मेरे भाई का दामन भरा रहे – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

नेहा अपने छोटे भाई रोहित से बहुत प्यार करती थी। रोहित भी अपनी बहन पर जान लुटाता था। नेहा को जरा भी तकलीफ होती तो वो सारा घर सिर पे उठा लेता था।रोहित अपने स्कूल का मेधावी क्षात्र था। घरवालों और सभी स्कूल के शिक्षकों को उससे बहुत उम्मीदें थीं। रोहित भी बहुत मेहनत करता उसे इंजीनियर बनना था। नेहा भी दिल से चाहती थी कि उसका भाई इंजीनियर बने क्योंकि उसकी तो ग्रेजुएट करने के बाद ही शादी हो गई थी।वो आगे पढ़ना चाहती थी

पर घरवालों की मर्जी के आगे उसकी एक ना चली।अपने अधूरे सपनों को नेहा भाई को इंजीनियर बनाकर पूरा करना चाहती थी इसलिए वो हर पल रोहित को यही कहती-“भाई! तू खूब मेहनत कर कोई कमी ना रहने देना तुझे अपनी बहन का सपना पूरा करना है।”

रोहित भी हर समय नेहा को यही आश्वासन देता-“दीदी,आप चिंता ना करो..ये भाई आपकी इच्छा जरूर पूरी करेगा चाहे कुछ भी हो जाए।ये आपसे मेरा वादा है।”

नेहा के पिता सरकारी कर्मचारी थे,उनकी तन्खवाह से बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था।दो बच्चे,बूढ़े माता-पिता व स्वयं पति पत्नी मिलाकर छह सदस्य थे पर नेहा के पिता ने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी नहीं रखी थी।इसके लिए चाहे उन्हें ओवरटाइम ही क्यों न करना पड़ता था।

बारहवीं कक्षा में आने पर शुरू शुरू में सब ठीक चल रहा था पर मिड टर्म आते आते अचानक रोहित की दोस्ती रईस माँ बाप के कुछ बिगड़े हुए लड़कों के साथ हो गई,जिनका पढ़ाई लिखाई से दूर दूर तक वास्ता न था।रोहित को वो एक दो बार स्कूल से बंक कराकर सिनेमा देखने ले गए।उसे उनका साथ अच्छा लगने लगा।उनके साथ रहकर धीरे धीरे वो सिगरेट पीना भी सीख गया।समय समय पर होने वाले टेस्ट और परीक्षा में उसके नंबर कम आने लगे

तो उसकी क्लास टीचर को बहुत चिंता होने लगी।वो रोहित के बदले स्वरूप को देखकर बहुत दुखी थी,उसका क्लास बंक करना और पढ़ाई में भी रुचि न लेना उनको अखरने लगा था।वो नहीं चाहती थी कि उनके स्कूल का होनहार छात्र गलत रास्ते पर चला जाए।एक दिन उन्होंने रोहित को अपने रूम में बुलाया।

रोहित डरते हुए आया और बोला-“में आई कम इन टीचर।”

“यस कम इन।”टीचर के कहने पर वह अंदर आ गया।

“बैठो रोहित,आज तुम से बहुत जरूरी बातें करनी है।”रोहित चुपचाप टीचर के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।

“मैंने सुना है आजकल तुम आवारा लड़कों के साथ स्कूल से भागकर सिनेमा देखने जाते हो और सिगरेट भी पीना शुरू कर दिया है।क्लास टेस्ट में भी तुम्हारी परफॉरमेंस दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है।हम सबको तुमसे कितनी उम्मीदें थीं,कि आगे चलकर तुम स्कूल का व अपने माता-पिता का नाम रोशन करोगे और तुम हो कि पढ़ाई लिखाई छोड़कर गलत रास्ते पर चल पड़े।कभी सोचा है?तुम्हारे पिता तुम्हें पढ़ाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं

और तुम उनकी कमाई सिगरटों में फूँक रहे हो।क्या हो गया है तुम्हें?हम तो सबको तुम्हारा उदाहरण देते थे।जिनके साथ तुमने दोस्ती की है वो तो पैसे वालों के बच्चे हैं।नहीं भी पड़ेंगे तो उनका गुजारा हो जाएगा पर तुम्हारा क्या होगा सोचा है?

