मैं कमजोर नहीं – लक्ष्मी कानोडिया : Moral Stories in Hindi

सुनिधि आज बहुत खुश थी । वह अब मेडिकल में दाखिला लेने जा रही थी। उसके 12वीं कक्षा में साइंस में बहुत अच्छे नंबर आए थे।

लेकिन कुछ ही दिन बाद उसे पता चला कि उसके पिता की किडनी खराब हो गई है और उनको बदलना बहुत जरूरी है।

किडनी को बदलने में काफी पैसा लगा था। मगर किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं थी।

शायद किडनी को शरीर में स्वीकार नहीं किया था। अब जिंदगी का कोई भरोसा नहीं था। 

सुनिधि का एक बिजनेसमैन परिवार से रिश्ता आया था। बिजनेस भी अच्छा था तथा एक भाई व बहन थे।

सुनिधि की मां ने सुनिधि को समझाया की बेटा तेरे पिताजी का कोई भरोसा नहीं है तू यह पढ़ाई का चक्कर छोड़ और जल्दी

से शादी कर के अपना घर बसा ले जिससे कि हमको भी निश्चिंत्यता हो जाएगी। तेरे पापा की तबीयत की बहुत चिंता है। 

सुनिधि ना चाहते हुए भी मान गई। ससुराल पहुंचकर सुनिधि के बहुत अच्छी तरह है लाड प्यार हुए। शादी के बाद जिंदगी अपनी रोजमर्रा के कार्यों में बीतने लगी।

सुनीति के लिए वह पल वह बहुत खुशी का रहा जब उसे पता चला कि वह मां बनने वाली है। सबको घर में यह बात बताई सब बहुत खुश हुए।

इसके बाद 9 महीने बाद ही उसकी गोद में एक बच्ची आ गई। बच्ची के आते ही सुनिधि के पति का स्वभाव बदल गया। वह उससे गलत व्यवहार करने लग गया।

 रोज उन दोनों की चिक चिक होने लगी लड़ाई झगड़ा होने लग गया। सुनिधि का जीवन कड़वाहट से भर गया।

कभी-कभी तो सुनिधि का पति उस पर हाथ भी उठा देता लेकिन सुनिधि ने हार नहीं मानी। उसने अपने परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके।

उसने कोर्ट में तलाक की अर्जी  दाखिल कर दी।सुनिधि का पति से तलाक हो गया। 

अब वह अपनी बच्ची को लेकर लेकर अलग रहने लग गई। उसे लोगों ने सलाह दी कि अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है?

अभी तो तुम जवान और खूबसूरत हो दूसरी शादी कर लो और बच्ची को उसकी नानी के पास छोड़ दो ।

उसने कहा नहीं अब मैं अपनी बच्ची को अकेले पाल लूंगी। फिर उसने अपनी दोबारा से पढ़ाई शुरू करी और वह आज एक अच्छी डॉक्टर है।

अप्रकाशित एवं मौलिक रचना 

लक्ष्मी कानोडिया

खुर्जा, उत्तर प्रदेश

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