मेरे पापा ने हम लोगों की परवरिश बहुत ही अच्छे से किया था | उम्र के इस पड़ाव में भी , उनकी एक एक बात याद है |
उन्होंने जो संस्कार दिए है हमको, उसी के बल पे आज मैं अपनी जिंदगी के बड़े से बड़े दुख भी आसानी से काट लेती हूं |
आज मैं जब ऑफिस से आई तो देखा की,पिता जी मेरे पन्द्रह साल के बेटे से बोल रहे थे की, तुम अपने फूफा जी से ठीक से बात किया करो |
देखो बेटा वो बड़ी पोस्ट पे है ,उनसे रिश्ता बना के रखोगे तो आगे तुम्हारे काम आएगा | और किसी से बात करो या ना करो , लेकिन फूफा जी से बात करते रहा करो | वही तुम्हारे काम आयेगे |
हमको पिता जी की बातें बहुत बहुत खराब लगी |जब मेरा बेटा वहा से चला गया ,,मैने बोला पिता जी आप बुरा ना माने तो एक बात बोलूं ?
बोले हा बताओ? क्या चाहिए? कुछ चाहिए क्या? मैने बोला हा चाहिए |
आप अपने पोते को इस तरह की बात ना सिखाए | की जो फूफा जी अच्छी पोस्ट पे है, सिर्फ उनसे बात करे ,
उनका सम्मान करे |आप अपने नाती को क्या सीखा रहे थे की जिसके पास पैसे है, पवार है सिर्फ उन्ही रिश्तों को टाइम दे वो |
ऐसा ज्ञान बहुत ही गलत है | आप को मेरी बातो का बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहूंगी आपसे |
पिता जी मैं चाहती हूं ,मेरा बेटा अपने फूफा का सम्मान करे , अपने मामा का भी सम्मान करे, अपने दादा जी का सम्मान करे,
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अपने नाना जी का भी सम्मान करे |बच्चे को अपने सभी रिश्तों का सम्मान करना चाहिए | जिसके पास बहुत पैसा है , पवार है , सिर्फ उसी रिश्तों को निभाना ये बहुत गलत है |
मैं नही चाहती ये आपकी छोटी सी बात ,कोई बड़ा रूप ले ले और सब रिश्ते बिखर जाए |
हम जो भी बच्चो को सिखाते है | अच्छा ,चाहे बुरा, उसका परिणाम सबसे पहले अपने परिवार को ही भुगतना पड़ता है |
पिता जी आपका पोता आपसे बहुत प्यार करता है | आपकी सिखाई बाते उसे जीवन भर याद रहेगी | मैं चाहती हू मेरा बेटा अपने सभी बड़ो का आदर सम्मान करे |
रंजीता पाण्डेय