यह उन दिनों की बात है जब लड़का लड़की देखने- दिखाने के रिवाज के समय दोनों परिवारों के ही काफी लोग इकट्ठा होते थे और साथ में मिलजुल कर घर के कार्यों में सहयोग देते थे। आज मीरा की बेटी शोभा को देखने दिल्ली से रोहित जो की एक अच्छी कंपनी में था,
अपने परिवार सहित देखने आ रहा था। घर में ही चाय नाश्ते का और खाने का प्रबंध किया जा रहा था। शोभा की बड़ी भाभी जो रसोई के कामों में निपुण थी उन्हें सारे नाश्ते और खाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई। लड़के वालों के आते ही चूल्हे पर चाय चढ़ा दी,
थोड़ी देर में मीरा ने अपनी बहू से शोभा को अच्छे से तैयार करके लाने के लिए बोल दिया और उन्होंने चाय की जिम्मेदारी छोटी बहू मीनल को दे दी। मीनल को रसोई के कामों में थोड़ा आलस आता था पर केवल चाय ही बनानी थी तो वह तैयार हो गई।
थोड़ी देर बाद शोभा सभी मेहमानों के लिए ट्रे में रखकर चाय ले गई और जैसे ही मेहमानों ने चाय पी सब एक दूसरे की तरफ देखकर हंसने लगे। अब मीरा और उनके परिवार वालों का माथा ठनका, यह सब ऐसे मुस्कुरा क्यों रहे हैं,
जब उन्होंने चाय को चखा तो ज्यादा दूध और ज्यादा चीनी की वजह से चाय बहुत गाड़ी और बहुत मीठी लग रही थी। जब मीनल से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि जब उसने चाय चखी थी तो चाय फीकी लगी थी इसलिए उसने अपने हिसाब से चीनी डाल दी,
तब रेवती ने कहा कि वह तो चाय में चीनी पहले डाल गई थी तो उसे चाय फीकी क्यों लगी। मीनल ने डरते हुए बताया.. कि जब सासु मां ने चाय के लिए बोला उससे पहले वह तीन-चार गुलाब जामुन खा चुकी थी और जब उसने चाय चखी तो उसे वह चाय फीकी लगी,
उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया अनजाने में ही “सारा गुड गोबर” हो गया। मीरा को डर लग रहा था कि लड़के वाले इस छोटी सी बात पर संबंध ना तोड़ दें कि इनके यहां तो चाय बनाना भी नहीं आता किसी को। किंतु लड़के वालों ने कहा..
अजी हम तो बहुत खुश हैं ऐसे संबंध से कि हमें आज आपके परिवार की अतिरिक्त मिठास भी प्राप्त हुई है, इसने गुड गोबर नहीं किया बल्कि हमारी जिंदगी में मिठास के रंग और भर दिए, हमें रिश्ता मंजूर है, हमें तो नमकीन से ज्यादा मीठा पसंद है, और यह सुनकर सब मुस्कुराने लगे!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
मुहावरा गुड गोबर करना