शहर में घर – हरेन्द्र कुमार 

दीना नाथ जी रेटियार्ड होकर घर आ चुके थे। गृह मंत्रालय में क्लर्क का काम करते थे। अच्छी खासी रकम मिली थी सेवा- निवृत्ति (रिटायरमेंट) के बाद। गृह मंत्रालय में ऊपर की आमदनी भी थी। नौकरी करते वक्त उन्होंने गांव में बारह बीघा जमीन खरीद ली थी। दो लड़का और एक लड़की का परिवार था … Read more

सुधा – नीलिमा सिंघल

सुधा बहुत बौखलाए हुए घूमे जा रही थी इधर से उधर, उधर से इधर राजन ने चश्मा ठीक करते हुए कहा “सुधा बैठ जाओ कब तक चक्कर काटती रहोगी तुम्हें देखकर अब तो मुझे खुद चक्कर आने लगे हैं। “तुम तो चुप ही रहो”, सुधा बैचेन होते हुए बोली ,तुम्हें क्या पता मैंने शांति के … Read more

हाय मैं शर्म से लाल हुई – प्रीती सक्सेना

ये कहानी मेरी पाठिका द्वारा भेजी गई है, वो चाहती हैं, मैं अपने स्टाइल में उसे लिखूं, मैं पूरी कोशिश करुंगी नीलम जी उस दिन सुबह सुबह मैं अपने बगीचे में पौधों को पानी दे रही थी, अचानक एक साइकिल रिक्शा मेरे घर के सामने रूका, मैंने ताज्जुब से देखा, एक ग्रामीण परिवेश में अधेड़, … Read more

मां मुझे नहीं जाना ** – –डॉ उर्मिला शर्मा

 प्रकाश मेहता और उनकी पत्नी नमिता रात का खाना खाकर सोने की तैयारी कर ही रहे थे कि फोन की घण्टी बजी। नमिता का दिल धड़क उठा। बेटी स्मृति को लेकर मन आशंकित हो गया। फोन प्रकाश जी ने उठाया। “आपकी बेटी ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। फांसी लगा ली उसने। आकर ले जाएं … Read more

बन्धन – रीमा ठाकुर

लघु कथा” आज क्या हुआ बहेन तुमने फिर से, सबसे लडाई की “ नहीं भाई ,,मैं आपको कैसे बताऊ”आपका आना जाना हमारे ससुराल वालो को पसंद नहीं। तो हम नहीं आऐगे कल से “बहेन अपने घर में खुश रहे एक भाई को और क्या चहिए “मायूस होकर बोला नदीम “ इतने सालो का बँधन कैसे … Read more

मेरी बाई…. नहीं आई –  पूजा मनोज अग्रवाल

गर्मियोँ की छुट्टियाँ पड़ गई हैं , तो सोचा हम भी कुछ दिन मौज कर आएं…. अपनी माँ के यहाँ ,,,  ।         तभी फोन की घंटी बजती है,,,,  ” हेलो,”  भाभी ,,,,हम आज नही आयेगी , आज हम घर पर रह कर आराम करियेह,,,, हमार कमर दरद कर रई ,,।”      अरे  मीना  !  कितनी बार कहा … Read more

बेइंतहा प्यार – रीटा मक्कड़

जब बचपन मे तुम्हे देखा तब से तुम मुझे अच्छे लगने लगे। तब तो प्यार का मतलब भी नही पता था। जब कमसिन अल्हड़ उम्र हुई अभी ये भी नही पता था कि प्यार क्या होता है तब भी तुमसे ही प्यार किया। तुम नही मिलते तो मैं बहुत रोती थी वो तो बहुत बाद … Read more

निकेतन निकम्मा – गीता वाधवानी

पाखी और निकेतन को उनके ताऊजी का उनके घर आना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। जब भी वह आते थे 10वीं में पढ़ने वाले निकेतन और अपने बेटे चेतन की तुलना अवश्य करते थे। पाखी बड़ी थी, वह 12वीं कक्षा में थी। वह समझ जाती थी लेकिन निकेतन निराश हो जाता था। आज फिर ताऊ … Read more

अनोखा प्रयोग – प्रीती सक्सेना

 २५ साल पहले हम जबलपुर से ट्रांसफर होकर इंदौर आए, कुछ दिन तो घर और सामान को व्यवस्थित करने में निकल गए, फिर जब पूरी तरह फ्री हो गए तो अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया.   एक दिन बेल बजी, देखा तो एक महिला दिखी, अंदर आई, तो आने का प्रयोजन पूछा, महिला संकोची भयभीत, अपने … Read more

वो वाक़या जो भुला न सका – अनजान लेखक (मुकेश कुमार)

पैंतालीस साल से उपर गुजर गए थे जब मैंने ठान लिया था की जो भी हो अब इस जन्म में दोबारा हमलोग न ही भेंट-मुलाक़ात करेंगे और न ही बात करेंगे. एक शहर के हो कर भी हमलोग अजनबी बने रहे. लेकिन वो बोलते हैं न की “कुछ चीज़ें आप करते हैं और कुछ चीज़ें … Read more

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