मैं नही चाहती ये छोटी सी बात कोई बड़ा रूप ले ले और सब रिश्ते बिखर जाएं – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मेरे पापा ने हम लोगों की परवरिश बहुत ही अच्छे से किया था | उम्र के इस पड़ाव में भी , उनकी एक एक बात याद है |

उन्होंने जो संस्कार दिए है हमको,  उसी के बल पे आज मैं अपनी जिंदगी  के बड़े से बड़े दुख भी आसानी से काट लेती हूं | 

आज मैं जब ऑफिस से आई तो देखा की,पिता जी  मेरे पन्द्रह साल के बेटे से बोल रहे थे की, तुम अपने फूफा जी से  ठीक से बात किया करो |

देखो बेटा वो बड़ी पोस्ट पे है ,उनसे रिश्ता बना के रखोगे तो आगे तुम्हारे काम आएगा | और किसी से बात करो या ना करो , लेकिन फूफा जी से बात करते रहा करो | वही तुम्हारे काम आयेगे | 

हमको पिता जी की बातें बहुत बहुत खराब लगी |जब मेरा बेटा वहा से चला गया ,,मैने बोला पिता जी आप बुरा ना माने तो एक बात बोलूं ?

बोले हा  बताओ? क्या चाहिए? कुछ चाहिए क्या? मैने बोला हा चाहिए |

आप अपने पोते को इस तरह की बात ना सिखाए | की जो फूफा जी अच्छी पोस्ट पे है, सिर्फ उनसे बात करे ,

उनका सम्मान करे |आप अपने नाती को क्या सीखा रहे थे की जिसके पास पैसे है, पवार है सिर्फ उन्ही रिश्तों को टाइम दे  वो |

ऐसा ज्ञान बहुत ही गलत है | आप को मेरी बातो का बुरा लगा हो  तो मैं माफी चाहूंगी आपसे |

पिता जी मैं चाहती हूं ,मेरा बेटा अपने फूफा का सम्मान करे , अपने मामा का भी सम्मान करे,  अपने दादा जी का सम्मान करे, 

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अपने नाना जी का भी सम्मान करे |बच्चे को अपने सभी रिश्तों का सम्मान करना चाहिए | जिसके पास बहुत पैसा है , पवार है , सिर्फ उसी रिश्तों को निभाना ये बहुत गलत है | 

मैं नही चाहती ये आपकी छोटी सी  बात ,कोई बड़ा रूप ले ले और सब रिश्ते बिखर जाए | 

हम जो भी बच्चो को सिखाते है | अच्छा ,चाहे बुरा, उसका परिणाम सबसे पहले अपने परिवार को ही भुगतना पड़ता है | 

 पिता जी आपका पोता  आपसे बहुत प्यार करता है | आपकी सिखाई बाते उसे जीवन भर याद रहेगी | मैं चाहती हू मेरा बेटा अपने सभी बड़ो का आदर सम्मान करे | 

रंजीता पाण्डेय

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