बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं, और कैफे के भीतर आकाश चुपचाप मेजें साफ कर रहा था। कभी जो हाथ ब्रश से सपनों के रंग भरते थे, आज वही हाथ झूठी प्लेटें समेट रहे थे। भीड़ के शोर में भी उसका मन अजीब सी खामोशी में डूबा बुझा सा था।
“क्या यही मेरी मंज़िल थी?” — उसने खुद से सवाल किया।
कुछ साल पहले तक आकाश का नाम शहर के प्रतिभाशाली युवा चित्रकारों में गिना जाता था। उसकी पेंटिंग्स में जीवन की अनकही कहानियाँ होती थीं, और लोग उसकी कला में डूब जाते थे। उसका सपना था — अपनी खुद की आर्ट गैलरी खोलने का, जहाँ उसकी दुनिया भर की रचनाएँ सजी रहें।
लेकिन जिंदगी हमेशा सपनों के मुताबिक नहीं चलती। कॉलेज खत्म होते ही परिवार पर आर्थिक संकट टूट पड़ा। पिता का कारोबार ठप हो गया, और घर का खर्च चलाने के लिए आकाश को अपना ब्रश छोड़ मजबूरी में उसे एक छोटे से कैफे में वेटर की नौकरी करनी पड़ी ।
शुरुआती दिनों में वह खुद से लड़ता रहा। उसे लगता था कि उसकी सारी मेहनत, उसकी सारी कला — सब व्यर्थ हो गई। लेकिन धीरे-धीरे उसने हालातों के सामने झुकने के बजाय, हालातों के बीच खुद को बचाए रखने का निश्चय किया। रात के सन्नाटे में, काम से लौटने के बाद, वह फिर से अपने पुराने स्केचबुक में रंग भरने लगता।
एक दिन, कैफे में एक वृद्ध सज्जन आए। उनका व्यक्तित्व साधारण नहीं था। उन्होंने कैफे की दीवार पर बने एक सुंदर स्केच पर नजर डाली — एक उदास लड़की की तस्वीर, जिसमें आँखों से गिरती बूँदें उम्मीद के रंगों में घुलती जा रही थीं ,शायद खुद की अभिव्यक्ति की थी ।
“यह किसने बनाया?” — उन्होंने जिज्ञासा से पूछा।
“हमारे वेटर आकाश ने,” मैनेजर ने मुस्कराते हुए बताया।
वह सज्जन अनिरुद्ध वर्मा थे — शहर की सबसे प्रसिद्ध आर्ट गैलरी के मालिक। उन्होंने आकाश से बातचीत करते हुए उसके कुछ पुराने चित्र देखे।
प्रभावित होकर उन्होंने आकाश को अपनी गैलरी में एक छोटी प्रदर्शनी लगाने का मौका दिया।
आकाश के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा था। उसने रात-दिन मेहनत की। जब प्रदर्शनी लगी, तो लोगों ने उसके चित्रों में छिपे दर्द, संघर्ष और आशा को महसूस किया। उसकी पेंटिंग्स हाथोंहाथ बिक गईं। मीडिया ने उसकी कहानी को फैलाया — ‘कैफे का वेटर जिसने रंगों से दुनिया जीती’।
कुछ वर्षों में आकाश ने अपनी खुद की आर्ट गैलरी खोली — नाम रखा, ‘नई दिशा’। उसी गैलरी के उद्घाटन पर वह भावुक होकर बोला,
“अगर मेरा बुरा वक्त न आता, तो शायद मैं खुद को इतनी गहराई से नहीं जान पाता। कठिनाइयाँ हमें तोड़ने नहीं, संवारने आती हैं। जो झुकते नहीं, वही एक दिन आसमान छूते हैं।”
आज आकाश की कहानी हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है। वह हर किसी को याद दिलाता है —
बुरा वक्त, अगर सहनशीलता ,धैर्य और विश्वास से जिया जाए, तो वही हमारे जीवन को नई दिशा दे जाता है।'”मुश्किलें हमें गिराने नहीं अपितु,
वे हमें मजबूत बनाने आती हैं।
सोना तपकर ही कुन्दन बनता है।
स्वरचित डा० विजय लक्ष्मी
‘अनाम अपरा
#हमारा बुरा वक्त हमारे जीवन को नई दिशा दे जाता है