मैं घमंडी नहीं

अतुल और ज्योति दोनों अस्पताल के कोरिडोर में एक दूसरे का हाथ पकड़े बेंच पर डॉक्टर के इंतज़ार में बैठे हुए थे । दोनों के बीच चुप्पी थी। बीच बीच में दोनों एक दूसरे को अश्रु भरे हुए नैनों से देख लेते थे। 

उसी समय अटेंडर ने कहा कि डॉक्टर आपको बुला रहीं हैं । दोनों हड़बड़ा कर उठ खड़े हुए और धड़कते हुए दिल से अंदर पहुँच गए । डॉक्टर सुनीता ने दोनों को बैठने के लिए कहा ।जैसे ही दोनों बैठ गए उसने रिपोर्ट हाथों में लेकर कहना शुरू किया कि आपका ब्रेस्ट केंसर अभी शुरुआती अवस्था में है हम एक छोटी सी सर्जरी करेंगे और पूरी तरह से ठीक करने की कोशिश करेंगे । जो भी टेस्ट मैंने लिखे हैं वे पूरे टेस्ट करा लीजिए जल्द से जल्द हम सर्जरी कर देंगे । 

अतुल ने बहुत सारे प्रश्न पूछा ज्योति को तो कुछ सूझ नहीं रहा था।  इसलिए वह चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी ।

डॉक्टर से विदा लेकर दोनों घर पहुँच गए थे। लंच का समय बीत चुका था सोचा दोनों चाय पी लेते हैं । ज्योति नहाधोकर कपड़े बदलकर चाय बनाती है बिस्कुट के साथ चाय पीने से आत्माराम को थोड़ी शांति मिलती है ।

दोनों सुबह से अस्पताल में चक्कर काट रहे थे कभी यहाँ कभी वहाँ रिपोर्टों के लिए भागमभाग से थक गए थे बिस्तर पर लेटते ही ज्योति को नींद आ गई थी ।

अतुल की आँखों की नींद उड़ गई थी । वह सोच रहे थे कि पहले वाले दिन ज़्यादा अच्छे थे शायद बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करते हुए भी हम खुश थे । 

आज जब रिटायर हो गए थे और बच्चों के साथ रह कर रिलाक्स होना चाहते थे तो ज्योति को न जाने कैसे यह बीमारी आ गई है ।

अतुल रेलवे में नौकरी करते थे। ज्योति रोज स्कूल के लिए उसी बस स्टॉप पर खड़ी रहती थी जो अतुल के घर के सामने ही थी ।

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अतुल ने एक दिन देखा था कि लंबे बाल गोरी सी दुबली पतली लड़की बस में चढ़ना चाह रही थी भीड़ होने के कारण उसे पीछे धकेल कर दूसरे लोग चढ़ रहे थे । उससे रहा नहीं गया और सबको हटाकर खुद बस में दरवाज़े के पास खड़े होकर उसने ज्योति को चढ़ने दिया । ज्योति ने धन्यवाद कहा उस दिन से अतुल घर के बाहर ज्योति के लिए इंतज़ार करता रहता था । 

अब दोनों एक दूसरे को देख हँसते थे । एक दिन अतुल उससे बात करने के लिए बस स्टॉप पर पहले से ही आकर खड़ा हो गया था जैसे ही ज्योति पहुँची दोनों ने अपने अपने बारे में बताया फिर यह रोज का सिलसिला बन गया था कि दोनों बस स्टॉप पर मिलने लगे फिर प्यार का इज़हार हुआ ।

इस बीच ज्योति के घर में इनके बारे में पता चल गया था । उसके साथ उसका भाई आता था उसे बस में चढ़ाने के लिए । किसी तरह उसने ग्याहरवीं की परीक्षा दे दी तो घर में रिश्ते देखने लगे। यह बात मुझे पता चली तो हमने प्लान बनाया और मंदिर में जाकर शादी कर ली थी ।

ज्योति का माता-पिता से संबंध छूट गया था । अब मैं और मेरा परिवार ही उसके लिए सब कुछ था । एक साल में बेटा हो गया फिर भी उसने मेहनत करके बच्चे को सँभालते हुए बी ए किया । बी ए के बाद बी एड और एम ए किया । यह सब एक साल में नहीं हुआ है इसके लिए पाँच साल लगे थे इस बीच एक बेटी भी घर में आ गई थी ।

बच्चों के बड़े होते होते मेरी माँ गुजर गई थी फिर बहनों की शादियाँ कराई । 

ज्योति को सरकारी स्कूल में नौकरी मिल गई थी लेकिन आए दिन गाँव की तरफ़ तबादला होता था ।

