Post View 448 “सेठ दुर्गा दास की मइयत में” …. हजारों की भीड़ थी। क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, सिख, ईसाई सभी की आंखें नम थी? वे थे भी बहुत अच्छे इन्सान। क्या गरीब…. क्या अमीर, ऊंच-नीच का भेदभाव लेश मात्र का भी न था। सबके दुख सुख में हमेशा खड़े रहते थे। परिवार में पत्नी … Continue reading मइयत – विजय कुमारी मौर्य
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