माँ का रूप – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

सुबह-सुबह की भोर थी …सब लोग मनु को ढूँढ रहे थे । घर का हर एक कोना ,आस-पड़ोस सब जगह देख लिया

पर उसका कहीं कुछ पता नहीं चल रहा था । वीणा जो इस घर में मनु की नयी माँ बनकर आयी थी । वो बोली “उसके दोस्तों से भी पूछो ! वो बिना बताए ज़्यादा दूर नहीं जाता “। तभी मनु के दादा बोले – केशव !तुम्हारी वजह से मेरा पोता आज घर से ग़ायब हैं ।

यें आप क्या कह रहे है बाबू जी…… मेरी वजह से !

तुम्हें पता था कि वो अपनी माँ से कितना प्यार करता है । उसकी माँ की जगह तुम नयी माँ ले आए और ऊपर से तुम उसे ज़बरदस्ती हॉस्टल भेज रहे हो तो घर से भागे गा ही……

बाबूजी उसकी शरारतें ,बत्तमीजी कितनी बढ़ गई थी और वो वीणा से भी तमीज़ से बात नहीं करता । आए दिन उसके स्कूल से भी शिकायत आती रहती थी । वो थोड़ा सुधर जाए , अच्छें से पढ़ाई कर ले । बस इसीलिए उसे हॉस्टल में डालने का कहा था ।

बाबू जी अभी मैं जाकर उसके दोस्तों से पूछता हूँ अगर वो मुझे वहाँ नहीं मिला । तो फिर मैं पुलिस के पास जाता हूँ । सुबह से शाम हो गई पर मनु का कहीं कुछ पता नहीं चला ।

पुलिस भी चौबीस घंटे से पहले कुछ नहीं कर सकती ।ये जान घर वापस लौट केशव मनु की माँ की फोटो से माफी मांगते हुए आँखो में आठ-आठ आँसू लिए बैठा था । ये देख मनु के दादा बोले बेटे अब पछतावा करने से क्या होगा ! जब वो था तब तो तुमने उसकी सुनी नहीं । हमेशा अपनी ही करते रहे ।

वीणा भी सारी रात भगवान की पूजा करती रही । अगली सुबह जब दरवाज़े पे दस्तक हुई तो मनु को देख सबके चेहरे खिल उठे और दुःख के बादल छँट गए । मनु वीणा को माँ बोल उससे लिपट गया । यें देख वीणा की ममता भी उमड़ पड़ी । थोड़ी देर में वीणा ने मनु के हाथ मुँह साफ किए और उसे खाना दिया ।

खाना खाने के बाद मनु ने बताया कि कल दिन में जब वो चर्च में बैठा हुआ था । तो चर्च के फादर मेरे पास आए और मेरे बारे में सब जान कर उन्होंने मुझे समझाया

कि माँ भगवान का ही एक रूप हैं । भगवान सब के पास नही रह सकता । इसलिए उन्होंने माँ को बनाया है

जो अपने बच्चों का ध्यान रखे हर मोड़ पे साथ दे । इसलिए बच्चों को भी माँ को वही प्यार और मान देना चाहिए जो वो भगवान को देते हैं । जैसे भगवान के अनेक रूप होते हैं । वैसे ही माँ के भी अनेक रूप होते हैं और माँ हर रूप में माँ ही होती है सगी या सौतेली नहीं ।

मुझे माफ कर दो माँ ! अपने दोस्तों की बातों में आकर मैं ये नादानी कर बैठा । अब मैं आपको कभी तंग नहीं करूँगा ….

बेटा तंग जितना करना चाहो कर लेना , पर नाराज़ होकर कभी भी घर से मत जाना ।

तभी केशव अंदर आता है और मनु से माफी मांग उसे गले लगा लेता है । सबको खुश देख केशव भगवान का भी शुक्रिया करता है कि उसे अपनी गलती सुधारने का एक मौका मिला ।

#आठ-आठ आँसू रोना

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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