“टीचर एक साँस में सब बोल गई।पहले तो रोहित सर झुकाकर सब सुनता रहा फिर फफक-फफककर रोने लगा-“मैडम मुझे माफ करदो मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई।मैंने आप सबका बहुत दिल दुखाया है।मैं प्रॉमिस करता हूँ,अब आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूँगा।बस मेरे घर वालों को ये बात नहीं बताना।”

“शाबाश बेटा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। वैसे भी कहते हैं न सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।मैं तुम्हारे घर वालों को नहीं बताऊंगी पर शर्त ये है कि मुझे दुबारा कभी तुम्हारे बारे में गलत सुनने को ना मिले।”कहकर टीचर ने रोहित को गले लगा लिया।

“मैडम, मैं फिर से प्रॉमिस करता हूँ कि आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगा।”

कहने को रोहित ने कह दिया पर उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ।अब तो दोस्तों के जरिए घर वालों को भी रोहित के बारे में पता लगने लगा।उन्हें पहले तो दोस्तों की बातों पे यकीन नहीं हुआ पर जब आए दिन घर से पैसे चोरी होने लगे

और रोहित के स्कूल से भी शिकायतें आने लगीं तो वो चिंतित हो उठे।उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि रोहित को कैसे समझाएं?इतने बड़े बच्चे के साथ मार पीट की तो वो घर छोड़कर जा सकता है?या फिर अपने को कोई नुकसान पहुँचा सकता है?अंत में वो इस नतीजे पर पहुँचे कि नेहा से ही बात की जाए क्योंकि रोहित नेहा की बात सुनता था।

“हेलो नेहा बेटा!मैं पापा बोल रहा हूँ। तुझसे बहुत जरूरी बात करनी है। इसलिए तुझे फोन किया।” नेहा के पिता घबराते हुए बोले।

“नमस्ते पापा, बोलिए क्या कहना चाहते हैं आप?सब ठीक तो है ना?”

“नहीं बेटा.. कुछ ठीक नहीं है। हमारी सारी मेहनत पे पानी फिर गया।”

“ऐसा क्या हुआ?”

“तेरा भाई पढ़ाई लिखाई छोड़कर गलत संगत में पड़ गया है।स्कूल जाने के बहाने जाने कहाँ कहाँ जाता है?घर से पैसे भी चुराने लगा है।”

“पापा, इतना सब हो गया और आप मुझे अब बता रहें हैं।”नेहा नाराज होते हुए बोली।

“क्या बताऊँ बेटा? ऑफिस से आने के बाद मैं तेरे दादा दादी की देखभाल में लग जाता हूँ और तेरी माँ घर के कामों में व्यस्त रहती है।हम रोहित की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे इसलिए पता ही नहीं चला कि वो कब इस रास्ते पे चल पड़ा।

वो तो उसके दोस्तों ने बताया और स्कूल से शिकायत आई तब जाकर पता चला।तू जब तक थी रोहित का ख्याल रखती थी।शायद हमारी ही तरफ से कमी रह गई हम अपना फर्ज ठीक से नहीं निभा पाए।”कहकर नेहा के पिता रोने लगे।

“आप रो नहीं पापा..मैं दो तीन दिन में आने की कोशिश करती हूँ।तब तक आप प्लीज रोहित को कुछ नहीं कहना।”नेहा ने पिता को सांत्वना दी।

नेहा के पति शाम को ऑफिस से आए तो उसने सारी कहानी सुनाई।नेहा और उसके पति कभी भी एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते थे।नेहा के पति भी रोहित के बारे में जानकर बहुत दुखी हुए क्योंकि वो भी जानते थे कि रोहित बहुत होनहार लड़का है।उन्होंने तुरंत नेहा के मायके जाने का टिकिट करवा दिया।

नेहा मायके पहुँच गई।घर में उदासी का माहौल था।रोहित स्कूल गया हुआ था इसलिए उसने माता-पिता से खुलकर बात कर ली।नेहा के पिता ने ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी पर रोहित को नेहा के आने के बारे में कुछ नहीं बताया था।

दोपहर का 1बज रहा था तभी घंटी बजी।नेहा दरवाजे की और दौड़ी।दरवाजा खोलकर देखा,सामने रोहित खड़ा था।नेहा ने उसे गले लगा लिया।वो बिल्कुल सामान्य बनी रही जैसे उसे कुछ पता ही न हो।बहन को यूँ अचानक आया देख रोहित बोला-“अरे दीदी,आप बिना किसी को बताए अचानक कैसे आ गईं?”

