मुझे हक है – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

“मुझे हक है” विवाह फिल्म का यह गाना ना जाने कितने ही लड़कियों की दिल की धड़कन बढ़ा देता हैं…. उस वक्त यह फिल्म आई थी, तब से आज तक जो लड़कियां नई-नई शादी के बंधन में बंधने जाती है… कहीं ना कहीं खुद को उस फिल्म की पूनम और अपने होने वाले पति को प्रेम के रूप में ही देखती है… पर शायद वास्तव जिंदगी फिल्मों वाली जिंदगी से काफी अलग होती है…

जहां ज्यादातर लड़कियां इस सपने को अपने ही पांव तले रौंदने पर मजबूर हो जाती है… जहां उसके हक की बात तो वह भूल से भी कर दे तो कोहराम मच जाता है… तनु भी अपनी शादी तय होने के बाद अपने होने वाले पति में प्रेम की छवि देख रही थी… उसका बड़ा मन था कि वह शादी से पहले ही अपने होने वाले पति से फोन पर बातचीत करें… एक दूसरे को जाने पहचाने…

पर यह बात उसकी होने वाली सासू मां ने यह कहकर ठुकरा दिया कि हमारा रौशन बहुत शर्मीला है… वैसे भी शादी से पहले ही सारी बातें कर लेंगे तो शादी के बाद क्या करेंगे..? तनु भी अपने मन को मसोस कर रह गई और यही से शुरू हो गई… उसके हक की आहुति देना… एक लड़की का हक होता है कि वह अपने जीवनसाथी को अच्छे से जाने पहचाने… पर तनु को यह मौका नहीं मिला…

पर वह खुश थी और सोच रही थी की शादी के बाद आने वाली नई जिम्मेदारियां को वह अच्छे से निभाएगी और फिर कुछ महीनो बाद उसकी शादी हो जाती है और वह अपने ससुराल आ जाती है… ससुराल आकर उसे पता चल गया कि उसका पति मां का लाडला है… मतलब मां के लाडले तो सभी होते हैं… पर यह था मां की बातों पर उठने बैठने वाला…

एक रोज तनु ने अपनी सास कमला जी से पूछ कर ही अपने पति की पसंदीदा खाना कढ़ी बनाती है… कमला जी उसे तभी कह देती है… हां बनाना है तो बना लो… पर वह खाएगा कि नहीं इस बात की कोई गारंटी ना है बहू… 

तनु:   पर क्यों मम्मी..?

 कमला जी:   वह तो बस मेरे हाथों की ही बनी कढ़ी खाता है… तनु फिर कुछ नहीं कहती… उसे लगा क्या पता उसका मन रखने के लिए ही उसका पति जरुर खा लेगा… पर खाने की टेबल पर जब तनु सबको खाना परोस रही थी… कढ़ी देखकर रौशन ने कहा… अरे वाह कढी… यह कहकर जैसे ही वह खाने लगा… कमला जी कहती है… बहू ने बनाई है जरा चखकर बता कैसी बनी है..?

रौशन:   क्या पर आपने उसे बताया नहीं कि मैं कढ़ी सिर्फ आपके हाथों का बना ही खाता हूं… पूरा मूड बिगाड़ दिया 

कमला जी:  बेटा आज खा ले… अब से ऐसी गलती नहीं होगी 

फिर रौशन ने कढ़ी खा ली और बड़े ही चाव से खाई… पर इतना सब हंगामा करके… तनु समझ नहीं पा रही थी कि वह कहां फंस गई..? पर उसे यकीन था कि धीरे-धीरे वह सब कुछ ठीक कर देगी… पर समय के साथ हालात और भी बिगड़ते गए… हद तो तब हो गई तब एक रात तनु को काफी बुखार आ गया… वह सिर दर्द से कराहने लगी… जिससे रौशन की नींद खुल गई… उसने तनु से पूछा कि क्या हुआ..? 

तनु:   मुझे बुखार है.. सर दर्द से फटा जा रहा है..

