मतलबी रिश्ते – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रेणु अपने पति अनिल के पार्थिव शरीर के पास बैठी हुई थी । उसके आँखों में आँसू सूख गए थे। वह एकटक उसके पार्थिव शरीर को ही देखी जा रही थी ।

 उसका बेटा पिता के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था। वह अमेरिका में एम एस करने गया था वहीं से छुट्टियों में आया था और यह हादसा हो गया था । 

आसपास के लोग एक-दूसरे के कान कुतर रहे थे कि देखो पति के मरने का गम उसके चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा है कैसे बेशर्म बन कर बैठी हुई है अब तक उसकी आँखों से एक बूँद आँसू नहीं टपका है । 

उनकी बातों को सुनकर वह सोच रही थी कि इस आदमी के लिए मैं क्यों रोऊँ ? इसने मुझे मेरी ज़िंदगी के पच्चीस साल रुलाया है। आज तो मेरे आँखों के आँसू भी सूख गए हैं । मैंने और मेरे बेटे ने इस आदमी के कारण इतने कष्ट सहे हैं वह मैं जानती हूँ ।

 उसकी आँखों के सामने सिनेमा की रील के समान बीते हुए दिनों की बातें घूमने लगीं थीं । वह अपने माता-पिता की आख़िरी संतान होने के कारण पिता ने उसे पूरी स्वतंत्रता दी थी । उसका ही नतीजा था कि रेणु कॉलेज में प्रेसिडेंट के पद के लिए लड रही थी । 

कॉलेज में एलेक्शन ज़ोर शोर से हो रहा था । प्रेसिडेंट की पद पर खड़ी रेणु का कॉलेज में बहुत नाम था । सबको पता था कि वह जीत जाएगी। जैसे सोचा वैसे ही रेणु ने जीत हासिल कर लिया । 

उसके पिताजी को उस पर गर्व था । उनकी मृत्यु अकस्मात् ने घर के हालात बदल डाले । माँ को अपने बेटे का सहारा लेना पड़ा वैसे भी उन्हें अपने बेटे से अंधा प्यार था ।

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जबकि वह ठीक से पढ़ाई भी नहीं करता था। जब लोग कहते थे कि रामपाल जी की लड़कियाँ बहुत होशियार हैं लेकिन लड़का निकम्मा निकल गया है। उनकी बातों से उसे अपनी बहनों पर ग़ुस्सा आता था। उसे माँ के अंधे प्यार का ज्ञात था इसलिए वह उसका फ़ायदा उठाकर बहनों को कॉलेज जाने के लिए रोकता था । उनकी जल्दी से शादी कर उन्हें घर से विदा कर देना चाहता था । 

बड़ी बहन ने तो बारहवीं के बाद अपनी मर्ज़ी से अपने पसंद के लड़के से कोर्ट में शादी कर ली थी । रेणु को वह बहुत डरा धमकाकर रखता था। किसी तरह रो धोकर उसने अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर ली थी । कम्प्यूटर के कोर्स करना चाहती थी परंतु भाई ने कहा बहुत पढ़ लिया है बस कर !! तेरी शादी  करा देते हैं। 

माँ ने भी बेटे की बात मानकर रेणु की शादी  तय कर दिया था कि लड़का पढ़ा लिखा और सरकारी नौकरी है। 

वैसे तो माँ सबसे दूसरों से कहती फिरती थी कि जब भी लड़की को किसी के घर भेजोगे तब उसके पूरे ख़ानदान के बारे में पता करके फिर शादी किया करो । अपनी बेटी के समय वह यह सब भूल गई और बिना छानबीन के लड़की की शादी करा दी । रेणु जब ससुराल पहुँची तब उसे पता चला कि वह तो नर्क में आ गई है । सास, ससुर,एक तलाक़शुदा ननंद, एक विधवा ननंद और बेरोज़गार जेठ यह उनका परिवार था । 

रेणु का पति अनिल श्रवण कुमार था । माँ की हर बात मान लेता था जिसका फ़ायदा माँ और बहनें उठाती थी। 

रेणु उन लोगों के नाटक देख कर सोचती थी कि यह कैसे मतलबी रिश्ते हैं जो अपनों को भी नहीं छोड़ते हैं ।

एक साल में ही उसने एक बेटे को जन्म दिया था । 

 रेणु कई बार सोचती थी कि पढ़ी लिखी हूँ बाहर जाकर नौकरी कर सकती हूँ लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पा रही थी। साथ ही वे लोग उसके बेटे को उससे दूर करने की धमकी देते थे। इसी बीच अनिल का तबादला हो गया था । रेणु ने सोचा चलो अब कुछ ठीक होगा । अनिल बहुत अधिक शराब पीता था और नशे की हालत में रेणु और बेटे को ख़ूब मारता था। कुछ साल ऐसा ही बीत गए थे। अनिल माता-पिता के गुज़रने के बाद वह पूरी तरह से टूट गया था साथ ही बेटा बड़ा हो गया था।  माँ का साथ देते हुए माँ पर हाथ उठाने नहीं देता था । ये बातें अनिल को हजम नहीं हो रही थी और एक रात नींद में ही उसकी मृत्यु हार्टअटाक से हो गई थी । 

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रेणु के कंधे पर किसी ने हाथ रखा चौंक कर देखा तो विधवा ननंद थी जो उसे अंदर ले जाने आई थी।  रेणु वहाँ से उठी एक नज़र अनिल की तरफ़ देखा और ननंद के पीछे कमरे में आ गई थी । ननंद एक फ़ोन लेकर आई और कहने लगी रेणु मैं अनिल का फ़ोन ले रही हूँ यह बताने के लिए तुम्हें बुलाया था अब जा और बैठ जा उसके पास कहते हुए फ़ोन लेकर चली गई। रेणु ने पच्चीस साल इस मतलबी रिश्ते को निभाया था। उसे अनिल और उसके परिवार से नफ़रत थी। 

आज उसका बेटा एम एस पूरा करके नौकरी कर रहा है पति की नौकरी उसे मिल गई थी । इतने सालों के दुखों के बाद उसके जीवन में सुख के पल आए हैं । ननंदों के घर हर महीने राशन भेज देती है । वह सोचती है कि नौकरी पैसा उनके भाई के वजह से ही हैं । पुरानी बातों को याद करके खून खौलाने से अच्छा है वर्तमान में मिली ख़ुशियों को जी लें । 

के कामेश्वरी 

साप्ताहिक विषय— मतलबी रिश्ते

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