“मम्मी जी जल्दी से खाना दो बहुत जोर से भूख लगी है आज सुबह से मैंने रोटी का एक टूकडा भी नहीं खाया“अमित ने अपनी मम्मी अनुसूया से कहा तो अमित के ऐसे शब्द सुनकर अनसूया का खून खौल उठा था दरअसल अनसूया को कई दिनों से बुखार आ रहा था जिसके बारे मे उसने अपने पति अरुण बेटा अंकित दोनो को बताया था
लेकिन किसी ने भी उसकी खराब तबीयत के बारे मे कोई ध्यान नही दिया तो अनुसूया का मन बेहद दुखी हो गया था उसके पति अरुण बैंक में मैनेजर की नौकरी करने के बाद रिटायर हो गए थे और अंकित अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद।एक मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करता था
छुट्टी के दिन या तो वह दोस्तों के साथ घूमने चला जाता या फिर दिन भर घर पर रहकर हर वक्त फोन चलाता रहता था यही आदत उसके पति अरुण को भी थी वह भी दिन भर फोन चला कर या फिर टीवी देख कर अपना समय पास करते थे अनुसूया को फोन चलाने का कोई शौक नहीं था वह जरूरी काम करने पर ही फोन का इस्तेमाल करती थी घर में दिन भर काम में व्यस्त रहने के कारण उसे फोन चलाने का वक्त ही नहीं मिलता था।
फिर भी वह अपने पति और बेटे की सेवा करके बहुत खुश रहती थी पति और बेटा के जरा सा बीमार होने पर वह चिंतित हो जाती थी तुरंत श्रेष्ठ डॉक्टर द्वारा अच्छी चिकित्सा से इलाज करा कर उनके स्वस्थ होने पर ही चैन की सांस लेती थी।
वैसे तो उसकी कोई ख्वाहिश नहीं थी भगवान ने उसे जो दिया वह उसी में हमेशा खुश रहती थी बस इतना ही अपना पति और बेटे से चाहती थी कि जब कभी वह बीमार पड़ जाए तो वे दोनों भी उसकी परवाह करें लेकिन इतनी भी ख्वाहिश कभी पूरी कहां होती है अरुण वैसे तो घर में किसी चीज की कमी नहीं रहने देते थे
परंतु ,अनुसूया के बीमार होने पर वह कभी उसकी परवाह नहीं करते थे अनुसूया खुद ही डॉक्टर के पास जाकर अपने लिए दवाई ले आती थी दवाई खाकर ठीक होने पर फिर से काम में लग जाती थी।
एक बार अनसूया को बुखार आया तो उसकी हिम्मत नहीं पड़ी थी डॉक्टर के पास जाकर दवाई लाने की जब उसने अंकित से अपने लिए दवाई लाने को कहा तो अंकित ने उनकी बात को नजर अंदाज कर दिया था कुछ दिन बाद उसका मोबाइल खराब हो गया था मोबाइल खराब होने पर वह बेचैन हो गया था
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और तुरंत ही उसे ठीक करवाने के लिए वह मोबाइल ठीक कराने की दुकान पर पहुंच गया था इस काम में उसका पूरा दिन बीत गया था शाम को जब वह मोबाइल ठीक करा कर अपने घर आया तो भूख लगने पर अनुसूया से वह खाना मांगने लगा था अंकित के खाना मांगने पर अनुसुइया का मोबाइल के प्रति प्रेम और अपने प्रति उपेक्षा देखकर खून खौल उठा था
वह गुस्से में अंकित से बोली “मोबाइल से ही खाना मांग लो मां से ज्यादा महत्वपूर्ण तो मोबाइल है ना …मैं बीमार हो गई तो मुझे एक बार भी दवाई के लिए नहीं कहा और मोबाइल खराब हो गया तो पूरा दिन उसमें लगा दिया …..यदि मैं भी तुम्हें खाना देने से इनकार कर के मोबाइल चलाने लग जाऊं तो तुम्हें कैसा लगेगा?
अनसूया की बात सुनकर अंकित शर्मिंदा हो गया था वह माफी मांगते हुए बोला “मम्मी माफ कर दो आज के बाद ऐसी गलती नहीं करूंगा मैं अभी डॉक्टर को बुलाकर लाता हूं खाना बाद में खाऊंगा”अनुसूया ने गुस्से में डॉक्टर को बुलाने के लिए मना किया तो अंकित हाथ जोड़कर बोला” मम्मी माफ कर दो ना आज के बाद ऐसी गलती नहीं करूंगा”बेटे को माफी मांगते देखकर अनसूया का दिल पिघल गया था
बीमार होने पर भी उसकी ममता जाग उठी थी “चल पहले खाना खा फिर डॉक्टर को बुलाकर लाना *कहते हुए अंकित के लिए थाली में खाना लगाने लगी थी मम्मी का बीमारी में भी अपने प्रति इतना प्रेम देखकर अंकित को उनके स्वास्थ्य के प्रति अपेक्षा करने पर मन ही मन बेहद पश्चाताप हो रहा था।
बीना शर्मा