” नियति ये क्या तुम अपना सामान क्यो बांध रही हो …कहीं जा रही हो क्या ?” अर्पिता जैसे ही ऑफिस से वापिस लौटी अपने साथ पीजी का कमरा शेयर करने वाली नियति को सामान बांधते देख बोली।
” अर्पिता आ गई तुम मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी …मैं रोहान के साथ रहने जा रही हूँ !” नियति बोली।
” रोहान के साथ !!” अर्पिता हैरानी से बोली।
” हाँ यार तुम्हे तो पता है मैं उसे कबसे चाहती हूँ आज उसने अपने प्यार का इजहार किया है अब वो चाहता है हम एक साथ रहे एक दूसरे को जाने समझे तभी कोई फैसला ले !” नियति खुश होकर बोली।
” क्या …मतलब तुम लीव इन रिलेशन मे रहोगी पर क्या तुम्हारे घर वाले राजी होंगे इसके लिए , क्या तुम्हे यकीन है आगे जाकर रोहान तुमसे शादी करेगा ?” अर्पिता बोली।
“अरे यार कितने सवाल पूछ डाले तुमने …तो सुनो मेरी जान ऐसी बाते माँ बाप को नही बताई जाती वैसे भी वो यहां आते नही तो उन्हे पता भी नही लगेगा। रही रोहान से शादी की बात वो तो अभी हमने सोचा नही । अभी तो लाइफ के मजे लेने है , एक दूसरे को जानना है अभी शादी के झमेले मे नही पड़ना !” नियति लापरवाही से बोली।
” पर नियति ये लिव इन रिलेशनशिप सही नही है इसमे आगे चलकर सबसे ज्यादा लड़की को ही पछताना पड़ता है !” अर्पिता ने उसे समझाया।
” अर्पिता ये बात तुम बोल रही हो ? बड़े शहर मे रहकर भी !” नियति हँसते हुए बोली अर्पिता ने उसे बहुत समझाया पर वो कुछ सुनने को तैयार हो तब ना वो तो अपना सामान पैक कर चलती बनी।
हैरान रह गई अर्पिता नियति की बात सुनकर उसे वो दिन याद आया जब छोटे से शहर अलीगढ की नियति दिल्ली पढ़ने आई थी सफ़ेद सूट और दो चोटियों मे नियति एक मासूम सी बच्ची नज़र आ रही थी। कितने दिन लग गये थे उसे अपनी रुममेंट अर्पिता से खुलने मे। धीरे धीरे नियति पर बड़े शहर का रंग चढ़ने लगा।
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दो चोटियों की जगह स्टेप कट बालो ने ले ली सूट की जगह जीन्स टॉप ने। नियति के पिता अलीगढ़ मे सब्जियों के आढ़ती थे तो रूपए पैसे की कमी नही थी । अपने काम मे व्यस्त रहने के कारण वो नियति से मिलने ना आते नियति ही छुट्टियों मे उनसे मिलने जाती जब जब नियति अपने घर जाती उसका रूप वही छोटे शहर वाला होता पर दिल्ली वापिस आते ही वो बिंदास नियति बन जाती। इधर कुछ दिनों से उसका मेल जोल अमीर बाप के बिगड़े बेटे रोहान से बढ़ गया था। नियति उसे चाहने लगी थी ये बात उसने स्वयं अर्पिता को बताई थी किन्तु उसने कभी रोहान से कहा नही था ये। अर्पिता ने उसे समझाने की कोशिश भी की थी पर नियति पर् तो रोहान का जादू चढ़ा था। आज अचानक नियति के यूँ रोहान के साथ रहने जाने से उसे बड़ी हैरानी हो रही थी क्योकि बात इतनी आगे जाएगी इसका अंदेशा नही था अर्पिता को।
समय अपनी गति से चलता रहा अर्पिता की नियति से कॉलेज मे ही बात होती थी शुरु शुरु मे वो काफी खुश नज़र आती थी पर धीरे धीरे उसका चेहरा मुरझाने लगा था।
” क्या बात है नियति तबियत ठीक नही क्या तुम्हारी और दो दिन से कॉलेज क्यो नही आ रही थी फोन भी बंद था ?” एक दिन अर्पिता ने नियति का पीला चेहरा देख पूछ लिया।
” हां ठीक है !” नियति ने नज़रे नीची करके उत्तर दिया पर अर्पिता ने उसका भर्राया गला और आँखों मे आंसू साफ महसूस किये।
” कॉलेज के बाद मेरे साथ चलियो ..वैसे भी मेरी रुममेंट अपने घर गई है तो आराम से बाते हो जाएंगी !” अर्पिता ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा।
“हम्म!” नियति ने सिर्फ इतना कहा।
कॉलेज के बाद दोनो सहेलियाँ अर्पिता के कमरे पर पहुंची । अर्पिता ने पहले उसे जूस दिया और खुद भी पीने लगी । जूस पीते पीते वो नियति के चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी जिसपर कई भाव आ जा रहे थे शायद उसके मन मे कोई ऐसी बात थी जिसे ले वो असमंजस मे थी की अर्पिता को बताये या ना बताये।
” हां तो अब बताओ नियति क्या हुआ है ऐसा ? और देखो मुझसे कुछ ना छिपाना अगर मैं तुम्हारी मदद नही कर सकी तो कम से कम तुम्हे अपना दर्द बांट कर तसल्ली तो मिलेगी। ” जूस खत्म कर अर्पिता ने पूछा।
” वो …अर्पिता मैने एबॉर्शन करवाया है !” झिझकते झिझकते नियति बोली।
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” क्या …. रोहान को पता है इस बारे मे … ?” अर्पिता हैरानी से बोली!
