अरे सुनो पता है मिसेस वर्मा के बहु बेटे का तलाक होने वाला है। शान्ति बोली, अच्छा ऽऽऽ क्या बात करती हो बड़ी गज़ब की खबर,शान्ति तुमको किसने बताया झुँड में खड़ी कुछ महिलाएं एक साथ बोल पड़ी.. तुम तो अभी नई नई ही आई हो हमारे अपार्टमेंट में…तुमको तो सारी खबरें रहती है रेखा जी आंँखें मटकाती हुई बोली। हाँ सच में रोज ही कुछ न कुछ नया सूनाकर मंनोरंजन कर ही जाती है सबका ये शान्ति । जब से आई हमारे अपार्टमेंट में रौनक कर देती है .. भई बड़ा मजा आता इसकी बातों को सूनकर मुझे तो ।
अरेऽऽ अभी नीचे के फ्लैट वाली से बात हुई शान्ति हाथ नचाते हुए बोली…मुझे गम चाहिए था उनसे लेने गई तो वही सब बता रहीं थी बड़ी भली है बेचारी कह रही थी किसी से कहना मत, “अब मैं क्यों भला किसी को कहने लगी तुम तो सब अपने हो भला तुम से क्या छिपाना” धीरे धीरे जंगल में आग की तरह पूरी सोसाइटी में यह बात फैल गई मिसेस वर्मा की।
मिसेस वर्मा सोसायटी में काफी प्रतिभाशाली प्रतिष्ठित महिला पति भी सरकारी आफिसर बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर बहु भी कामकाजी बेटी सरकारी अस्पताल में डॉक्टर सास ससुर भी अच्छे पद पर अवकाश प्राप्त अधिकारी। सोसायटी के क्रियाकलापों देख-रेख फंक्शन हर में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाला भरा पूरा परिवार । उस परिवार की बहु बेटे के तलाक का सुनकर हर किसी का चौकना स्वाभाविक ही है।
ख़बरें फैलाती शान्ति अभी उस गुंजन अपार्टमेंट में नई हीं आई थी बोल चाल में मधुर इतनी की अपने व्यवहार से किसी को भी मोहित कर लेती। मिलनसार इतनी की हरको अपनी सी लगने लगती। अक्सर इधर उधर घूमती नजर आ ही जाती। जहां खड़ी हो जाती दो चार महिलाओं का जमावड़ा हो ही जाता।
खबरों की भंडार एकदम ताजा न्यूज पेपर जब बोलना शुरू हो जाती तो दो चार खबरें सुनाये बिना न खिसकती….अब वैसे भी दो चार महिलाएं एकत्र हो और इधर उधर की चर्चा न हो यह तो असंम्भव ही होगा …शान्ति की खासियत इधर की उधर, उधर की ईधर करके एक दूसरे को फंसा खुद साफ बचकर निकल जाती।
गुंजन अपार्टमेंट में कुछ महिलाएं कामकाजी भी थी जो इस तरह की चुगली में कम ही शामिल होती । गुप्ता जी का परिवार भी उन्हीं में से एक परिवार अपने में मस्त तो शान्ति जैसे लोगों की नजर में खटकता भी खूब था । वैसे शान्ति सबको कहीं न कहीं पकड़ ही लेती और निन्दा रस का मजा चखा ही देती.. आनन्द में कामकाजी महिलाएं भी अपने काम की समाप्ति पर मजा लेना नहीं भूलती । कुछ अक्सर कहने से भी नहीं चूकती….
“ इन निन्दा करती महिलाओं के सोच के दायरे बहुत ही सीमित है, न जाने कैसे इनके पाता व्यर्थ की बातें करने का समय निकल जाता है “ ?
आज तो सुबह सुबह शान्ति ने ज्योति के घर का दरवाजा खटखटाया..
” नमस्ते ज्योति जी कैसी है आप “
(आवाज इतनी मिश्री घूली किसी को भी मोहित करके रख दे)
हाँ मैं अच्छी हूँ शान्ति जी कहो कैसे आना हुआ ज्योति बहुत जल्दी में थीं इसलिए जल्दी जल्दी बोल गई ।
मुझे आपकी स्त्री ( प्रेस ) चाहिए अभी आधा घंटे में दे जाऊंगी।
हाँ क्यों नहीं शान्ति जी ले जाइये…?
लेकिन आप शाम को ही लौटाना अभी मुझे आॕफिस के लिए निकलना है बड़ी देर हो रही है।
ठीक है ज्योति जी मैं तो और जल्दी आने वाली थी आपके पास पर नीचे फ्लैट वाली रेनू जी ने रोक लिया बता रही थी साथ वाले फ्लैट वाली सास बहू का इतना झगड़ा हुआ इतना झगड़ा हुआ क्या बताये…? आज तो माँ के कहने पर बेटे ने बहू को थप्पड़ भी मार दिया और पता है उनकी बहू घर ही छोड़कर चली गई बहुत बूरी तरह रो रही थी बेचारी ।
अरे ऐसा क्या हुआ…? वैसे तो इतने पैसे वाले समझदार बनते हैं वो लोग, ऐसे कैसे अत्याचार कर सकते हैं वो अपनी बहू पर… बताओ कैसै कैसे लोग दुनिया में बातें तो बड़ी बड़ी करते एक बहु नहीं सम्भल रही इन लोगो से ज्योति दुखी स्वर में बोली…?