“बस मेरे भाई तेरे से मिलने का मन किया तो आ गई।”

रोहित का उतरा हुआ चेहरा देख नेहा का दिल भर आया।कितना सुंदर दिखता था उसका भाई?और अब क्या हालत हो गई है इसकी?आँखें अंदर धँस गईं और गाल भी पिचक गए।उसे रोना आ रहा था पर उसने अपने आँसुओं को रोक लिया।

लंच के बाद आराम के बहाने नेहा रोहित को उसके कमरे में ले गई और उसे बिठाकर बड़े इत्मिनान से बोली-“एक बात बता..तू कितना प्यार करता है मुझसे ?”

“दीदी! ये भी कोई पूछने वाली बात है।आप तो मेरी प्रेरणा हो।आपको मैं जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ।”

“तू झूठ बोल रहा है।अगर मुझसे प्यार करता..तो जो वादा तूने मुझसे किया था बारहवीं की परीक्षा में अच्छे नंबर लाने का,उसे पूरा करने की कोशिश करता।”

“अगर मैंने आपसे वादा किया है..तो उसे पूरा भी करूँगा।समय तो आने दो।”रोहित अति विश्वास से बोला।क्योंकि वो सोच रहा था नेहा को उसके बारे में कुछ नहीं पता।

“ऐसे पूरा करोगे अपना वादा..स्कूल से बंक करके..सिगरेट फूककर या घर से पैसे चोरी करके?”नेहा ऊँचे स्वर में बोली।

नेहा की बातों से रोहित टूट गया और उससे लिपटकर बच्चों की तरह रोने लगा-“दीदी मुझे माफ़ कर दो।मैं अपने रास्ते से भटक गया था।”

“देख मेरे भाई अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा।अभी फाइनल एग्जाम्स में 2-3 महीनें हैं।तू सब कुछ छोड़कर फिर से एक नई शुरुआत कर।तेरी ये बहन तेरे साथ हर पल हर घड़ी खड़ी रहेगी।बस तू एक बार पक्का निश्चय कर ले।”

“दीदी..कैसे होगा इतनी जल्दी सब?मैं क्लास में सबसे पीछे रह गया हूँ।मेरे पास पूरे नोट्स भी नहीं हैं।” 

“मैं हूँ ना तेरे साथ..सब ठीक कर दूँगी।बस तू फिर से पहले जैसा हो जा।क्योंकि ये वक्त फिर से लौटकर आने वाला नहीं..इसकी कीमत को समझ।” कहते कहते नेहा भावुक हो गई।

भाई के भविष्य का सवाल था इसलिए नेहा ने रोहित के एग्जाम्स तक रूकने का निश्चय कर लिया और इस निर्णय में उसके पति ने भी उसका साथ दिया।नेहा दिन रात रोहित के साथ लगी रहती।कभी उसके नोट्स बनाती तो कभी उसके साथ बातें करती।उसके दोस्तों पर भी नजर रख रही थी।बीच बीच में जब कभी रोहित का मन दोस्तों के साथ बाहर जाने को करता क्योंकि आदतें इतनी जल्दी नहीं जातीं तो नेहा उसे अपनी कसम देकर रोक लेती थी।बहन का साथ व प्यार पाकर पाकर रोहित की गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर आ गई और उसका खोया हुआ आत्मविश्वास भी पुनः लौट आया।वो दिन रात कड़ी मेहनत करने लगा।

नेहा के प्रयास और रोहित की मेहनत रंग लाई।रोहित की बारहवीं की परीक्षाएं सुचारू रूप से हो गईं।इसके बाद उसने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाएं भी अच्छे से दे दीं।सभी परीक्षाएं समाप्त होने के बाद भाई को कसमें और हिदायतें देकर नेहा अपने घर लौट गई।

आखिर वो दिन भी आ गया जिसका नेहा को कब से इंतजार था?रोहित ने जो कहा वो कर के दिखाया।उसने 12वीं बोर्ड की परीक्षा में टॉप किया और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा भी अच्छे अंकों से पास कर ली।उसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल गया।

आज रोहित एक सफल इंजीनियर है और बड़ी कंपनी में कार्यरत है।सारा परिवार उसपर गर्व करता है।और नेहा तोे बस यही कहती है..हे ईश्वर,मेरी दुआओं में असर इतना रहे..मेरे भाई का दामन हमेशा भरा रहे..!!

हमें समय रहते वक्त की कीमत को समझना चाहिए क्योंकि बीता वक्त लौटकर नहीं आता और फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं रह जाता।

कमलेश आहूजा

 #कीमत

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