” रोहान अब मेरे साथ नही रहता मैं पास के विमेंस पीजी मे रहती हूँ !” नियति आँखे चुराती हुई बोली।
” क्या …तुमने मुझे बताया भी नही …और रोहान कहा रहता है अब तुम्हारे बीच कुछ हुआ है क्या ?” अर्पिता ने पूछा।
” कैसे बताती तुम्हे कितनी बाते बनाई थी मैने प्यार को लेकर जबकि वो प्यार था ही नही वो तो वासना थी जिसकी पूर्ति होते ही रोहान के लिए मैं एक टिशु पेपर बन गई जिसे उसने किसी ओर के लिए मुझे छोड़ दिया …तुम सच कहती थी लिव इन गलत है मैने अपने मा बाप का सबका भरोसा तोड़ा उसी की सजा मिली है मुझे !” नियति अब जोर जोर से रो दी । अर्पिता उसकी स्थिति समझ रही थी पहले रोहान के छोड़ जाने का मानसिक दबाव और अब एबॉर्शन का शारीरिक दबाव उसे तोड़ रहा था उसने नियति को गले लगा लिया नियति उससे लिपट सिसकियां ले रो दी।
” देखो नियति हमारे भारतीय समाज मे शादी एक कमिटमेंट होती है जिसे ज्यादातर लोग प्यार से निभाते है बल्कि आज से कुछ साल पहले तो एक दूसरे से मिले बिना ही ये रिश्ता निभाते थे हाँ कुछ मामलो मे पति पत्नी मे अलगाव होता है पर उसमे उनके माता पिता हमेशा उनका साथ देते है लेकिन जो रिश्ता हम माँ बाप को अंधेरे मे रख बना रहे उसके सफल होने की कितनी गारंटी होगी ? हो सकता है कुछ लोगो के लिए लिव इन रिलेशन शिप शादी से बेहतर हो पर उसका कोई भविष्य नही होता ये सच है क्योकि दोनो मे से किसी को भी सामने वाले से बेहतर मिले तो वो उसे छोड़ देगा जबकि शादी मे बहुत सोच समझ कर घर परिवार को देखते हुए फैसले लेने पड़ते है उसमे घर के बड़े समझाते भी है बल्कि कई बार तो पति पत्नी के मनमुटाव भी दूर करते है। विदेशो मे लिव इन आम है क्योकि वहाँ शादी भी सिर्फ पति पत्नी के बीच का रिश्ता होता है परिवारों का नही इसलिए उन्हे तलाक लेने मे समय भी नही लगता !” अर्पिता ने समझाया।
” सही कहा तूने लिव इन रिलेशनशिप हमारे लिए है ही नही क्योकि एक दूसरे को अच्छी तरह जानने की सोच मे हम हर हद पार कर जाते है फिर एक समय बाद बस लड़ाई झगड़े एक दूसरे की उपस्थिति से चिढ ही बचती है ओर कोई कमिटमेंट ना होने के कारण आसानी से अलग भी हो जाते है । जबकि भारतीय शादियों मे बंधकर इंसान परिवार से भी बंध जाता है जिस बंधन को तोड़ना नामुमकिन भले ना हो पर मुश्किल जरूर होता है !” नियति बोली।
” बिल्कुल …खैर जो हुआ सो हुआ अब तू सब भूल जा !” अर्पिता उसके आंसू पोंछती हुई बोली।
” पर मैं मम्मी पापा से कैसे नज़र मिला पाउंगी उनके भरोसे को तोड़ बहुत गलत किया मैने !” नियति फिर रो दी।
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” उनसे नज़र मिलाने और अपनी गलती का पछतावा करने का एक ही जरिया है पढ़ाई …खुद को मजबूत बना इन चक्करो से निकल पढ़ाई पर ध्यान दे अच्छे नंबरो से पास होकर अपनी गलतियों का पछतावा कर। समझ तू नही रोहान तेरे लिए टिशु पेपर था जो इस्तेमाल कर फेंक दिया तूने उसे दिखा दे उससे दूर होकर तुझे कोई फर्क नही पड़ा । मैं तेरी हर तरह से सहायता करूंगी समझी !” अर्पिता मुस्कुराते हुए बोली तो नियति के चेहरे पर भी फीकी मुस्कान आ गई।