हाँ वही तो… शान्ति मचक कर बोली। चलो शाम में करती तुमसे बात अभी ऑफिस जा रही।
ज्योत अभी गेट पार ही कर पाई थी सामने ठेली पर वही सास बहू एक साथ सब्जी खरीदती नजर आई । दोनो ही मस्त खिलखिला रहीं ज्योति ने कुछ पल उनको देखा फिर थोड़ा सारूककर बहू से पूछ ही लिया.. आप कहीं बाहर गई थीं क्या..?
नहीं तो मैं तो महिने भर से बाहर ही नहीं गई एक महिने से लीव पर चल रही हूँ आजकल सासू माँ मेरी काफी देखभाल कर रही हैं।
ओह लगता है खुशखबरी है… कोई… ज्योति बोली लेकिन मुझे शान्ति बता रही थी आप दोनों सास बहु का झगड़ा हुआ तो बहु घर छोड़कर चली गई
यह सुनकर तो सास आगबबूला हो उठी गुस्से से तमतमाया चेहरा बोल पड़ी… अरे मेरी बहु क्यों घर छोड़कर जायेगी…? ,घर छोड़कर जाये मेरे दुश्मनों की बहुएं । पता नहीं लोग कहाँ कहाँ से बातें बनाकर ले आते हैं…? ऐसे लोग पहले अपने घर में झांक कर देखें…तब दूसरों के बारें में बातें करें । अरे ये लोग सामने क्यों बात नहीं करते पीठ पीछे बातें बनाने का फायदा भी क्या है…?
गहमा-गहमी सा माहौल बात बिगड़ती देख ज्योति जी ने मुश्किल से जान छुड़ाई और ऑफिस के लिए भाग खड़ी हुई।
“ ऐसी शर्मनाक स्थिति और स्थिति साफ करने के लिए बार बार, स्पष्टीकरण देना पड़े इसलिए जहां तक हो यथा सम्भव बचने का प्रयास करना ही सही है “ ।
शाम को जब शान्ति जब ज्योति जी के घर प्रेस वापस करने आई तब उसको सारी बातें बताई अब शान्ति तो दूसरों को फंसा बच निकलने में माहिर दो चार ऊपर नीचे वालों का नाम लगा बचने की कौशिश करने लगी।
ज्योति जी काफी सुलझी हुई महिला अगर किसी पर टूटकर विश्वास भी करना जानती है तो गलत होने पर दूध का दूध पानी का पानी करना भी जानती ही हैं। शान्ति को समझाती है…”यह सही है निन्दा रस में बड़ा ही मज़ा आता है। परन्तु यह निंदा रस इंसान के अन्दर नकारात्मकता भर जाता है। कभी कभी दूसरों के सामने स्थिति को खत्म कर देता है। वो शान्ति को समझाती है….।
“कहते हैं दीवारों के भी कान होते हैं इसलिए आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जायेगी ऐसे में आपसी सम्बन्ध बिगड़ने में देरी नहीं लगती है”!!
अब शान्ति देखती है ज्योति उसे झूठा साबित करने में तूली हुई है वो दूसरों ने बताया कह बात टालने की कोशिश में लगी रहती है। मगर इस बार सोसायटी का माहौल काफी खराब हो जाता है। मिसस वर्मा और सास बहु की प्रताड़ित जोड़ी ज्यौति जी के यहां आ धमकती है। और शान्ति को खूब आड़े हाथों लेती है।
धीरे धीरे सभी फ्लैट वाली महिलाएं एकत्रित हो जाती है। कुछ एक शान्ति के बचाव पक्ष में बोलती भी है मगर मिसेस वर्मा के आगे किसी की नहीं चलती…सबकी उपस्थिति में किस पर दोष मंडती आखिर शान्ति गलत साबित हो ही जाती है सबसे माफी मांगने के सिवाय उसके पास कोई चारा नहीं रहता है। आगे से ऐसा न करने की कसम खाती है। तब ही जाकर मिसेस वर्मा उसको बख्शती है।
माना कि निंदा रस जिसके रसपान से सबको, विशेष कर महिलाओं को आनन्द आता ही है…मगर यह नहीं भूलना चाहिए दुनिया गोल है इसके सिद्धांत की ही भांति दो महिलाओं के द्वारा तीसरी महिला के बारे में की हुई चुगली निंदा एक से दूसरे तक होते हुए चौथी,पाँचवीं तक पहुँचने में देरी कहा लगती है…? पता ही नहीं चलता कब इसके भयानक नतीजे भी सामने आ जाते हैं।
एक सा व्यवहार रखना सही होगा। किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने की जिज्ञासा नहीं रखनी चाहिए और न ही दूसरे के बारे में व्यर्थ ही जानकारी दें।अपनी समस्या पड़ोसियों के बीच गाने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि उनके पास आपकी समस्या का कोई समाधान नहीं है। समस्या वही बताना सही जहां समाधान मिले वरना शान्ति जैसी जग में उड़ाने वालों की कमी कहां इस जहां में..?
लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया