मायके में रिश्ते बने होते हैं -ससुराल में रिश्ते बनाने पड़ते हैं! – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

” बेटा!उठ जाओ 8बज रहे हैं ,देर तक सोना सेहत के लिए अच्छा नहीं,जल्दी से उठ जा मेरा बच्चा! “सीमा जी ने बडे प्यार से अपनी बेटी सना को जगाते हुए पुकारा!

ऊं हूं मम्मी !8ही तो बजे हैं आज काॅलेज की छुट्टी है,आज तो सोने दो?

“बेटा देखो तुम्हारी भाभी भी तो अभी नई नवेली आई है कैसे सुबह-सुबह उठकर काम में लगी है,एक दिन भी उठाना नहीं पड़ा,आज छुट्टी है चलकर उसका हाथ ही बंटा दो!”

“ओ हो!मम्मा क्या आप भी सुबह-सुबह भाभी के गुणगान गाने लगीं,वो ससुराल में हैं और आप शायद भूल रही हैं ये मेरा मायका है”

सना तिनक कर रजाई फेंक 

उठ कर बड़बड़ाती हुई बोली”सुबह सुबह मूड खराब कर दिया”!

सीमा जी भी झुंझलाकर बोली”चार दिन बाद ससुराल जाऐगी तब पता चलेगा”!

  सीमा और सुरेश जी ने सना ब्याह नमन से तय कर दिया था!

नमन एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत था!

सना का काॅलेज का आखरी साल था!पढ़ाई खत्म होते ही ब्याह हो जाना था क्योंकि सुरेश जी का रिटायर्मेंट नजदीक था,उससे पहले वे सना की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते थे!

सना को सीमा और सुरेश जी ने बहुत लाड-प्यार से पाला था!सना के मुँह से कोई बात निकले और सुरेश जी पूरी न करें ऐसा तो हो ही नहीं सकता था!

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भाई भाभी भी जान छिडकते थे सना पर!

सना की दादी भी उनके साथ ही रहती थीं!वे हर वक्त सुरेश जी को टोका करतीं”अरे भाई! लड़की जात को इतना सर पर मत चढाओ कि बाद में पछताना पड़े कल को पराऐ घर जाऐगी इतने नाज नखरे कौन उठाएगा ?”

सुरेश जी गर्व से सर उठाकर कहते”अरी अम्मा फिकर क्यों करती हो ऐसी जगह रिश्ता करा है कि सब इसे हाथों-हाथ लेंगे!”

सना इकलौती जरूर थी पर बेहिस-बदतमीज नहीं!वह चंचल,बिंदास,मस्त और बेफिक्र टाईप की लडकी थी!

सीमा जब कोशिश करतीं कि सना को कुछ घर गृहस्थी के काम सिखा दें!सुरेश जी टोक देते”अरे भाई! ज़िन्दगी भर चूल्हा चौका तो संभालना है,अभी खेलने-खाने के दिन हैं!जब सर पर पड़ेगी तो सब कर लेगी”

दादी तमक कर जवाब देती”एक ही दिन में सबकुछ ना आजावेगा,नाक ना कटवा दी तब कहियो “!

फिर एक दिन हर किसी की लाडली,सब की चहेती,अल्हड़ ,भोली भाली सना नमन की दुल्हन बनकर महेश और मधु जी के घर की बहू बन ससुराल आ गई! 

नया घर,नया हमसफ़र,नया परिवेश,नया परिवार,नये रिश्ते,सना के लिए सभी कुछ तो नया था!

सना बहुत डरी सहमी थी !सहेलियों और चाची-मौसी से ससुराल और सास के बारे में कई डरावने किस्से सुन कर वैसे ही घबराई हुई थी!

सुरेश जी के जानने वाले ने सना की शादी से पहले बताया था कि बाकी सब तो ठीक है पर नमन की मां मधु जरा दबंग टाइप की सख्शियत है!घर में उन्ही की चलती है उनकी मर्जी के बिना वहाँ पत्ता भी नहीं हिलता!

तब सुरेश जी ने हंसकर कहा”बस इतनी सी बात?भई! नमन तो बहुत जल्दी अमरीका जाने वाला है सना को साथ ले जाऐगा !कौन उसे सास-ससुर के साथ रहना है ,बाकी घर वर तो सब बढ़िया है ही”!

ससुराल आकर सना ने देखा उसके ससुर महेश जी,ननद रीमा और दादी बहुत सीधे सादे सुलझे हुए लोग थे!बस सासू मां के तेवर कुछ अलग से लगे!

दरअसल नमन मघु जी का इकलौता बेटा था,वे उसे बेहद प्यार करती थीं!जब से नमन के ब्याह की बात चीत चली थी वे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगीं थी!वे हर वक्त सोचती रहती कि बहू आकर नमन को अपने चंगुल में फंसाकर उनसे दूर कर देगी!

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वे सना के हर काम में मीन-मेख निकालती,उसे हर वक्त टोका करती,सुबह उठने में जरा सी देर हो जाती तो मधु जी सारा घर सर पर उठा लेतीं!

वे उसे जब-तब उकसाती कि वह उन्हें जवाब दे ताकि वे दो की चार लगाकर नमन को बताएं और नमन और सना का झगड़ा हो!

वे बार बार उनके कमरे के चक्कर लगाती और ताका झांकी करती जिससे सना बहुत असहज महसूस करती!

नमन भी उनसे डरता था,उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी उसकी!ऐसे में सना को और गुस्सा आता!पर वो घर में क्लेश न हो इसलिए चुप रहती!

अगर कभी वे देखती कि सना और नमन का किसी बात को लेकर मनमुटाव हुआ और वे एक दूसरे से बात नहीं कर रहे तो उनके दिल को बहुत राहत मिलती!

सना की मां सीमा ने सना को समझा रखा था कि ससुराल में सबका दिल जीतने की कोशिश करना कुछ बुरा भी लगे ध्यान मत देना!ससुराल ससुराल होता है मायके की तरह वहां मनमानी नहीं चलती,बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है!कोई तुम्हारे मां-बाप की परवरिश पर उँगली उठाऐ ऐसा मत करना!

सबसे बड़ी बात यह थी कि नमन सना को बहुत चाहता था!अगर मधु जी सना को ताना मारती और नमन सना की साइड लेता तो मधु जी झट उसे “जोरू का गुलाम ” होने का ताना देतीं!

मधु जी की वजह से घर में बेवजह का तनाव रहता!

 सना हर संभव कोशिश करती कि किसी तरह मघु जी का दिल जीत ले!उसकी ननद ,नमन की दादी,नमन के पिता और नमन ने मधु जी को समझाया कि अगर वे सास बनकर नहीं बल्कि मां बनकर सोचेंगी तो सबकुछ आसानहो जायेगा !इन सबके सहयोग से धीरे धीरे सना ने वह सबकुछ किया जो मधुजी को पसंद था!

उसने मधुजी को जता दिया कि वह उनका बेटा छीनने नहीं आई बल्कि अपने मां-बाप बहन भाई सब छोड़कर इस घर को अपनाकर सबके साथ प्रेम प्यार से रहने आई है!वे नमन के साथ साथ अब उसकी भी मां हैं!उनकी जगह कोई नहीं ले सकता!

फिर एक दिन वो भी आया जब इसने मधु जी के दिल में जगह बना ली!उन्हें यह समझ आ गया कि बेटे के ब्याह के बाद उसके ऊपर पहला हक उसकी पत्नी का होता है!

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सना और उसके मां-बाप भी बहुत खुश थे कि उनकी बेटी ने सब्र,बर्दाश्त और धैर्य का दामन नहीं छोड़ा और मधु जी का हृदय परिवर्तन कर ही दिया!

सच है मायके के रिश्ते बने बनाए होते हैं ससुराल में रिश्ते बनाने पड़ते हैं!जरूरत है तो समझदारी और धैर्य की!

कुमुद मोहन 

स्वरचित-मौलिक

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