ए सी वाले कमरे में सोते हुए भी प्रतिभा पसीने से तरबतर हो चुकी थी। वह हड़बड़ा कर उठ बैठी,वह बहुत परेशान थी,उफ! फिर वही सपना, वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सपना मुझे बार-बार क्यों आता है
वह इस सपने से बहुत ज्यादा डर जाती थी हालांकि वह इन बातों पर यकीन नहीं करती थी की भूत प्रेत होते हैं क्योंकि वह एक डॉक्टर थी डॉक्टर प्रतिभा एक गाइनेकोलॉजिस्ट।
लेकिन सपने में हर बार अपने 7 वर्षीय बेटे राघव को प्रेत आत्माओं के साथ खेलते हुए देखना उसे डरा देता था। यह सपना उसे पिछले 1 साल से आ रहा था। इस सपने से बचने के लिए उसने पंडित जी से धागा लेकर पहना,तांत्रिक से तंत्र मंत्र करवा ए, शास्त्री जी से पूजा पाठ और हवन करवाया लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला।
सोने से पहले उसे टेंशन हो जाती थी कि सोऊंगी, तो फिर वही सपना आएगा।
एक दिन जब वह अस्पताल से घर आई तो उसने देखा कि उसके बेटे की बोलने की आवाज आ रही है उसे लगा कि वह मेड से बात कर रहा होगा लेकिन उसने देखा कि मेड तो उसे कमरे में थी ही नहीं।
प्रतिभा- किस से बात कर रहे हो बेटा? ”
राघव- ममा, आप आ गई। मैं तो खुद से ही बात कर रहा था। ”
प्रतिभा हंसने लगी खुद से
कुछ दिन बाद उसने देखा कि वह किसी को बाय-बाय कर रहा है,उसने सोचा कि दोस्त को बाय-बाय कर रहा होगा,उसने खिड़की से देखा पर वहां तो कोई नहीं था। फिर प्रतिभा ने ज्यादा गौर नहीं किया।
फिर एक दिन उसे अस्पताल से आने में देर हो गई। वापस आने पर उसने सुना की राघव किसी से बात कर रहा था ” आज आपको कहानी सुनानी पड़ेगी।
प्रतिभा डर गई, राघव किससे बात कर रहा है। वह दौड़कर उसके कमरे में गई तो उसने देखा कि राघव अपने पापा पुष्कर से बातें कर रहा है। वह हैरान होकर बोली, ” अरे आप, आप कब आए, इस बार तो बताया भी नहीं। ”
पुष्कर-” मेरा काम जल्दी खत्म हो गया तो मैंने सोचा कि एक दिन पहले पहुंच कर तुम दोनों को सरप्राइज दे दूं। ”
प्रतिभा-” वैसे आपकी बिजनेस मीटिंग कैसी रही? ”
पुष्कर-” बहुत बढ़िया, एक बहुत बड़ा ऑर्डर भी मिलने की उम्मीद है। बिजनेस को बढ़ाने के लिए ही तो मैं हर तीन चार महीने में मुंबई जाता रहता हूं। तुम और तुम्हारा अस्पताल कैसे हैं, सब ठीक है। ”
प्रतिभा-” हां अस्पताल तो ठीक ही है पर मैं परेशान हूं। ”
पुष्कर-” क्या फिर वही सपना? ”
प्रतिभा-” हां वही ”
पुष्कर ने कहा-” तुम चल कर खाना लगाओ खाना खाते-खाते बात करते हैं मैं अभी राघव को कहानी सुना कर आता हूं। ”
थोड़ी देर बाद पुष्कर ने प्रतिभा से कहा -” मुंबई में मैं एक आदित्य नाम के शख्स से मिला,जिसके अंदर आत्मा, प्रेत आत्मा और जादू टोना ऐसी कई चीजों को पहचानने की अद्भुत क्षमता है। तुम कहो तो मैं उनसे बात करूं, उनका फोन नंबर है मेरे पास। ”
प्रतिभा-” बेकार है, कोई कुछ नहीं कर सकता, रहने दो बात मत करो, सपने को आने से कौन रोक सकता है? ”
पुष्कर-” हो सकता है वह इस सपने के आने का कारण बता दें, जब तुम इतना कुछ कर चुकी हो तो एक कोशिश और। ”
प्रतिभा-” अच्छा ठीक है”
पुष्कर ने आदित्य से फोन पर बात की,आदित्य ने कहा कि मैं आपके घर अगले हफ्ते आऊंगा। अगले सप्ताह आदित्य आ गया और वह पूरे घर में घूमने के बाद बोला-” पांच छोटे बच्चों का साया है, वह आपके बेटे से बात करती हैं, वह उनके साथ खेलता है, उन्होंने अब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, पर बाद में पहुंचा सकते हैं। ”
