माँ की ममता बेटा – बेटी का भेद नही जानती – संगीता अग्रवाल : hindi kahani

hindi short story with moral ” मिताली बहू कल अहोई अष्टमी का व्रत है तुम तो ये व्रत नहीं करोगी जाह्नवी ( मिताली की ननद) यहीं आएगी व्रत पूजन को तुम तैयारी कर देना सब !” सास शीला देवी अपनी बहू से बोली।

” पर मांजी मेरे भी अब बेटी है और ये व्रत संतान के लिए होता तो मैं भी तो ये व्रत करूंगी !” मिताली बोली।

” पगला गई है क्या लड़की है तेरे लड़का नहीं जो व्रत रखेगी जब पूत हो जाए तब रखियो व्रत समझी जा जाकर काम कर अब बड़ी आईं व्रत रखने वाली !” शीला देवी गुस्से में बोली।

मिताली की अभी दो साल पहले ही शादी हुई है और उसके आठ महीने की बेटी है । बेटी होने से वैसे ही शीला देवी खुश नहीं थी उसपर उसके लिए व्रत करना उन्हें रास नहीं आया। हालाँकि व्रत रखने मे कोई बुराई नही थी और आजकल ज्यादातर लोग बेटा हो या बेटी ये व्रत रखते ही है पर शीला देवी ठहरी पुराने विचारों वाली ।  उन्हें गुस्से में देख मिताली ने वहां से हटने में ही भलाई समझी और काम करने लगी अपने।

अगले दिन मिताली की ननद अपने दोनो बेटों के साथ अहोई की पूजा करने आईं क्योंकि वो ससुराल वालों से अलग मायके के पास के मोहल्ले में ही रहती थी इसलिए अक्सर सब व्रत त्योहार मायके मे मनाती थी।

” बहू पूजा की तैयारी करके खाने की तैयारी कर ले तू !” दोपहर के समय शीला देवी बहू से बोली।

” जी मांजी !” मिताली पूजा की तैयारी करने लगी और जैसे ही उसकी ननद और सास पूजा करने बैठी वो भी आ गई।

” अरी तू यहां क्या कर रही जा जाकर खाना बना !” शीला देवी उसे देख बोली।

” मांजी मेरा भी व्रत है तो पूजा तो मुझे भी करनी है !” मिताली शांति से बोली।

” मना किया था ना तुझे फिर क्यो रखा व्रत ये बेटों की माएं रखती है उनकी लंबी उम्र के लिए और तेरे कौन सा कोई बेटा है अभी। जा जाकर कुछ खा ले जब बेटा जने तब करियो ये व्रत !” शीला देवी तनिक ऊंची आवाज़ में बोली।

” मां जी क्या बेटियों को लंबी उम्र की जरूरत नहीं है आप भी एक बेटी की मां हो और खुद भी किसी की बेटी हो क्या आपको नहीं लगता ये गलत है कि सिर्फ बेटों के लिए व्रत रखा जाए और बेटियों की मां को व्रत का हक ना हो !  ” मिताली अपनी सास से बोली।

” बहस मत कर यही रीत चली आ रही हमारे परिवार में जिसके बेटे हो वहीं व्रत रखती है बस समझी तू!” शीला देवी लगभग चिल्ला पड़ी।

” मांजी मेरे लिए मेरी बेटी भी उतनी ही प्रिय है जितना कल को बेटा होगा वैसे भी माँ की ममता बेटा बेटी का फर्क नही जानती उसे अपने दोनो बच्चे प्रिय होते है तो एक माँ होने के नाते मैं ये चाहती हूँ की मेरी बेटी की भी आयु लम्बी हो बस इसलिए ये व्रत करना चाहती हूं मुझे मत रोकिए प्लीज़ आप… और आप सोचिए बेटियों की लंबी उम्र नहीं होगी तो बेटे कहां से आएंगे क्योंकि आज की बेटी ही तो कल किसी की बहू होगी और बेटे को जन्म देगी !” मिताली नम आंखो से बोली।

” सही तो कह रही हैं भाभी …मां बेटी पैदा करने में भी मां इतना ही दर्द झेलती है जितना बेटा पैदा करने में एक मां के लिए उसकी दोनो संतान बराबर होती दोनो के लिए बराबर ममता होती है। फिर क्यो और कैसे वो भेदभाव करे कैसे बस बेटों की लंबी उम्र को व्रत करे? ये तो गलत है ना !” इतनी देर से चुप बैठी जाह्नवी मां से बोली।

” पर रीत रिवाज का क्या जिसमें ये व्रत बेटों वाली ही करती है !” शीला देवी बेटी से बोली।

” मां रीत रिवाज हमने ही तो बनाए है और कुछ अच्छे के आगाज के लिए इन्हे बदलना पड़े तो क्या दिक्कत है जितना आपको , मुझे व्रत रखने का हक है उतना भाभी को भी है क्योंकि वो भी एक मां है क्या फ़र्क पड़ता बेटी की है या बेटे की !” जाह्नवी मां का हाथ पकड़ कर बोली।

” पर …!” शीला जी असमंजस में बोली।

” पर वर कुछ नहीं मां क्या आप नहीं चाहती मेरी लंबी उम्र हो ?” जाह्नवी बोली।

” अरे क्यों नहीं चाहूंगी कोई भी मां यही चाहेगी की उसके बच्चों की लंबी उम्र हो !” शीला देवी बेटी के गाल पर हाथ फेरते बोली।

” तो भाभी ये चाह रही है तो क्या गलत है बस फर्क इतना है वो इसके लिए व्रत रखना चाह रही है । उन्हें मत रोकिए मेरी अच्छी मां उन्हें खुशी खुशी व्रत करने दीजिए और अपनी बहू को आशीर्वाद दीजिये और अपनी पोती की लम्बी उम्र की भी दुआ मांगिये आखिर दादी के मन मे भी तो ममता होती है  !” जाह्नवी बोली।

” ठीक है भई ये नई पीढ़ी शायद हमसे ज्यादा समझदार है जो बेटा बेटी में भेद नहीं करती आज मैं अपने घर में इस भेदभाव को मिटा एक नया आगाज करती हूं !” शीला जी हंसते हुए बोली।

” ओह मांजी शुक्रिया आपका !” मिताली खुश हो सास के गले लग गई क्योकि ननद के समझाने पर ही सही आखिर उसकी सास मान तो गई थी।

दोस्तों अभी भी कुछ घरों में सिर्फ बेटों की लंबी उम्र के लिए व्रत त्योहार किए जाते जो बिल्कुल ग़लत है बच्चे सब बराबर चाहे बेटा हो या बेटी दोनो को पैदा करने मे समान दर्द झेलती है माँ , दोनो के लिए दिल मे बराबर ममता रखती है माँ तो दोनो के लिए ही व्रत क्यो नही रख सकती ?

आप सभी माओ को अहोई अष्टमी की शुभकामनाएं 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

 

  

  

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