मैं क्यों बर्दाश्त करूं- हेमलता गुप्ता : hindi stories with moral

hindi stories with moral : निधि …यह क्या तमाशा लगा रखा है तुमने, आज पड़ोस वाले मेहता जी आए थे और कह रहे थे कि तुम्हारी बहू ने यहां पर आकर जो हंगामा किया है वह सही नहीं  किया। हमने आपका लिहाज करके उसे कुछ नहीं कहा, किंतु समझा लीजिए उसे, हमारे मामले में दखल न दे तो ही उसके लिए बेहतर है।

क्यों.. तुम क्यों गई थी वहां पर? अरे.. शादी ब्याह का घर है, गीत बाजा तो बजेंगे ही। क्या शादी वाले घर में मातम मना कर  कर बैठ जाएं?  क्या जरूरत थी वहां पर जाकर यह कहने की, की म्यूजिक की आवाज कम कर लो, मेरे सिर में दर्द हो रहा है, तुम्हें तो हर किसी  चीज से परेशानी होती ही रहती है,

कभी पड़ोसियों के यहां पर कोई पार्टी होती है तो तुम्हें परेशानी, किसी की शादी ब्याह हो तो तुम्हें परेशानी ,..अरे परेशानी किसको नहीं होती, लेकिन बर्दाश्त करने की भी आदत डालो, हर जगह तुम्हारे मन मुताबिक नहीं चलेगा? जैसे ही निधि की सास सुभद्रा जी ने यह कहा तब निधि ने जवाब दिया…

अरे, मैं कब मना कर रही हूं, खूब धूमधाम से करो ना अपनी शादी विवाह, लेकिन कम से कम दूसरों को तो परेशान मत करो, तीन दिन हो गए इनको, इतनी जोर जोर से डीजे की आवाज बजा के रखते हैं.. की ना पढ़ने वाला चैन से पढ़ पाता है, ना सोने वाला सो पाता है और जो दिनभर थके हुए ऑफिस से आते हैं उन्हें भी कम से कम रात को तो चैन से सोने को मिले और इस कॉलोनी में कितने सारे बच्चे हैं जो परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं,

कई बड़े बुजुर्ग हैं जिनकी तबीयत खराब रहती है और उन्हें शोर से परेशानी होती है और कई नौकरी वाले लोग हैं जो थके हुए शाम को घरों को लौटते हैं, सबको कितनी परेशानी होती है, क्या कभी सोचा है उन्होंने..? ठीक है तुम्हारे घर में शादी है, खुशियों का समय है तो खुशियां मनाओ ना पर दूसरों को परेशान करके क्यों मनाते हो अपनी खुशियां?

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शादी में ठीक है, एक दिन गाना बजाना कर लिया, या फिर दिन में बजा लिया, या कम से कम अपने म्यूजिक  की आवाज तो कम कर सकते हैं, और कम से कम रात को तो बंद कर ही सकते हैं! कभी जगराता के नाम पर, कभी भजन मंडली के नाम पर और कभी  शादी बारात के नाम पर..  जाकर पूछो कोई इन से, जब हमारे घर में शादी थी और हमने ऐसे ही डीजे बजवाया था तब तो यह सब घरवाले एकजुट होकर आ गए थे,

बंद करो, बंद करो.. हमारी रात क्यों खराब करते हो, अगले दिन काम पर जाना है, तब हमने बंद नहीं किया था क्या? अगर इतना ही शौक है तो शहर के बाहर जाकर वहां गाओ बजाओ किसने मना किया है? खुशियां मनानी है तो दूसरों को परेशान करके थोड़ी, बल्कि काम ऐसे करो कि तुम्हारी खुशियों में दूसरे भी खुश हो और रही बात मेरे बर्दाश्त करने की तो मेरी कोई गलती ही नहीं है तो मैं क्यों बर्दाश्त करूं?

मैंने सिर्फ उनको प्यार से समझाया है कि आप अगर इसको बंद नहीं कर सकते तो कम से कम आवाज अपने घर तक ही रखिए, इसमें मुझे नजर नहीं आ रहा कि मैंने कोई गलती करी है और कब तक बर्दाश्त करूं.. यह तो आए दिन का काम है अगर हम कोई एक्शन नहीं लेंगे तो यह तो और जोर-जोर से शुरू हो जाएगा! कहीं तो ऐसे कार्यक्रमों में विराम लगाना जरूरी है! अगर हर व्यक्ति अनचाही चीजों  को बर्दाश्त करना बंद कर दे और दूसरों के बारे में सोचना शुरू कर देगा तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित

 #जब मेरी कोई गलती ही नहीं है तो मैं क्यों बर्दाश्त करूं

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