अरे सान्या रूम में इतना अंधेरा क्यों कर रखा है
रूम की खिड़कियों से पर्दे हटाती हुई मम्मी बोली।
जब जीवन में ही अंधेरा हो तो ….
मम्मी ने पास में बैठ कर चद्दर समेटते हुए समझाया
” पता है तुम्हारी प्रोब्लम क्या है ?
तुम हर कार्य को अपने अकॉर्डिंग चाहती हो बेटा हर समय कोई तुम्हारे हिसाब से क्यों चलेगा।
जितना शादी के बाद किसी लड़की को बदलना होता है ना उससे ज्यादा उसके ससुराल वालो के हर सदस्य को
बदलना होता है।
और वो भी खुशी खुशी बदलते है।
पर तुम जो चाहती संभव नहीं है।
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उनका भी कुछ आत्मसम्मान होता है।
एक लड़की को तो सबके आत्मसम्मान का ध्यान रखते हुए खुद के सम्मान को बरकरार रखना पड़ता है।
फिर तुम तो बहुत समझदार हो।
अब तुम्ही बताओ यदि तुम्हारी भाभी इस तरह करने लगे तो तुम क्या करोंगी?
सान्या तुरंत बोली ” मम्मी अपने यहां तो सभी बहुत अच्छे है तो भाभी ऐसा क्यों करेंगी ।”
मम्मी ने मुस्कुरा कर कहा ” ये तो तुम कह रही हो ना”
तुम्हारी भाभी तो दूसरे घर से है उनको तो अपने मायके की ही बाते व्यवस्थाएं अच्छी लगेगी।
वो तो ये चाहेगी की हम सब भी उन्ही के जैसे हो जाए।”
सान्या ;” ऐसा थोड़ी ना होता है “
अगर कोई बहुत अच्छी व्यवस्था हो तो बदले वर्ना हम क्यो बदले?”
मम्मी ने खड़े होकर अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसते हुए बोला।
“बस यही समझाना चाह रही थी।”
हा,अगर कोई और तकलीफ हो तो बताओ मैं अभी जाकर समधन जी से बात करती हु।
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मगर तुम्हारी जिद्द की या तो वे तुम्हारे हिसाब से बदले या तुम उन्हे छोड़ अलग घर में रहो फिजूल है।
ऐसी जिद्द घर खराब करती है।
बेटा आज मैं तुम्हारा पक्ष लेकर खड़ी हो जाऊंगी कल तुम्हारी भाभी की मम्मी ऐसी ही किसी जिद्द का पक्ष लेलेंगी तो घर घर नही रहेंगे।
तुम लोगो की क्या प्रोब्लम है की नोकर चाकर रख लेंगे
इंटरनेट ही ही ज्ञान का भंडार फिर हमे किसी की जरूरत
नही है।
पर बेटा हमने तुम्हे जिंदगी दी है।
और तुम्हारे सास ,ससुर तुम्हे जिंदगी से लड़ना सिखाएंगे।
मैं भी तो यही आकर सीखी हु ना।
सान्या गुस्से में बोली “मतलब आप मुझे यहां रखना नही चाहती है ना?”
नही बेटा पर आज तुम्हारी ही गलती पर तुम्हारा साथ देंगे तो समझो तुम्हारे पंखों को ही काट लेंगे।
जिंदगी बहुत बड़ी है।
और जैसे जैसे तुम बड़ी हो रही हो हमारी उम्र भी ढलेंगी।
आखिर कब तक तुम्हारी उंगली पकड़ेंगे।
एक ना एक दिन तुम्हे हमारी उंगली पकड़नी पड़ेंगी ।
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और बेटा ये कड़वा सत्य है की मां,बाप होते है तब तक ही बेटियां मायके में चहक पाती है।
फिर ये घर तुम्हारी भाभी का हो जाएगा।
तब हम भी तुम्हारा पक्ष नही ले पाएंगे और अंदर ही अंदर दुखी होंगे।
अच्छा यही है अब अपना घर संभालो।
हा यदि कोई परेशानी है तो बताओ हम खुद दूर करेंगे।
पर बिना बात की जिद्द..
No no ।
चलो अब तुम्हारे पापा घूम कर आने वाले है चाय चढ़ा देती हु।
तुम भी पहले ठंडी श्वास लो फिर मेरी बातो को सोचो।
कहते हुए मम्मी किचन में चली गई।
तभी पापा के कदमों की आहट भी आ गई थी।
आते ही बोले ” कहा गया मेरा लाडला बेटा?”
हा,पापा ये रही सान्या ने जवाब दिया।
पापा बोले ” अभी ऋषभ ( दामाद) का फोन आया था “
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वो कह रहा था की तुम अलग रहना चाहती हो।
तो लगता हम लोग भी अभी से वृद्ध आश्रम तलाश कर ले।
क्यों की तुम्हारी भाभी भी तो वर्किंग वुमन है।
वो भी नही चाहेंगी की हम साथ में रहे।”
तभी मम्मी चाय का कप ले आई और बोली ” आप टेंशन मत लीजिए मैने अपनी गुड़िया को समझा दिया है।
बच्चे है भटक जाते है।
अब समझ गई है।
हा,पापा सॉरी मैं ही गलत थी।
पर क्या अब वे मुझे माफ करेंगे?
अरे,क्यों नही माफ करने वाले बड़े दिल के होते है।”
पर हा,छोटो को भी उनके सम्मान में कमी नहीं रखनी चाहिए।
फिर ठीक है,पापा
आप ऋषभ को बुला लीजिए।”
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पापा बोले ” नही बेटा हम खुद तुम्हे छोड़ कर आयेगे तुम्हारी सासू मांजी चाय अच्छी बनाती है ।
सान्या ” तो ?
पापा ;” तो क्या रोज रोज तुम्हारी मम्मी के हाथ की चाय पीते पीते बोर हो गया हु “
ये मन के रिश्ते है इनसे भी मिलते रहना चाहिए ना?
चाय तो बहाना है ,हा,हा….
सभी हस पड़ते है।
और पापा इशारों इशारों में मम्मी को धन्यवाद देने लगते
है।
दीपा माथुर