” सही कहा तूने अब मुझे अपनी गलती का पछतावा करना है जिससे अपने माँ बाप से नज़र मिला सकूँ। साथ ही भविष्य मे कभी ऐसे रिश्ते मे नही पड़ना जो लिव इन रिलेशनशिप चाहे बल्कि अब खुद को इतना साबित करना है कि कोई सारी जिंदगी एक रिश्ते मे बंध हमारे साथ लिव ( रहना ) चाहे। ” नियति आँसू पोंछती हुई बोली।
” ये हुई ना बात !” अर्पिता ने ये बोल उसे गले लगा लिया।
दोस्तों आपको क्या लगता है आजकल जो बड़े शहरों मे कुछ लोगो मे लिव इन रिलेशनशिप की प्रवर्ती बढ़ रही ये सही है ? क्या ये हमारे समाज से विवाह नाम की संस्था को खत्म नही कर देगी ? क्या लिव इन मे रहकर सुरक्षित भविष्य हो सकता है ? क्या ये रिश्ता हमारे समाज को मंजूर होगा क्या हम खुलकर अपने माँ बाप से कह सकेंगे कभी कि हम लिव इन रिलेशनशिप मे है ?…कभी नही फिर क्यो ऐसे रिश्ते को अपनाना क्यो ना ऐसा रिश्ता अपनाये जो सदियों से भारतीय संस्कृति की पहचान रहा है । क्यो ना किसी से लिव इन रिलेशनशिप रखने कि जगह सारी जिंदगी एक रिलेशन मे लिव किया जाये।
ये मेरे विचार है कृपया नकरात्मक टिप्पणी ना करे अगर आपको मेरी कहानी से कोई एतराज है तो इसे स्क्रॉल कर आगे निकल जाये
#पछतावा
धन्यवाद
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
Nice story. Look likes is inspired from The Kerala Story 👍
बहुत अच्छा सामाजिक विषय चुना है, या सामाजिक कुरीती कहूँ तो ज्यादा सही होगा !
आजकल की युवा पीढ़ी में गर्लफ्रेंड बायफ्रेंड का कल्चर आम है इसे भी फैशन की अपनाया हुआ है, कि उसका है तो हमारा क्यों नहीं, साथ ही शादी से पहले किसी के साथ रिलेशनशिप में रहना जो पहले पाप समझा जाता था, वो अब आजादी की उड़ान समझा जाता !
खैर बात करें अगर आपकी कहानी की, तो रोहान जैसे समाज में भरे पड़े हैं जिनका काम ही भोली भाली लड़कियों को बहला फुसलाकर अपना मतलब सीधा करना और फिर फेंक देना
और इसका मूल कारण है संस्कारों की कमी, अमीर साहबजादों के जायज नाजायज मांगों को पूरा करते हुए
उनके माँ बाप ये नहीं समझ पाते कि उनके बच्चे समाज के लिए एक जहर या कोई लाईलाज बीमारी जैसा बनते जा रहे है, इसलिए सभी से निवेदन है मेरा अपने बच्चों को ऐसा बनाए की उनमें दूसरे का सम्मान करने की भावना हो,
किसी का बुरा सोचने में डरे वो कि कैसे आईना देख पाएंगे
लिव इन रिलेशनशिप पूरी तरह गलत है पाश्चात्य संस्कृति अपनाने की होड़ में हम अपने देश की संस्कृति को भूल गये है
जहां एक नारी की गंगा जैसी पावन नदी से तुलना की जाती है
उसी पर दाग़ लगाकर हम कैसे खुश रह सकते है
हमें सोचना होगा कि हम गलत कर रहे हैं 🙏🙏