“मम्मी जी जल्दी से खाना दो ना बहुत जोर की भूख लगी है” ऑफिस से आते ही मनोज ने अपनी मम्मी मधु से कहा तो रोजाना शराब के नशे में देर से घर आने वाले अपने बेटे को आज सही वक्त घर पर देखकर मधु का चेहरा खुशी से खिल उठा था बेटे को गरम-गरम खाना परोसते वक्त उसे कुछ समय पहले की बात याद आ गई थी जब उसके पड़ोस में अपने मम्मी पापा और खूबसूरत पत्नी के साथ हर समय खुशी खुशी रहने वाला पुलकित अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरों पर मोहताज हो गया था
एक कंपनी में जॉब करने वाला पुलकित बेहद मिलनसार और खुशमिजाज इंसान था जो अपनी मम्मी पापा और पत्नी पलक से बेहद प्यार करता था उसकी मम्मी पापा और पलक भी उसे बहुत प्यार करते थे मगर उनकी खुशियों को उस वक्त किसी की बुरी नजर लग गई जब एक दिन पलक ने पुलकित को जब वह रात के समय ऑफिस से आया तो उसे शराब के नशे में झूमते हुए देखा तो दुख के मारे पलक का दिल बैठ गया था जब उसने पुलकित से शराब पीने का कारण पूछा तो पुलकित मुस्कुराते हुए बोला
“मम्मी पापा से इस बारे में कुछ ना कहना मैं कल से शराब पीकर नहीं आऊंगा वह तो आज मैं एक दोस्त के जन्मदिन की पार्टी में गया था तब उसके जिद करने पर मैंने थोड़ी सी पी ली थी।” पति की बात पर विश्वास करके पलक ने उसकी बात मान ली थी और इस बारे में उसने अपने सास ससुर को कुछ नहीं बताया।
अगले दिन पुलकित ऑफिस से घर आया तो उस दिन भी वह शराब के नशे में था संयोग से उसके मम्मी पापा उस वक्त बाहर आंगन में ही बैठे थे बेटे को नशे में देखकर पुलकित के मम्मी पापा को बहुत गुस्सा आ गया गुस्से में पुलकित को डांटते हुए उसके पापा ने कहा” यदि आज के बाद तुम शराब पीकर आए तो ठीक नहीं होगा”तब पापा की बात सुनकर वह उनके पैर पकड़कर उनसे माफी मांगने लगा था जिससे पसीज कर उसके पापा ने उसे माफ कर दिया था।लेकिन कहते हैं ना की एक बार जिसके मुंह मदिरा लग जाए तो फिर जल्दी से वह छुटती नहीं है नहीं यहीं हाल पुलकित का भी हुआ।
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मम्मी पापा और पत्नी के मना करने के बाद भी पुलकित इतना जिद्दी हो गया था कि रोजाना शराब का सेवन करके घर आने लगा था जिसके कारण उनके घर का सुकून हमेशा के लिए छिन गया था परंतु , कहते हैं ना की जब इंसान माता-पिता और पत्नी के कहने पर भी अपनी आदतों को सुधार नहीं पाता तो भगवान उसे ऐसी सजा देते हैं कि इंसान हर चीज के लिए दूसरों पर मोहताज हो जाता है।
एक दिन पुलकित जब ऑफिस से घर आ रहा था तो एक दोस्त के साथ उसने काफी मात्रा में शराब पी ली थी जिसके कारण उससे ढंग से चला भी नहीं जा रहा था चलते हुए उसके कदम बुरी तरह से लड़खड़ा रहे थे तभी अचानक उसका संतुलन बिगड़ा और वह धडाम से जमीन पर गिर पड़ा उस वक्त जमीन पर एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ था उसमें पुलकित का सिर लग गया था पत्थर में सिर लगने के कारण पुलकित के सिर में गहरा जख्म हो गया था जिससे बुरी तरह से खून बहने लगा था ज्यादा खून बहने के कारण वह बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा था एक राहगीर ने उसे जब सड़क पर पड़े हुए देखा तो उसे पहचान कर उसने तुरंत उसके मम्मी पापा को फोन पर सूचना दे दी थी।
सूचना मिलने पर उसके मम्मी पापा और पलक ने उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया था जहां डॉक्टर के अथक प्रयास के बाद उसे होश तो आ गया था परंतु, सिर में ज्यादा चोट लगने के कारण उसके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था जिसके कारण अपनी दैनिक जरूरतों के लिए भी वह अपने मम्मी पापा और पत्नी पर मोहताज हो गया था अपनी दैनिक जरूरतों के लिए दूसरों पर मोहताज होने के कारण वह दुखी होकर भगवान से अपनी मुक्ति के लिए प्रार्थना करता था परंतु, जब तक इंसान को अपने कर्मों का फल ना मिले वह मुक्ति पाता कहां है बस हमेशा के लिए अपनी गलतियों के कारण दूसरों पर मोहताज हो जाता है।
मधु जब उससे मिलने जाती तो वह उसे देखकर भी रोने लगता था तब मधु उसे सांत्वना देकर अपने घर आ जाती थी मधु का एक ही बेटा था मनोज जिसकी कुछ दिन पहले ही एक कंपनी में मैनेजर की जॉब लगी थी हर नशे से दूर रहने वाला मनोज भी दोस्तों के नौकरी लगने की खुशी में पार्टी मांगने पर दोस्तों के कहने पर जब एक दिन शराब पीकर आया तो मधु को बहुत दुख हुआ तब मधु ने उसे शराब ना पीने के लिए बहुत समझाया परंतु, मनोज उसकी बातों को सुनकर मजाक में उड़ा देता था तब मधु ने उसे पुलकित का उदाहरण देकर समझाया
और उसे सही रास्ते पर लाने के लिए पुलकित के पास लेकर गई तब पुलकित की दयनीय हालत देखकर मनोज के होश ठिकाने आ गए थे और उसने अपने दोनों कान पकड़कर शराब पीने से तौबा कर ली थी “मम्मी जी एक रोटी और दो ना खाना देते हुए आप क्या सोचने लगी? जैसे ही मनोज ने कहा तो मधु ने एक और गरम रोटी उसकी थाली में रख दी थी बेटे को सही राह पर देखकर आज मधु के चेहरे पर चिंता की जगह मुस्कान थी नहीं तो पिछले कई दिनों से बेटे की गलत आदतों को देखकर उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गई थी।
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इस रचना के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि बच्चों में यदि कोई गलत आदत हो तो बड़ों के कहने से मान जाना चाहिए नहीं तो प्रकृति जब उसे अपनों से बड़ों का दिल दुखाने पर कोई दंड देती है तो सिवाय रोने के उसके पास कोई चारा नहीं होता।
#मोहताज
बीना शर्मा