रौशन:   रुको मां से कहकर कोई दवा दिलवाता हूं… यह कहकर वह कमला जी के पास जाकर कहता है… मां तनु को बुखार आया है कोई दवा है तो दे आओ ना…. ना खुद सो रही है ना मुझे सोने दे रही है… मैं यही सो जाता हूं… आप देख लो… यह कहकर रौशन वही सो गया… उसके बाद कमला जी तनु के कमरे में बड़ाबड़ाती हुई गई…

इसको रात को बुखार आना था… दिन भर का थका मेरा बेटा चैन से दो पल सो भी नहीं सकता… यह ले दवा और चुपचाप सो जाओ फैल कर.. रौशन को तो भगा ही दिया… अब उसके बिस्तर पर कब्जा कर ले… 

तनु अपनी सास की यह बातें सुनकर रोने लग जाती है और सोचती है ऐसे परिवार के साथ मैं अपना पूरा जीवन कैसे बिताऊंगी..? यह सब सोचते सोचते उसकी आंख लग जाती है और जब सुबह उसकी आंख खुली तो रौशन और कमला जी को अपने सामने खड़ा पाया… 

कमला जी:   अब कैसी है..? इतनी देर से पड़ी है बिस्तर पर… घर का काम कौन करेगा..?

 रौशन: और हां मेरे कपड़ों को अच्छे से प्रेस कर देना… मां से यह सारा काम नहीं होता और कई सारे काम वह बताता गया… मानो उसे याद ही नहीं कल रात वह कितनी तड़प रही थी… यह सारी बातों को सुनते हुए अचानक तनु को पता नहीं क्या हुआ..? वह अचानक से बोल उठी… आप मां बेटे को बहू नहीं एक काम वाली लानी चाहिए थी…

जो बस आप लोगों के काम करती और फिर अपने घर चली जाती… पर मुझे माफ करना मैं अब यह सब और नहीं झेल सकती… आप दोनों अपने में खुश रहो और मैं चली अपने तरीके से जीने… जिंदगी एक ही मिली है उसमें अपने अरमान को पूरे करने का हक है मुझे… उसे मैं यूं घुट घुट कर नहीं बर्बाद कर सकती….

मम्मी बनाकर खिलाते रहिए अपने बेटे को कढ़ी और आप बंधे रहिए अपने मां के आंचल से… यह बात तो कहनी नहीं चाहिए… पर यह अांचल तब भी मत छोड़ना जब आपकी मां चिता पर होगी… तब आपका असली बेटे होने का सबूत मिलेगा सभी को… यह कहकर तनु उस रिश्ते से खुद को आजाद कर लेती है… 

यह तो तनु के अपने सोच थे… पर हर कोई तनु जैसा फैसला नहीं कर पाता… काफी लड़कियां समाज के डर से और कुछ अपने परिवार के दबाव से चुप रहकर घुटना स्वीकार कर लेती है… पर जो वह अपने हक के लिए लड़ना चाहे, उसे काफी सारे झंझटों में घिरना पड़ता है… पर याद रखना झंझटों के बादल तो कुछ दिनों बाद छट जाएंगे…

पर यह घुटन भरी जिंदगी हमेशा के लिए रहेगी… यह मां के लाडले अपने मां के चले जाने के बाद खुद मां बन जाते हैं… विवाह फिल्म में प्रेम ने जलने के बाद भी पूनम का साथ नहीं छोड़ा… पर यहां हर दिन अब तुम्हें ही अपने हक के लिए लड़ना पड़ेगा… कोई प्रेम नहीं आने वाला तुम्हारा हक देने और तुम ना लड़ पाओ तो हर दिन जिंदा जलना भी पड़ेगा…

असल जिंदगी में भी प्रेम जैसे लड़के होते होंगे… पर वह बहुत कम ही मिलेंगे… शुरुआत के गाने के जो लाइन है “मुझे हक है” इसमें यह लाईन जोड़ना चाहूंगी कि “मुझे हक है अपने मन से जीने का”…

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु

#हक

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