मोह – खुशी : Moral Stories in Hindi

राधा एक बहुत ही सुलझी हुई महिला थी अपने काम से मतलब रखनेवाली।उनके दो बेटे थे रवि और सुनील उनमें उनकी जान बस्ती थी। बस वो उनके बच्चे और पति अनोखेलाल जी ।वो अपने नाम की तरह ही अनोखे थे।सिर्फ घर से परचून की पुश्तैनी दुकान तक जाना ।

नाक की सीध में ना जग से कुछ मतलब ना दुनिया से पैसा सारा राधा के हाथ में देते सिर्फ ३००० रुपए अपने पास रखते जिसका हिसाब किसी को न देते।राधा कभी पूछती तो कहते तुम्हे सब दे रहा  हूं ना तो क्या इतने से पैसों पर मेरा हक नहीं है।इसलिए राधा ने पूछना बंद कर दिया।समय बीता बच्चे बड़े हुए पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी पर लग गए।

अब उनके लिए लड़कियां देखी जाने लगी। बड़े लड़के  रवि की शादी उनके मामाजी के जानकार की बेटी सीता से हुई वो अच्छी पढ़ी लिखी सुलझी लड़की थी।वो घर भी संभालती और अपना कोचिंग सेंटर भी चलाती।छोटा सुनील अपने दफ्तर में काम करने वाली चारू को पसंद करता था।राधा इस रिश्ते के खिलाफ थी

उसे लगा वो सुनील को ले अलग हो जाएगी।सुनील बोला मां तुम्हे अपनी परवरिश पर भरोसा नहीं है क्या? बहुत समझाने के बाद राधा इस रिश्ते पर राज़ी हुई सुनील की जिद के कारण।सब सही चल रहा था अब चारू ने भी दफ्तर जाना शुरू कर दिया।वो सुबह जाती और शाम को आती तो घर की जिम्मेदारी सारी सीता पर ही थी।

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अब सीता गर्भवती थी तो उससे ज्यादा काम ना हो पाता इसलिए चारू बोली हम फुल टाइम मैड लगा लेते है भाभी को भी आराम मिलेगा। चारू की बात सुनील और रवि को पसन्द आई ।सबने सोचा सीता को आराम मिलेगा।पर राधा बोली काम वाली क्यों मै और सीता कर लेंगे और ये चारू नौकरी छोड़ घर संभ।ल ले।

चारू बोली मांजी मै नौकरी तो नहीं छोडूंगी।सुनील ने कहा मां वो पढ़ी लिखी लड़की है और अपनी मेहनत से यहां तक पहुंची है वो नौकरी नहीं छोड़ेंगी। वाह बेटा अब तू भी इसकी बोली बोल रहा है।सुनील बोला मै किसी की बोली नहीं बोल रहा हम सिर्फ भाभी को आराम देना चाहते है।सब की सहमति से कमला को रखा गया।

चारू घर में कम वक्त दे पाती पर वो सीता का बहुत ध्यान रखती थी डॉक्टर खाना पीना दवाएं और नियत समय पर सीता ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया नमन और नियति सब खुश थे परिवार पूरा हो गया।उसी बीच चारू को प्रमोशन मिला और उसे अमेरिका जाना था उन्होंने ऑफिस में बात की तो सुनील और चारू दोनो को ही दो साल के लिए अमेरिका जाने के लिए कहा गया

जब उन्होंने यह बात घर बताई तब राधा बोली वाह बेटा हमने इतने जतनो से तुम्हे पाला पोसा तुम इस कल की लडकी के लिये हमे छोडकर जा रहे हो।सुनील बोला मां आप ऐसा क्यों कहती हैं बच्चों के भविष्य के लिए मां बाप खुशी से उन्हें भेजते है।तो इसे जाने दे तू क्यों जा रहा है।मां यह मेरी पत्नी है

इसे अकेले कैसे भेज दूं। बहुत लड़ाई झगड़े के बाद  आखिर चारू और सुनील चले गए।अनोखे लाल जी ना पहले घर में ध्यान देते थे ना अब और राधा अब बड़बड़ाती रहती थीं उसे अब सीता में भी कमियां नजर आती वो उसे भी कहती मेरे लड़के को ले कर अलग होने के ख्वाब नहीं देखना। सीता घर बच्चे कोचिंग सब देख रही थीं

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पर अब अपने सास के बर्ताव के कारण वो दुखी रहने लगीं थी।एक दिन रवि दफ्तर से घर आया तो उसकी तबियत ठीक नहीं थी घर की चिक चिक के कारण उसका blood pressure बढ़ गया और वो बेहोश होकर गिर पड़ा।आनन फानन मे उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया डॉक्टर बोले स्ट्रेस इनके लिए ठीक नहीं हैं।रवि १५ दिन बाद घर आया

उसे देखने सुनील और चारू  भी आए थे।आज अनोखे लाल जी बोले बेटा रवि अब तुम नौकरी छोड़ कर दुकान संभालो और अपनी तबियत भी और राधा से बोले अपने और मेरे कपड़े बांध लो हमें जाना है।राधा बोली कहा ? अनोखे लाल जी बोले वृद्ध आश्रम में,राधा बोली क्या मैं अपना घर छोड़ क्यों जाऊ।

अनोखे लाल बोले घर वो होता है जहां सब प्यार से रहते हैं तुम तो अपने बेटे उनकी ब्याहता पत्नियों को नहीं सौंप पाई तुम चाहती थीं वो ज़िन्दगी भर तुम्हारी अंगुली पकड़ कर चले।पर ऐसा नहीं होता।चलो यहां से अनोखे लाल ने दुकान की चाबी रवि को दी और बोले बेटा अब यह तुम्हारी अमानत है

और सुनील को बोले बेटा भाई की मदद करना।बहुओं को आशीर्वाद दिया और राधा से बोले तुम कहती थी न मै पैसे क्यों जोड़ता हूं क्योंकि मुझे पता था कि तुम अपने पुत्र मोह में कभी बहुओं से नहीं जोड़ पाओगी।बच्चे कहते रहे पर अनोखेलाल जी ना रुके और राधा को ले चले गए।

रवि ने अपनी सेविंग्स से और सुनील की सहायता से दुकान को रेनोवेट करवाया और आज वो एक सफल व्यापारी था।सुनील और चारू अमेरिका में सैटल हो गए।बच्चे अपने माता पिता से जुड़े हैं दोनो का ख्याल भी बहुत रखते है।राधा घर जाना चाहती हैं पर अनोखेलाल जी उन्हें जाने नहीं देते। अपने मोह में वो बच्चों से दूर हो गई।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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