नसीहत जिसने जीना सिखा दिया… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज क्लाइंट की अचानक से मीटिंग होने से रीना को ऑफिस से निकलते रात हो गई, ऑफिस की कार उसे घर तक छोड़ने आई, अपनी बिल्डिंग के नीचे उतरते ही उसे मिसेज वर्मा मिल गई, जो डिनर के बाद वाक कर रही थी,उनके साथ वाक करती सोसाइटी की कुछ और महिलायें भी रीना को देखते ही रुक गई..”इतनी रात में कहाँ से आ रही हो “मिसेज वर्मा ने पूछा।

“ऑफिस में आज एक मीटिंग अचानक से आ गई इसलिये देर हो गई “कुछ झिझकते हुये रीना बोली,

” तुम्हारे ही ठाट हैं, ना कोई पूछने वाला ना कोई रोकने वाला.. मजे हैं तुम्हारे… वैसे इतनी रात में भी ऑफिस में मीटिंग होती है या कोई और मीटिंग थी,”होठों को गोल करते उन्होंने रीना को ऊपर से नीचे देखते हुये कहा…,साथ की महिलाओं की दबी हँसी ने रीना के गुस्से को हवा दे दी .।रीना का गुस्से से लाल पड़ता चेहरा देख वो संभल गई।

 “समय बहुत खराब है,बिना पुरुष,अकेली औरत के लिये तो और खराब है, खैर तुमको क्या फर्क पड़ता है,तुम्हे तो स्वतंत्रता प्यारी है तभी तो पति से अलग हो गई…,अपनी तो आदत है, किसी का बुरा नहीं चाहते इसलिये आगाह कर देते हैं, “मिसेज वर्मा बोलीं।

रीना लिफ्ट में चली गई।पीछे कुछ सम्मिलित हँसी सुनाई दी, रीना की आँखों में आँसू झिलमिला आये ..।

तलाक का निर्णय उसका नहीं था फिर भी समाज उसे ही दोषी ठहराता है, वो तो प्रताड़ना झेल ही रही थी पर बेवफाई नहीं सह पाई, अलग हो जाना ठीक समझा…।

अपने दुख से उबरने में उसे कई महीने लग गये, किसी तरह माँ के समझाने पर उसने नया जॉब नये शहर में पकड़ा, लेकिन यहाँ भी वो अकेली होने से सबके जिज्ञासा की केंद्र बन गई।

रीना हर दिन अपने बिखरे हौंसले को संजो कर हिम्मत बांधती, लेकिन रोज कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता उसकी हिम्मत जवाब दे देती।

फ्लैट में पहुँच रीना बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर लेट गई, इंसान तन से थकान इतना महसूस नहीं करता जितना मन से थका होने पर महसूस करता..। अकेले फ्लैट में कई बार रीना की नजरों के सामने विवाहित जीवन के दृश्य तैर जाते पर वे खुश नहीं करते, भयभीत करते थे…।

किसी शादी में रीना की मोहनी सूरत देख अमन फिदा हो गया था, उसके घर शादी का रिश्ता भिजवाने में उसने देर ना की..। रीना के माता -पिता भी शहर के प्रतिष्ठित परिवार से आये रिश्ते को अपना सौभाग्य माना, चट मंगनी पट विवाह कर, कन्या ऋण से उऋण हो गंगा नहा आये…।

कुछ समय अच्छा बीता, सब कुछ ठीक था, रीना ने नोटिस किया अमन थोड़ा शक्की मिजाज का है..,अमन देर से आता तो कोई उससे कुछ नहीं कहता लेकिन रीना को जरा सी देर होती तो सास -ससुर से ज्यादा अमन ताने देने लगता,.. रीना समझाती, जैसे तुम्हारे ऑफिस में अचानक मीटिंग हो जाती है, वैसे मेरे ऑफिस में भी अचानक मीटिंग कॉल आ जाती…। पर अमन के शंकित मन को वो समझा नहीं पाती…।

अमन अब बात बे बात पर हाथ भी उठाने लगा….,रीना इसे भी चुपचाप सहन कर जाती, जानती थी उसके द्वारा उठाया कोई भी कदम उसके माँ -पिता की इज्जत पर बट्टा लगा देगा।

एक दिन रीना ऑफिस में किसी के फेयरवेल के लिये गिफ्ट लेने मॉल गई, वहाँ अमन को किसी लड़की के साथ कॉफी शॉप में बैठे देखा, लड़की कह रही थी “अगर तुम्हारी वाइफ आ गई तो….?
“तो क्या होगा… मै उससे डरता नहीं,”कहते अमन की निगाह रीना पर पड़ी…।
रीना चुपचाप घर लौट आई, सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है पर बेवफाई नहीं…,रात भर रीना सो नहीं पाई, अमन देर रात आया और बिना कुछ बोले दूसरी तरफ मुँह करके सो गया…।

सुबह चाय देते समय रीना को चक्कर आ गया, चाय अमन की वाइट शर्ट पर जा गिरी, अमन ने जोर से धक्का दिया, रीना दरवाजे पर जा गिरी, बस आँखों बंद होने से पहले देखा, उसके पापा सामने खड़े थे..।

