एक परोपकारी राजा था। उसके राज्य में उसकी प्रजा बहुत ही खुशी पूर्वक अपना जीवन बिताती थी और वह अपने प्रजा का भी बहुत ही ख्याल रखता था उसने अपनी प्रजा के लिए कई जगह अनाथ आश्रम, धर्मशाला और सराय बनवा रखी थी उस राजा के राज्य में कोई भी आदमी भूखा नहीं सोता था। उसके सैनिक पता लगाकर उस निर्धन के खाने की व्यवस्था करते थे। अपनी दान शीलता के कारण राजा विख्यात था।
राजा अपनी बेटी की शादी एक बहुत ही बड़े राजघराने में करना चाहता था लेकिन उसे पता चला कि उसकी रानी उसी के महल के एक साधारण सैनिक से प्रेम करती है और उसे प्रेम विवाह करना चाहती है। जब यह बात राजा को पता चला तो राजा को बहुत बुरा लगा कि राजा की बेटी एक सैनिक से प्यार करती है।
लेकिन रानी अपनी बेटी के पक्ष में थी क्योंकि उनका मानना था कि बेटी की शादी उसी से करनी चाहिए जिससे लड़की प्रेम करती है अगर हम जबरदस्ती इसकी शादी किसी राजकुमार से कर भी देंगे तो इसका जीवन नरक की तरह हो जाएगा।
रानी ने राजा को सैनिक से शादी करने के लिए मना लिया। रानी ने राजा से कहा आप पूरे राज्य में दूसरे लोगों की मदद करते रहते हैं तो क्या आप अपनी बेटी की मदद नहीं कर पाएंगे उसको आप इतना धन दे दीजिए कि वह खुद ही अमीर हो जाए फिर सैनिक आपके बराबरी में आ जाएगा।
राजा ने अपनी रानी से कहा कि महारानी किसी को देने से कोई अमीर नहीं बनता है यह तो सब भाग्य का खेल होता है रानी ने कहा आप एक बार उस सैनिक को अपना धन देकर तो देखिए।
कुछ दिनों के बाद राजकुमारी की शादी उस सैनिक से हो गई और विदाई में बहुत सारी राजा ने गिफ्ट दिया और जाते वक्त सैनिक को जो राजा का अब दमाद बन गया था राजा ने एक पैकेट दिया और बोला इसमें हमारी पसंद की मिठाई है इसे आप अपने घर पर ले जाकर खोलना लेकिन याद रहे यह मिठाई का डब्बा आप ही को साथ ले जाना है।
राजा का दामाद का घर महल से काफी दूर था तो रास्ते में जाते जाते राजा का दामाद ने सोचा कि यह तो बहुत भारी है क्यों ना मैं इसे अपने सैनिकों को ले जाने को दे दूं और फिर राजा को भी यह बात पता थोड़ी चलेगा यह मिठाई का पैकेट मैं ले कर ले गया था या कोई और।
कुछ दूर चल सैनिकों ने राजा के दामाद से कहा कि हमें बहुत जोर से प्यास लगी है आपकी आज्ञा हो तो इस डब्बे में से कुछ मिठाई खा सकते हैं। राजा का दामाद ने सोचा कि इसके अंदर मिठाई तो है कौन सा इस में सोने-चांदी भरा हुआ है खा लेंगे तो क्या हो जाएगा उसने सैनिकों को कहा कि ठीक है डब्बे खोल कर जितना मिठाई खाना है खा लो फिर डब्बा वैसे ही पैक पैक कर देना।
सैनिकों ने मिठाई निकाल कर तोड़कर जैसे ही खाना चाहा वह देखा कि हर मिठाई के अंदर सोने का टुकड़ा रखा हुआ है। राजा के सैनिकों ने यह बात राजा के दामाद को नहीं बताई बल्कि वह सारे सोने के टुकड़े अपने पास रख लिए और वापस आकर राजा को दे दिया।
राजा ने अपने सैनिकों से पूछा कि यह सोने का टुकड़ा तुम्हें कैसे मिला यह तो मिठाई के अंदर था। राजा के सैनिकों ने पूछा कि महाराज क्या आपको यह पता था कि मिठाई के अंदर सोने का टुकड़ा है। राजा ने कहा हां मुझे पता था लेकिन पहले तुम यह बताओ यह टुकड़े तुम्हारे पास कैसे आए।
सैनिकों ने राजा से पूरी कहानी बता दिया कि उन्हें रास्ते में प्यास लगा तो उनके दामाद ने यह पैकेट खोल कर खाने को दे दिया तो हमें जब पता चला कि इसके अंदर सोने का टुकड़ा है तो हमने आपको वापस करने के बारे में सोचा हमें लगा गलती से किसी ने इसके अंदर रख दिया है।
राजा ने वह सोने का टुकड़ा अपने पास रखकर सैनिकों को जाने को कहा।
थोड़ी देर बाद राजा ने अपनी महारानी को बुलाया और बोला देखो महारानी मैंने आपसे कहा था ना कि जिसके भाग्य में धन नहीं लिखा रहता है चाहे आप उसकी कितनी भी मदद कर दो वह उसको नहीं मिल सकता है। मैं आपके दामाद को एक पैकेट दिया था और बोला था कि यह पैकेट खुद ही लेकर जाना और अपने घर जाकर इसे खोलना लेकिन तुम्हारे दामाद ने इसे सैनिकों को दे दिया और सैनिकों को यह भी बोल दिया कि इसमें रखे हुए मिठाई खा लो और सैनिकों ने उसके अंदर जो हमने सोने का टुकड़ा रख रखा था वापस लाकर मुझे ही दे दिया।
रानी अब समझ गई कि किसी की मदद करने से कोई भी धनवान नहीं बन सकता है बल्कि धनवान आदमी अपने मेहनत और कर्मों से होता है इसीलिए दोस्तों हमें कभी भी किसी से किसी भी चीज की आस नहीं लगानी चाहिए बल्कि अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि कर्म से बड़ा कुछ भी नहीं होता है।