बच्चों को मैं सँभाल लेता था । अपनी मर्ज़ी से हमने शादी की है तो मुश्किलों का सामना हमें ही करना था ।

बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और बहुत बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई थी बहू को लेकर अमेरिका चला गया है ।माता-पिता की बहुत ही अच्छे से देखभाल करता है । बेटी ने एम एस सी किया था । उसकी शादी भी अमेरिका निवासी लड़के से ही हमने कराया ।

हम बेटे के पास अमेरिका हर साल जाते थे। अपने व्यस्त ज़िंदगी से भी कुछ दिन निकाल कर वह हमें बहुत जगह घुमाने ले जाता था ।

एक बार मैंने उससे कहा था कि बेटा हमने अपनी ज़िंदगी का गोल्डन पीरियड देखा है जब हम तुम्हारे पास हैं ।

उस दिन उसने बताया कि वह हम दोनों को परमनेंट अमेरिका बुलाने के बारे में सोच रहा है। इसके लिए सारे कागजी कार्यवाही करवा लिया है और कहता है मेरे पास रहने के लिए आ जाओगे तो प्लेटिनम पीरियड दिखाऊँगा। जब वह ऐसा कहता है तो हमारी आँखें गर्व से चमकने लगती हैं । 

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ज्योति अपने बारे में और बच्चों के बारे में बहुत बढ़ा चढ़कर लोगों को बताती थी। मेरा बेटा बहुत बड़े पोस्ट पर है हमें अमेरिका ले कर जा रहा है हम वहीं बस जाएँगे । हमारे घर के आसपास के लोग और रिश्तेदार कहते थे कि ज्योति को अपने बेटे के ओहदे का बहुत घमंड है उससे बात करने के लिए भी डर लगता है

बस डींगें मारती फिरती है कि हम पति पत्नी सुंदर दिखते हैं, सबकी नज़र हम दोनों पर रहती है।  हमारे बच्चे खुशहाल की ज़िंदगी जी हैं तो सब हम पर जलते हैं बस यही बातें करती रहती है । उसे नहीं मालूम है कि पीठ पीछे लोग उसके बारे में क्या कहते हैं परंतु कई बार मैंने लोगों की बातें सुनी भी हैं । उससे कहा भी था कि लोग तुम्हें घमंडी कहेंगे ज्योति उनसे अपने बारे में बताना कम कर दे । 

वह कहती थी कि कहने दो मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है । हमने बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों को बड़ा किया है इसलिए अपने बच्चों की थोड़ी सी तारीफ़ कर लेती हूँ। वैसे हमारे बच्चों ने भी तो यहाँ तक पहुँचने के लिए कठिनाइयों का सामना किया है मुझे गर्व है अपने बच्चों पर । 

एक दिन बेटे ने फ़ोन करके कहा कि मैं टिकट ख़रीद कर भेज रहा हूँ तैयारियाँ कर लो इस बार लंबे समय तक रहना पड़ेगा वह बहुत खुश हो गई थी । 

सच कहूँ तो मैं भी खुश थे और हम जाने की तैयारी कर रहे थे कि ज्योति को इस बीमारी के बारे में पता चला तब से अस्पतालों के पीछे दौड़ धूप कर रहे हैं । लोग पीठ पीछे कहते हैं कितना घमंड था ज्योति में ईश्वर देखो कैसे उसे ज़मीन पर ला कर पटक दिया है । 

उनकी बातों से लगता है कि ईश्वर हम से रुष्ट हैं क्या ? अभी अभी तो सुख के दिन आए हैं या फिर लोगों की नज़र लग गई है । 

सोती हुई ज्योति को देख अतुल की आँखें भर आईं थीं ।

पाठकों को बता दूँ कि ज्योति की सर्जरी हो गई है और डॉक्टर ने हर छह महीने उसे चेकप के लिए आने को कहा है । इसलिए वे दोनों अमेरिका जाकर छह महीने में आकर चेकप कराते रहते हैं पर उनके दिल में डर बस गया था कि कब कौनसी खबर सुननी पड़ेगी । अतुल ज्योति की बहुत अच्छे से देखभाल कर रहे हैं जैसे वह एक काँच की गुड़िया हो ।

ज़िंदगी तो चलती ही रहती है दोस्तों वह किसी के लिए नहीं रुकती है ।अतुल और ज्योति सब कुछ भुलाकर ख़ुशियों को ढूँढने में लगे हुए हैं । अब ज्योति लोगों को बातें घमंड से नहीं बताती है परंतु बताती ज़रूर है यह कहते हुए कि मैं घमंडी नहीं हूँ । 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

 साप्ताहिक विषय— #घमंड

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