प्रतिभा हैरान थी। बिना कुछ बताएं उन्होंने जान लिया था। तब प्रतिभा ने उन्हें अपना सपना बताया। उन्होंने देखा कि राघव किसी से बात कर रहा है। प्रतिभा ने कहा कि मेरा बेटा खुद से बात करता है। आदित्य ने कहा-” वह खुद से नहीं बल्कि सामने वाले बैठे बच्चे से बात कर रहा है, जो आपको सपने में दिखते हैं, वह इसे असलियत में दिख रहे हैं। प्रतिभा ने यकीन नहीं किया हालांकि वह डर गई थी। ”
तब आदित्य ने राघव से कहा-” राघव बेटा, पिंक फ्रॉक वाली अपनी दोस्त से तुम बात कर रहे थे उसका और सफेद फ्रॉक वाली का क्या नाम है? ”
राघव-” गुड्डी, और वाइट फ्रॉक वाली का नाम आशी ”
प्रतिभा को याद आया कि ऐसे ही कुछ कपड़े पहने उसे बच्चियों दिखती है।
आदित्य ने उससे कहा कि “अब की बार तुम्हें सपना आए तो सपने में तुम उन बच्चियों से बात करने की कोशिश करना और पूछना कि तुम कौन हो और क्या चाहती हो”
प्रतिभा ने उनसे दो बार बात करने की कोशिश की और तीसरी बार वह बात करने में सफल हो गई। उन्होंने कहा-” तुम हत्यारिन हो, तुमने अपनी बच्चियों की हत्या की है और अब हम तुम्हारे बेटे को लेने आए हैं। हम उसे अपने साथ ले जाएंगे। ”
यह सब उसने आदित्य को बताया। आदित्य ने उसके अस्पताल के बारे में भी कुछ सवाल पूछे। आदित्य ने कहा जैसा मैं कहूं वैसा ही तुम अपने सपने में उनसे कहना।
प्रतिभा ने कहा ठीक है प्रतिभा ने वैसा ही कहा। अब एक सप्ताह हो चुका था उसे वह सपना नहीं आया था और राघव ने भी अकेले में बात करना बंद कर दिया था।
पुष्कर ने आदित्य के जाने के बाद पूछा-” प्रतिभा, आखिर आदित्य ने ऐसा क्या कहलाया था तुमसे? ”
प्रतिभा-” मैं आदित्य के कहे अनुसार उनसे कहा -” मेरी बच्चियों, मुझे माफ कर दो, बेटा पाने की चाह में मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। औरत होकर मैं ने बेटा और बेटी में भेद किया, खुद डॉक्टर होने का फायदा उठाया, पढ़ी-लिखी होकर भी मन में भेदभाव रखा। आप लोग मेरे बेटे को साथ ले जाना चाहती हो,
लेकिन वह तो निर्दोष है उसकी कोई गलती नहीं है। चाहे तो मुझे सजा दे दो पर राघव को अपने साथ मत ले जाओ। आखिर वह तुम्हारा ही तो भाई है। बहनें भाई की जान कैसे ले सकती हैं। मुझे माफ कर दो,मैं इतना ही कह सकती हूं कि मेरे अस्पताल में कभी भी चोरी छुपे भ्रूण जांच करके कन्याओं को समाप्त नहीं किया जाएगा,
मैं क्षमा के लायक नहीं हूं फिर भी मैं तुमसे माफी मांगती हूं। ” मेरे पछतावे के आंसू देख कर उन्होंने मुझे माफ कर दिया और मुझे चेतावनी दी कि आइंदा अगर गलती हुई, तो वे राघव को अवश्य ही अपने साथ ले जाएगी। ”
पुष्कर आप भी मुझे माफ कर दीजिए क्योंकि मैं बेटी न पाने के लिए चुपचाप अपना भ्रूण जांच करवा कर उसे कोख में ही मरवा देती थी और आपसे कहती थी कि मिसकैरेज हो गया और आप यकीन कर लेते थे। आप हर तीन-चार महीने में बाहर जाते थे इसीलिए आपको कुछ पता नहीं लगता था।
पुष्कर को भी यकीन नहीं हो रहा था कि एक डॉक्टर भी ऐसा कर सकती है और उसके मन में भी बेटा बेटी को लेकर भेदभाव हो सकता है।
लेकिन अब उसके पछतावे के आंसू देख कर लग रहा था कि वह सच बोल रही है।
स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली
#पछतावे के आंसू