मैं माँ को धोखा नही दे सकता – मीना माहेश्वरी

 अमन का वर्मा जी के यहाँ बहुत आना _जाना था, और कई बार तो आंटी , वर्मा जी की पत्नी उसे वही रोक लेती |

वो भी तो मना नही कर पाता, आखिर आंटी भी तो उसे अपने सगे बेटे जैसा मानती थी|नेहा वर्मा जी की बेटी और अमन बचपन से एकसाथ खेलेकूदेपढ़े लिखे, संगसंग बडे़ हुए | अमन वर्मा जी के दोस्त का बेटा था, दोनो दोस्तों के घर आसपास थे, एक ही आफिस में काम करते थे, दोनों में खूब जमती थी |अमन जब 15_16 साल का था, तभी हृदय _घात से उसकी माता जी का देहांत  हो गया था |उस समय वर्मा जी की पत्नी ने ही अमन को अपने ममतामय आंचल में समेट कर मां का प्यारदुलार दिया,धीरेधीरेवो इस घर का  हिस्सा बन गया| नेहा और अमन में भी गहरी मित्रता थी, दोनों अपने सारे राज एकदूसरे से शेअर करते थे और एक_दूसरे की सलाह भी मानते थे| दोनो बच्चे समझदार थे, पढा़ई भी मन लगा कर करते | दोनो ने बारहवीं की परीक्षा बहुत अच्छे नंबरों से पास कर ली थी, आगे की रूपरेखा तैयार कर रहे थे, और अचानक दोनों परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा |  एक दिन आफिस से लौटते वक्त सड़क दुर्घटना में दोनो दोस्त एकसाथ  ईश्वर को प्यारे हो गये|अमन 18 साल की कच्ची उम्र में अनाथ हो गया

 

            अमन के पिता जी के देहांत के बाद अमन की विधवा बुआजी उसके पास आ कर रहने लगी, उनकी अपनी कोई औलाद नही थी, दोनों को एकदूसरे का सहारा मिल  गया| नेहा और नेहा की माताजी ने भी किसी तरह खुद को संभाला |  ये तय हुआ कि नेहा आगे की पढ़ाई अपने मामाजी के पास दिल्ली में रहकर  करेंगी | नेहा बहुत परेशान थी, माँ को अकेले इस हाल में छोड़कर जाने का बिलकुल भी मन नही कर रहा था लेकिन मजबूरी थी, मामाजी लेने आ गये थे| नेहा का रो _रो कर बुरा हाल था, अमन भी बहुत उदास था, नेहा के जाने के बाद  वो और भी अकेला हो जाएंगा, किस से करेंगा अपनी बात,फिर भी अपने आप को संभालते हुए नेहा को ढाढ़स बंधाने लगा, “मत रो नेहा, मैं हूँ ना, आंटी के पास, मैं उनका पूरापूरा  अच्छे से ध्यान रखूंगा| ” मुझे पता है लेकिन,,,,,,,,,,,,, नेहा और भी जोरजोर से रोने लगी, दोनों बच्चे फूटफूटकर रोने लगे|नेहा की माता जी  का हाल तो और भी बुरा था, कलेजे पे पत्थर  रखकर बेटी को विदा किया, बेटा मन लगा कर पढ़ना, मामा जी को शिकायत का  मौका न देना | 



             नेहा  के जाने के बाद तो  घर जैसे काटने दौड़ रहा था, उस दिन अमन अपने घर नही गया, पूरे समय  आंटी के पास बैठा रहा| आंटी पानी पी लीजिए, कुछ खा लीजिए, आप आराम कर लीजिए, अपनी छोटी छोटी  सेवा से सहज करने की पूरी कोशिश करता रहा| धीरे _धीरे ये सब दिनचर्या का हिस्सा बन गया, अब आंटी का कोई भी काम अमन के बगैर होता ही नही था, अमन उनका बेटा नही था, बेटे से बढ़कर था| घर की कोई भी बात अमन से  छिपी नहीं थी, आंटी अमन पर आंख मूंदकर विश्वास करती थी, अमन भी आंटी की सेवासुश्रृवा में जरा भी कमी या लापरवाही नही होने  देता|  इतने सालों में  वो आंटी की पसंद, नापसंद  से पूरी तरह  वाकिफ़ हो चुका था,आंटी  जात_ पात  को बहुत मानती थी, अंतर्जातीय विवाह के सख्त खिलाफ थी| अमन कभी हंसते_हंसते कहता, “आंटी  यदि नेहा  ने अपने पसंद से किसी दूसरे जात के लड़के से शादी कर ली, तो क्या करोगी?”   वो हंस कर कहती,” मेरी बेटी है, ऐसा कर ही नही सकती | ”     और दोनो हंसने लगते|

           देखते ही देखते छःसात साल कैसे बीत गये  पता ही नही चला |अमन अब 24_25  साल का सुदर्शन युवक था,  उसने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर लिया था, साथ में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था | नेहा ने भी एम. बी.ए. कम्पलिट कर लिया था, एक मल्टी नेशनल कंपनी में  दिल्ली में ही जाॅब कर रह थी, कोरोना की वजह से  घर से ही काम करना था, इसलिए  माँ के पास आई हुई थी| एक दिन सब इकट्ठा बैठे थे तो  माँ ने बात छेड़ी, क्यों अमन, अब हमें नेहा के लिए एक अच्छासा लड़का  देख कर इसके हाथ पीले कर देने चाहिए या नही ?,       बिल्कुल सही कहा आंटी आपने, मैं अभी जुट जाता हूँ इस नेक काम में,   नेहा अचानक से उठकर चली गई, अरे, इसे क्या हुआ|   शायद शर्मा गई होंगी, माँ ने कहा|

 

             उसी दिन शाम को अमन के  पास नेहा का फोन आता है, अमन तुम ऐसा कैसे कर सकते हो ,,,,,तुम्हें मेरे भावनाओं की जरा भी कद्र नही है , क्या कभी तुमने महसूस नही किया या जानबूझकर  महसूस करना  ही नही  चाहते,मैं साफ़_साफ़ कह रही हूँ, मैं तुम से प्यार करती हूँ, तुम्ही से शादी करूँगी, बस, मुझे और कुछ नही कहना |      सुनो, नेहा इस तरह  भावनाओं में बह कर फैसलें नहीं लिए जाते, आंटी ने मुझ पर आंख बंद कर के भरोसा किया है, बेटा मानती है मुझे, मुझे हमेशा से पता है, वो विजातीय विवाह के खिलाफ़ है, मैं उनकी भावनाओं की कद्र करता  हूँ, मैं उन्हें चोट नही पहुंचा सकता, मैं उनके साथ धोखा नही कर सकता, मुझे माफ़ कर दो, तुम समझदार हो मुझे समझोगी, तुम ने जो जिम्मेदारी दी थी, मैं ने पूरी निष्ठा से निभाई, हम हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे, मैं हमेशा बेटा बनकर आंटी का ध्यान रखूंगा|

#धोखा 

मीना माहेश्वरी

 स्वरचित रीवा मध्यप्रदेश

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