अस्पताल में उसे होश आने पर पापा बिलख गये “तूने एक बार भी अपने ऊपर होने वाले अत्याचार को नहीं बताया, इतना पराया कर दिया हमें…, अरे बेटी का हाथ दिया है, जान लेने का अधिकार नहीं दिया….”।

 डॉ. ने पीठ पर पड़े बेल्ट के निशान भी पापा को दिखाया…। उसके दोनों हाथ पकड़ पिता ने कहा “अब तू उस घर नहीं जायेगी…”

. “नहीं पापा, कहीं मेरी वज़ह से टीना और तनय के विवाह में अड़चन आया तो,.मै तलाक नहीं लूंगी, मैंने अमन को दिल से चाहा…”nरीना बोली…।

“रीना मैंने पहले ही गलती कर दी,अपने बच्चों को अन्याय से लड़ना नहीं सिखाया….अब और गलती नहीं करना चाहता हूँ….,तू खुश है इसलिये फोन नहीं करती , ये सोच मै तुझे कॉल नहीं करता, पर उस दिन जाने क्यों मेरा मन तेरे लिये घबरा रहा था, इसलिये बिना बताये तेरी ससुराल आ गया, ईश्वर ने सही समय पर मुझे वहाँ भेजा था, नहीं तो तेरा बचना मुश्किल था…,बेटा जबरजस्ती कोई सम्बन्ध नहीं बनता, अगर अमन को तेरी कद्र नहीं तो अपमान सह कर वहाँ रहने का कोई मतलब नहीं…”पिता ने समझाया…।

रीना ठीक हो घर आ गई लेकिन ससुराल से उससे मिलने ना तो अस्पताल में, ना ही घर पर कोई मिलने आया। ना किसी ने फोन किया…। रीना का मन डांवाडोल हो रहा था, एक तरफ सोचती अमन उससे माफ़ी मांग ले तो वो माफ कर देगी, दूसरी तरफ उसकी प्रताड़ना और हिंसा याद आते ही नफरत से भर जाती…।
कुछ महीने बीत गये,जब तक वो लोग कुछ सोचते अमन की तरफ से तलाक के पेपर आ गये… विवाह के शुरआत के दिनों की मधुर स्मृतियाँ और प्रताड़ना का दंश मन में दबाये बुझे मन से रीना ने तलाक के पेपर पर साइन कर दिये..।

ठीक ही कहा था पापा ने “जब उसको कद्र नहीं, तो सम्बन्धो को ढोने से कोई फायदा नहीं ..”

 माँ -पापा और भाई -बहन के सपोर्ट से एक बार रीना फिर जीने के लिये उठ खड़ी हुई…।लेकिन वो जहाँ भी जाती अकेले होने पर, लोग उसे ग्रांटेड ले लेते और नसीहतों की पोटली थामा देते..। विशेष कर पुरुष वर्ग, जो शायद उसके अकेले रहने के निर्णय को पचा नहीं पा रहा…। आखिर एक स्त्री को बिना पुरुष के रहने की हिम्मत कैसे हुई..।

किसी पार्टी या समारोह में वो किसी से बात कर ले तो कई दृष्टि उस पर चिपक जाती, वो पुरुष तो संदेह के घेरे में नहीं आता लेकिन महिलाये ही उसे संदेह के कटघरे में खड़ा कर देती … फिर नसीहतों का दौर चालू हो जाता ..।

अगली सुबह माँ का फोन आया तो रीना की बुझी आवाज सुन बोली “क्या हुआ लाड़ो..”
संवेदना की आवाज सुनते ही रीना रो पड़ी… “देख रीना, अपनी लड़ाई कमजोर हो कर नहीं लड़नी चाहिए .., और दूसरों को करारा जवाब देना सीख, फिर तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा…, जितना सुनेगी, या दबेगी, लोग उठना सुनाएंगे या दबाएंगे…., इसलिये सुनना और दबना बंद कर दें…, जो जैसा है उसे वैसा ही जवाब दे…”

माँ की नसीहत को गांठ बांध रीना ने अब यही करना शुरु कर दिया …। मुँह पर जवाब देना शुरु कर उसने लोगों का मुँह बंद कर दिया। मिसेज वर्मा जब भी उसके देर -सवेर आने पर तंज कसती, रीना बोल पड़ती “सुना है वर्मा जी भी आजकल देर से आते है, संभल जाइये कहीं उनका कोई चक्कर तो नहीं ..”हँसी दबाये आगे बढ़ जाती…., अब मिसेज वर्मा जैसे लोग उसे परेशान नहीं करते

 रीना अकेले रहना और जवाब देना सीख गई इसलिये अब परेशान नहीं होती. खुश रहती…।

हमारे समाज में बहुत स्त्रियाँ तलाक का दंश झेल रही…गलती उनकी ना भी हो तो भी दोषी वही मानी जाती, हाँ कुछ जगह अपवाद भी है…, हर इंसान उसे आसानी से उपलब्ध समझ, बिना वास्तविकता जाने ढेरों नसीहत दे देता..।तलाकशुदा होना अपराध नहीं है, अगर है तो दोषी सिर्फ स्त्री ही क्यों ..,पुरुष क्यों नहीं …??

—संगीता त्रिपाठी 

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