गायत्री तुम शांत होने की बात कर रही हो, तुम ही बताओ कैसे शांत रहूं। जिस बेटे के लिये मैंने दिन रात मेहनत की , पढ़ाया लिखाया , इस क़ाबिल बनाया,अपने सपनों को अपने बेटे के सपनों की बलि चढ़ा दिया, आज वो ही बेटा मुझसे एक लड़की की खातिर ज़बान लड़ा कर गया है। मेरा अपमान करके गया है और तुम मुझे शांत रहने को कह रही हो। विवेक बाबू ने गुस्से और दुःख के मिलेजुले भाव के साथ अपनी धर्मपत्नी गायत्री से कहा।
विवेक बाबू के घर में कुछ ही देर पहले उनके और बेटे के बीच झड़प हुई थी, वजह थी सपना नाम की एक डांस बार की डांसर, जिसने विवेक और गायत्री के जवान बेटे राहुल को अपने जाल में फंसा लिया था। विवेक को सपना के आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, उसे सपना एक मासूम और लाचार लड़की नज़र आती थी।
सपना से राहुल की मुलाक़ात राहुल के ही एक दोस्त अश्विन ने करवाई थी , आश्विन का सपना के डांस बार में आना जाना था , अश्विन खुद भी एक बिगड़ा हुआ लड़का था , अक्सर राहुल के पिता उसे आश्विन से दूर रहने की हिदायत देते थे लेकिन अश्विन ने राहुल के दिलो दिमाग पर मानों जैसे कब्ज़ा कर रखा था , राहुल बड़े घर का लड़का था इसलिए अश्विन राहुल के आस पास ही रहता और अपने गलत कामों के खर्चे भी राहुल से ही उठवाता था।
राहुल की माँ गायत्री बेटे का हमेशा पक्ष लेती रही और उसके पिता की चोरी से राहुल को पैसे भी देती रही, राहुल उनसे कोई न कोई बहाना बनाकर पैसे लेते रहता था।
अब गायत्री देवी को भी लगने लगा था कि राहुल कुछ दिनों से देर से घर आ रहा है और उसकी पैसों कि डिमांड भी बढ़ती जा रही थी। उन्होंने कई बार राहुल से पूछा लेकिन वो माँ की ममता का फायदा उठता रहा।
आश्विन ने राहुल को डांस बार जाना सीखा दिया और वहां उसकी मुलाक़ात डांसर सपना से कराई।
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सपना धीरे धीरे करके राहुल के क़रीब आने लगी , कोई मज़बूरी और लाचारी की झूठी सी कहानी बनाकर उसने राहुल को सुना दी, जिसके बाद राहुल उसे सच्ची और अच्छी लड़की समझने लगा।
सपना ने राहुल के दिल दिमाग को इस क़दर कब्ज़ा लिया था कि आज राहुल अपने माता पिता के सामने उससे शादी करने की बात को लेकर अड़ा खड़ा था और अपने माता पिता के उपकारों को भूलकर सपना के नाम का राग अलाप रहा था।
राहुल तो माँ पिता के साथ बहस करके और उन्हें अपना फैसला सुनाकर निकल गया था लेकिन पीछे से विवेक बाबू और गायत्री देवी के दिलों के हज़ार टुकड़े कर गया था।
गायत्री, आज के दिन का सोचकर ही मैं तुम्हें राहुल को हद से ज़्यादा छूट और लाड प्यार देने के लिए रोकता था, मुझे यही डर था कि हमारा बेटा बिगड़ जायेगा। पर तुमने मेरी न सुनी और आज देख लो नतीजा। ऐसा नहीं है कि मैं राहुल से प्यार नहीं करता , वो इकलौता बेटा है हमारा , मैं उसे ख़ुद से ज़्यादा प्यार करता हूँ, लेकिन मैं उसे सही रस्ते पर चलते देखना चाहता था इसलिए उसे संस्कार और कुछ थोड़ी सख्ती के साथ पाला।
विवेक बाबू ये सब कहते कहते भावुक होने लगे तो गायत्री देवी ने उन्हें संभाला और अपनी गलती मानते हुए उनसे माफ़ी मांगी। मुझे माफ़ कर दीजिये, मैंने ममता में राहुल को बिगाड़ दिया।
नहीं गायत्री, तुमने सिर्फ ममता के आगे राहुल की गलतियों पर ध्यान नहीं दिया , तुमने उसे नहीं बिगाड़ा , उसे बिगाड़ा अश्विन ने है और अब मैं अपने बेटे को उस अश्विन और उस बार डांसर के चंगुल से निकाल कर वापस हमारे पास ले कर आऊंगा।
