गर्मियां जा चुकी थी….अब घड़े की जरूरत नहीं थी कोरोना काल के बाद से श्वेता ने फ्रिज का पानी पीना बंद कर दिया था और केवल घड़े का पानी ही पीती थी पर अब घड़ा दोबारा गर्मी में काम आने वाला नहीं था वैसे भी जब घड़ा बहुत पुराना हो जाता है तो उसमें पानी बहुत कम ठंडा होता है इसलिए वह घड़े को कूड़े में ना फेंककर उसको पेंट करने का सोचने लगी उसे बचपन से ही आदत थी…..कबाड़ से जुगाड़ करने की वह घर से बेकार चीजों को कुछ ना कुछ करके कलात्मक रूप दे ही देती थी, किसी का भी की स्केच बनाना हो या फिर पेंटिंग करना हो या फिर फालतू पड़े सामान को कलात्मक रूप देना हो उसे ज्यादा समय नही लगता परंतु शादी के बाद से यह शौक पीछे ही छूट गया था पर अब बच्चे बड़े हो गए थे और बच्चों के प्रति जिम्मेदारियां भी थोड़ी कम हो गई थी तो बस उसी शौक को पूरा करना करने का सोचने लगी।
वह घड़े पर पेंटिंग करने लगी……उसे घड़े पर पेंटिंग करते हुए पति नीरज ने देखा तो तुरंत ही ताना मारा कि “तुम्हारे पास कोई काम नहीं है क्या जो यह फालतू काम कर रही हो? “
यह सुनते ही निशा बोली….कि जिसे आप फालतू काम कह रहे हैं यह मेरा शौक है जोकि विवाह के पश्चात मैं लगभग भूल ही गई थी परंतु अब मेरे पास थोड़ा खाली समय रहता है बस उसी में यह शौक पूरा कर रही हूं मत भूलिए कि पुरुष सिर्फ मकान बनाता है और मकान को घर हम स्त्रियां ही बनाती हैं यह कहते हुए घड़े को पेंट कर वीडियो बनाकर उसने रख लिया कुछ समय बाद फेसबुक में एक प्रतियोगिता देखी जिसमें कबाड़ से जुगाड़ बनाने की प्रतियोगिता थी तो उसने वह वीडियो इस प्रतियोगिता में भेज दिया कुछ समय बाद देखा कि उसके वीडियो को बहुत लोगों ने पसंद किया और उसे प्रथम पुरस्कार भी मिला बस फिर क्या था श्वेता ने कोल्ड ड्रिंक की बोतलों को इकट्ठा कर उन्हें पेंट कर उसमें पौधे लगा दिए। बिस्किट के खाली डिब्बों में धनिया, प्याज और लहसुन के पौधे लगा दिए। पेंट के खाली डिब्बों को पेंट करके उसमें मनी प्लांट लगा दिया और घर के जीने पर लाइन से रख दिये।
दूध, रिफाइंड, चाय पत्ती के खाली पैकेटों को ग्रो बैग की तरह इस्तेमाल करके उनमें गेंदा और पिटूनिया के पौधे लगा दिए। कपड़े के थैले से फूल बनाना, जूट की रस्सी से वाल हैंगिंग बनाना, टोमैटो सॉस की बोतलों पर ग्लास कलर से पेंटिंग बनाना, जो भी कार्य करती तो वीडियो जरूर बनाती और फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भेजती रहती। उसका शौक उसके लिए जुनून सा बन गया। अब पूरा घर उसके द्वारा बनाई गई कलात्मक चीजों से भरा हुआ था……जो भी आता उसकी तारीफ करता और उस से प्रेरित होकर कुछ ना कुछ सीखकर जाता। धीरे-धीरे अब काफी लोग उसके घर सिर्फ इसलिए आते कि उसके द्वारा बनाई गई चीजों से वह क्या-क्या सीख सकते हैं और कम खर्च में किस प्रकार से सुंदर चीजें बनाकर घर को सजा सकते हैं एक दिन जब पेपर में उसकी फोटो छपी और लिखा था “कबाड़ से जुगाड़” बस क्या था………सभी उसकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे तभी श्वेता ने पति नीरज को फोटो दिखा कर कहा क्यों जी मान गए अभी भी क्या आपको यह फालतू काम दिखता है……बेशक मकान आपने बनाया पर उसको घर तो मैंने ही बनाया है कम खर्च में और सुंदर।
सही कहा भाग्यवान तुमने…..तुम जीती मैं हारा ….अब यह गलती मुझसे न होगी दुबारा……..यह कहते हुए पति नीरज ने हाथ जोड़ लिए उसकी इस हरकत पर श्वेता हंसने लगी।
किरन विश्वकर्मा
लखनऊ