पवन ने रीना से कहा मत भूलो कि यह मेरा परिवार है। तुम सुबह-सुबह फेसबुक पर नकारात्मक कमेंट्स पढ़कर प्रतिक्रिया देने की बजाय तैयार हो जाओ। मैंने दफ्तर से छुट्टी ले रखी है। दोनों बेटियों के कॉलेज से आने से पहले ही हम तुम्हारी मम्मी को उनके जन्मदिन की मुबारकबाद देकर आ जाएंगे।
आइए आपको पवन और रीना से मिलाएं। यह दोनों अपनी दो बेटियों के साथ सरकारी मकान में रहते हैं। पवन और रीना पहले दिल्ली में ही अपने ससुराल में संयुक्त परिवार के जैसे रहते थे। उनके परिवार में पवन के बड़े भाई और भाभी के भी दो बेटे थे।
पवन की एक विवाहिता बहन भी थी। एक बार पवन की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हुई तो डॉक्टर ने बताया कि उनकी किडनी खराब हो गई है। कुछ समय तक पवन डायलिसिस पर चला। पवन का इलाज तो सरकारी खर्चे पर चल ही रहा था परंतु फिर भी घर में पवन की तबीयत खराब होने के कारण सब अस्त व्यस्त तो हो गया था।
डॉक्टर के कहने पर रीना अपनी किडनी भी पवन को देने के लिए तैयार थी लेकिन उसकी किडनी मैच नहीं हो रही थी। पवन की जान बचाने के उद्देश्य से उसने घर में भी सबसे प्रार्थना की कि पवन के लिए कोई अपनी किडनी दे तो उनका जीवन बहुत अच्छा हो जाएगा परंतु इसके विपरीत सबको लगा कि पवन तो अब ज्यादा दिन जीवित रहेगा
नहीं और इस संयुक्त परिवार के बड़े घर में रीना को हिस्सा भी दिया तो उसके दो बेटियां ही है इसलिए उन्होंने बजाय इसके कि पवन की कोई सहायता करते, पवन पर इस बात के लिए जोर देना शुरू किया कि वह लिखकर दे दे कि इस घर में वह कोई हिस्सा नहीं लेगा। घर में पवन की बेटियों का ध्यान बड़े भैया के बेटों को ही तो रखना है।
यहां तक कि रीना को जिसको कि पूरा विश्वास था कि पवन एक दिन ठीक हो जाएगा उससे भी भाभी ने सासू मां के सामने ही कहा कि तुम बिना वजह ही पवन के लिए किडनी किसी भी मूल्य पर लेने के लिए तैयार हो रही हो उसका कोई फायदा नहीं है
पवन के मरने के बाद भी तुम्हें सरकारी पेंशन तो मिलती ही रहेगी और इलाज उसका सरकार से हो ही रहा है। पवन से कहो कि वह अपना हिस्सा छोड़ने के लिए दस्तखत कर दे तब तुम और बच्चियां यहां पर रहते रहना। पवन की मृत्यु के बाद तुम्हें हो सकता है सरकारी नौकरी भी मिल जाए
संयुक्त परिवार को संयुक्त बने रहने में पवन का भी योगदान कम तो ना था। उसके सामने ही उसकी पत्नी और बच्चियों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है तो बाद में क्या होगा कुछ ऐसा ही सोचते हुए पवन ने केवल अपना घर मैं हिस्सा छोड़ने के लिए ही दस्तखत नहीं करे अपितु वह घर छोड़ भी दिया और सरकारी मकान में शिफ्ट हो गया।
रीना की मम्मी रीना का आत्मबल बढाए रखती थी और संयोग से उनकी किडनी पवन के साथ मैच हो गई थी। पवन का सफल ऑपरेशन हुआ और अब पवन ठीक था। कुछ दवाइयां जरूर चल रही थी। रीना की माताजी भी ठीक थी।
पवन अब प्रमोशन होकर अफसर भी बन चुका था और उसकी दोनों बेटियां बेहद होशियार ,इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में थी।
आज रीना की मम्मी का जन्मदिन था। पवन को तो उन्होंने दूसरा जीवन दान दिया था इसलिए वह उनका बहुत सम्मान करता था। सुबह उठकर उसने अपनी सासू मां के फेसबुक पर प्रणाम और शुभकामनाएं लिखकर बहुत सुंदर फूलों की फोटो भेजे थे।
उसी पर ही पहला कमेंट तो पवन की बहन का ही आया था सासु तीरथ ससुरा तीरथ, इसके अतिरिक्त भी बहुत से नकारात्मक कमेंट्स जोरू का गुलाम इत्यादि भी आ रहे थे जिसको देखकर कि रीना परेशान होकर गुस्से में कह रही थी क्यों भला ऐसा सार्वजनिक रूप से लिखते हो?
तभी मुस्कुराते हुए पवन ने कहा क्योंकि यह मेरा परिवार है। इन्हीं के कारण ही आज में जीवित हूं। मैं किसी की परवाह क्यों करूं? तुम्हारे लिए तब कोई सोच रहा था जो अब तुम सबके कॉमेंट्स देखकर कुछ क्यों सोच रही हो ?चलो तैयार हो और माताजी का आशीर्वाद लेने चलते हैं।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा।
मत भूलो यह मेरा परिवार है विषय ।के अंतर्गत लिखी गई कहानी