एक दृढ़ निश्चय करते हुए विवेक बाबू ने अपनी धर्मपत्नी से कहा और मन ही मन कुछ सोचने लगे।
दो दिन बाद विवेक बाबू ने राहुल को अपने कमरे में बुलाया और उससे कहा कि वो सपना के साथ उसकी शादी के लिए राज़ी है और उसकी शादी बहुत धूमधाम से करेंगे , हर अरमान उसकी शादी में पूरा करेंगे क्योंकि आखिर वो उनका इकलौता बेटा जो है।
पिता के मुंह से ये सब सुनकर राहुल ख़ुशी से उछल पड़ा और *मेरे प्यारे पापा मेरी प्यारी मम्मी* कहकर उनके गले से लग गया।
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तभी विवेक बाबू ने राहुल से कहा कि “बेटा , मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी ख़ुशी के लिए सपना से तुम्हारी शादी के लिए राज़ी हो गया हूँ और हम दोनों पति पत्नी तुमसे वादा करते हैं कि सपना को बेटी बनाकर रखेंगे , पर क्या तुम हमारी ख़ुशी के लिए हमें कुछ दे सकते हो ”
क्यों नहीं पापा , राहुल ने अपने पिता के हाथ थमते हुए कहा , कहिये पापा, क्या दे सकता हूँ मैं आपको।
बेटा, मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी शादीशुदा ज़िन्दगी बहुत खुशगवार गुज़रे , तुम अपनी पत्नी को वक़्त दे सको ,उसके साथ हंस खेल सको , घूमने फिरने जा सको। उसे तुमसे वक़्त की शिकायत न हो, एक लड़की अपना सब कुछ तुम्हारे लिए छोड़कर आये तो उसे अकेलापन महसूस न हो ,उसकी हर ज़रूरत में हर पल में तुम उसके साथ हो , लेकिन इन सबमें शायद तुम फेल हो जाओ और सपना को वक़्त न दे सको।
ये आप क्या कह रहे हैं पापा , मैं क्यों फेल होऊंगा , मैं सपना को पूरा वक़्त दूंगा , उसकी हर इच्छा हर सपने का मान रखूँगा, उसे पूरा भी करूँगा जैसे आपने माँ को वक़्त दिया , उन्हें कोई शिकायत का मौक़ा नहीं दिया , हर पल उनके साथ खड़े रहे वैसे ही मैं भी सपना के लिए सब कुछ करूँगा , उसे पूरा वक़्त दूंगा।
बेटा, तुम मेरी और अपनी माँ की मिसाल दे रहे हो लेकिन क्या तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारी माँ को कैसे वक़्त दे पाया , कैसे उसने हमेशा मुझे अपने पास पाया क्योंकि मेरे पास आश्विन जैसा कोई दोस्त नहीं था जो मुझे हर वक़्त अपने साथ लगाए रखे। मेरे सारे दोस्त घर परिवार वाले थे और सबको परिवार की गरिमा का पता था , लेकिन अश्विन ये सब नहीं जानता , वो जैसे आज तुम्हारे वक़्त और पैसों पर क़ाबिज़ है वैसे ही शादी के बाद भी रहेगा तो कैसे तुम सपना के साथ इन्साफ कर पाओगे। राहुल की बात सुनकर विवेक बाबू ने कहा।
पिता जी की बात राहुल के मन में घर कर गई और उसने अपने पिता से वादा किया कि वो आश्विन से दूरी बना लेगा और सपना और अपने परिवार को वक्त देगा।।
राहुल की इस बात पर विवेक जी मंद मंद मुस्काते हुए गायत्री देवी की तरफ़ देखने लगे।।।
राहुल ने अश्विन से मिलना बात करना लगभग बंद ही कर दिया था लेकिन सपना से वो रोज़ मिलता था और शादी के सपने संजोता था। अश्विन , राहुल में आये इस बदलाव को महसूस कर रहा था , उसे सब कुछ समझ आ रहा था कि अब उसकी दाल नहीं गल रही। राहुल के दूर होने की वजह से अश्विन अपने गलत ख़र्चे भी पूरा नहीं कर पा रहा था।
इधर कुछ दिनों से राहुल को सपना का बर्ताव खटकने लगा था , सपना राहुल से मिलने, उसका फोन उठाने में आनाकानी करने लगी थी। राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सपना के इस बदले बर्ताव का कारण क्या है ???
