाता तो। इतनी तो आपकी महीने भर की कमाई भी नहीं है जितने का यह शोपीस है। सबके सामने अपने पति की बेइज्जती तनु सहन नहीं कर सकी। और मनु से बोली कि आज तक तूने जो कुछ मुझे कहा मैं उसे तेरा बचपना समझ कर टालती रही। लेकिन अपने पति का अपमान मैं किसी को भी नहीं करने दूँगी। भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती मनु। समय बदलते देर नहीं लगती। 

उस दिन से उसने मुड़कर मनु की तरफ नहीं देखा। बीस साल बीत चुके थे इस बात को। इतने सालों बाद अपने फोन पर मनु का कॉल देखकर ना चाहते हुए भी उसने फोन उठाया। मनु की दर्द से भरी हुई बड़ी धीमी सी आवाज आई। दीदी एक बार अपनी छोटी बहन की गलतियों को माफ करके मुझसे मिलने आ जाओ। और फोन काट दिया। तनु के कानों में उसकी आवाज गूंज रही थी। वह सारे गिले-शिकवे भुलाकर मनु से मिलने चल दी। वह वहाँ गई जहाँ वह मनु से आखिरी बार मिली थी। लेकिन उस कोठी पर किसी और की नेम प्लेट देखकर उसने वहां पता किया तो पता चला कि यह कोठी बिक चुकी है। बड़ी मुश्किल से तनु को मनु का नया एड्रेस मिला। वहां जाकर उसने देखा एक बहुत छोटा सा कमरा था जिसके अंदर ही रसोई थी। और मनु एक पलंग पर लेटी थी जो पहचान में भी नहीं आ रही थी। सारी सुंदरता और वैभवता सब गायब थी। उसकी हालत देखकर तनु का कलेजा मुंह को आ गया।

वह मनु को अपने घर ले आई। मनु ने उसे बताया कि उस दिन जब उसकी बहन उससे नाराज होकर गई, जैसे ईश्वर भी उससे नाराज हो गया। उसके पति को जुए और शराब की लत लग गई।सब कुछ लुटा दिया उसकी बुरी लत ने। ना वह मां बन पाई। उसका पति भी एक दिन जुआ खेलते हुए पकड़ा गया। और उसे जेल हो गई। उसे भी टीबी की बीमारी ने जकड़ लिया। वह अकेली पड़ गई थी । तनु की देखभाल और सही ट्रीटमेंट से मनु की हालत में सुधार था। समय ने मनु के घमंड को चूर-चूर कर दिया था। तनु के अच्छे कर्म उसके अपने कामयाब बच्चों के रूप में उसके सामने थे।

#दिनांक_15/02/25

नाम: नीलम शर्मा 

मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश,

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