दादी बुआ का पिटारा – पायल माहेश्वरी
बड़ी बहन भी माँ समान होती हैं यह पंक्ति सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, पर हमारे सामाजिक परिवेश में वो स्त्री जिसका स्वयं कोई परिवार नहीं होता हैं वो मन से कितनी अकेली होती हैं यह मैंने अपनी कथा में दर्शाया हैं। “आज तो मैं दादी-बुआ के पिटारे का राज जानकर रहूँगी ” कमला … Read more