क्या बात है सपना , तुम मुझे इग्नोर क्यों कर रही हो , और ये क्या आज तुम फिर बार में। मैंने तुमसे मना किया है न कि अब तुम मेरी होने वाली बीवी हो , मेरे घर की इज़्ज़त हो , अब तुम इस बार में नहीं नाचोगी। तुम्हें पता है न कितनी मुश्किल से मैंने अपने घरवालों को तुम्हारे लिए मनाया है। चलो यहां से , और आज के बाद तुम यहां नहीं आओगी। राहुल ने सपना का हाथ पकड़कर कहा तो सपना ने झटके से राहुल से हाथ छुड़ा कर उसे पीछे धक्का दे दिया और बोली कि देखो, राहुल मेरे सामने बार बार शादी की पीपनी न बजाओ , कौन सी शादी कैसी शादी , ये तो तुम्हारा ख़याली पुलाव है।
राहुल हैरान परेशान सा बोला, ये तुम क्या कह रही हो सपना, हमने साथ कितने सपने देखे हैं।
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सपना गिरी हुई हंसी हंसती हुई बोली कि राहुल सपने तो हमने देखे हैं , लेकिन तुमने और मैंने नहीं, बल्कि मैंने और अश्विन ने। तुम तो हमारे सपनों को पूरा करने का मात्र एक मोहरा थे। अब जब तुम अश्विन से दूरी बना चुके हो तो मेरे किसी काम के नहीं , और तुमसे शादी करके मैं एक घरेलू औरत की तरह अपनी ज़िंदगी बर्तन झाड़ू तक सिमित नहीं कर सकती।
राहुल को समझ आ गया था कि अश्विन और सपना ने उसका इस्तेमाल किया है , उसके पैसों पर ऐश की है ,वो ग़ुस्से से तिलमिला उठा और उसने एक ज़ोरदार थप्पड़ सपना के जड़ दिया लेकिन इतने में वहां अश्विन आ गया और उसने राहुल को मारने के लिए चाकू निकाल लिया , अश्विन ने जैसे ही चाकू से राहुल को मारना चाहा , विवेक जी ने पीछे से आकर उसके हाथ पकड़ लिए और उसे काबू कर लिया , इतने में गायत्री जी वहां पुलिस को लेकर आ गई।
पुलिस ने सपना और अश्विन को षड़यंत्र और चाकू से हमला करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ ले गई।
राहुल गायत्री देवी के गले लगाकर फूट फूटकर रो दिया , गायत्री देवी उसे सँभालने लगी , इतने में उसने देखा कि उसके पिता विवेक बाबू के हाथों से खून बह रहा है क्योंकि अश्विन को काबू करते वक़्त उनके हाथ में चाकू लग गया था।
माँ से अलग होकर राहुल पिता के पास आया और उनके हाथों पर अपना रुमाल बांधकर उनके पैरों में गिर पड़ा और अपने किये की माफ़ी मांगने लगा।
पापा, मुझे माफ़ कर दीजिये , मैंने आपका बहुत दिल दुखाया है , मुझे माफ़ कर दीजिये।
विवेक जी को चुप देखकर राहुल ने फिर कहा “पापा , क्या आप मुझसे “नाराज़” है , क्या मुझे माफ़ नहीं करेंगे ”
राहुल , बेटा ये तो सच है कि मैं तुझसे नाराज़ हूँ, और मैं ही नहीं दुनिआ के हर माँ बाप ऐसी औलाद से नाराज़ होंगे जिन्हें वो अपने खून पसीने से रात रात भर जागकर पालते हैं , अपने सपने पुरे नहीं करते , अपने सपनों को अपने बच्चों में पलते देखते हैं. और सालों के त्याग, प्यार और सपनों को उनकी औलाद कल परसों से मिले रिश्तों की भेंट चढ़ा देते हैं बिना सही गलत जाने।
तो माँ बाप का नाराज़ होना तो बनता है बेटा।
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राहुल शर्मिंदा हो पिता की हर बात सुन रहा था, विवेक जी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि “राहुल, तुम्हें ये भी बता दूँ कि सपना को वक़्त देने का हवाला देकर मैंने ही अश्विन से तुम्हारी दोस्ती ख़त्म करवाई थी, मैं अगर सीधे कहता तो तुम कभी न मानते , इसलिए मैंने ये तरीक़ा अपनाया ताकि तुम अश्विन से दुरी बना लो और वो तुम्हारा और इस्तेमाल न कर सके और अश्विन और सपना की सच्चाई तुम्हारे सामने आ सके , अब तुम चाहो तो इस बात के लिए मझे क़ुसूरवार ठहरा सकते हो। “
नहीं पापा , मुझे और शर्मिंदा मत कीजिये पापा, मैं गलत लोगों के साथ ग़लत राह पर चल पड़ा था , आप मुझे वापस सही रस्ते पर ले आये। मुझे माफ़ कर दीजिये मम्मी पापा, आज से आप दोनों का हुकुम सर आँखों पर। बस मुझसे कभी नाराज़ न होना आप दोनों।
ठीक है , हम नाराज़ नहीं होंगे अपने बेटे से , लेकिन फिर तुम्हें हमारे साथ कल एक परी को देखने जाना होगा , जिसे हमने तुम्हारे लिए चुना है। बोलो मंज़ूर है।
विवेक बाबू और गायत्री देवी की ये बात सुनकर राहुल उन दोनों के गले लग गया।
आज विवेक बाबू की सूझबूझ से राहुल बर्बाद होते होते बच गया था , और एक परिवार में माँ पिता की अपनी औलाद से नाराज़गी ख़त्म हो चुकी थी और राहुल को भी समझ आ चुका था कि माँ बाप से ज़्यादा बेहतर औलाद के लिए और कोई रिश्ता नहीं होता।
शनाया अहम