आज मधुर को फिर एक लड़की देखने जाना था लड़की वालो को खबर कर दिया गया था कि लड़का अकेले आएगा।उन्हे यह भी बताया गया था कि लडके वालो की बस एक ही डिमांड है कि लड़की गोरी और सुंदर होनी चाहिए ।लड़का की माँ का कहना था कि पहले सिर्फ लड़का मिलने जाएगा, यदि उसे लड़की पसंद आ जाएगी
तो फिर घर वाले आकर लड़की को सगुन देकर रिश्ता पक्का कर देंगे। उन्होंने ने कहा था कि इसके पहले भी तीन चार लड़कियां वे लोग देख चुके है, पर उनके बेटे मधुर को कोई लड़की पसंद ही नहीं आई और इस चक्कर मे लड़की वालो पर खर्च का बोझ भी पड़ गया,
जो लड़का की माँ को सही नहीं लगा इसलिए उन्होंने सोचा है कि पहले लड़का लड़की से किसी होटल मे मिल ले।लड़की के घर वालो को होटल मे अकेले बेटी को भेजना पसंद नहीं आया, इसलिए उन्होंने कहा कि भले ही सिर्फ लड़का ही आए पर आना घर पर ही होगा। मनीषा बहुत ही सुंदर थी इसलिए उन्हें पूरा विश्वास था कि रिश्ता पक्का हो ही जाएगा,
परन्तु जब सारी तैयारी करने के बाद वे लोग लड़के का इंतजार कर रहे थे, तभी मनीषा कि बुआ का फोन आया कि लडका आज लड़की देखने नहीं आ पाएगा। लड़के की दादी की तबियत खराब हो गईं है जिसके कारण वे लोग उनसे मिलने गाँव चले गए है।मनीषा की बुआ ही शादी की बात चला रही थी।मनीषा के पापा ने कहा कि कोई बात नहीं दीदी वह मनीषा से मिलने फिर कभी आ जाएगा ,
आज उसका वहाँ जाना बहुत जरूरी था, घर के बुजुर्ग बीमार हो तो उन्हे देखना ज्यादा जरूरी है।यह तो उनके बहुत ही अच्छे संस्कार है जो लड़के ने लड़की देखने के स्थान पर अपनी बीमार दादी से मिलने जाने को प्राथमिकता दी।मनीषा के पापा ने लड़का की दादी का हालचाल लेने के लिए अपनी बहन से लड़का के पिता का फोन नंबर माँगा, लेकिन उनकी बहन ने कहा
कि तुम्हारे जीजाजी को पता है, वे अभी बाहर गए है,आएंगे तो बोल दूंगी तुमसे बात कर लेंगे। वैसे अभी रिश्ता नहीं जुडा है तो बात करने की जरूरत नहीं है।इसतरह देखते देखते एक सप्ताह बीत गया तब मनीषा के पापा ने बात आगे बढ़ाने को कहने के लिए अपनी बहन को फोन किया।उनकी बहन ने बताया कि लड़का की दादी अब ठीक है,
समय देखकर एक दो दिन मे लड़का लड़की देखने जाएगा।आप को एक दिन पहले खबर कर देंगे।चार दिन बाद लड़की देखने की बात तय हुई मधुर लड़की देखने गया और लड़की से मिलकर बोला कि पापा को बता दूंगा वह आपको खबर कर देंगे। मधुर की बातचीत से साफ पता चल रहा था कि उसे लड़की पसंद है। मधुर जब घर गया
तो उसके पापा घर पर नहीं थे सिर्फ माँ ही थी उसने माँ से कहा माँ लड़की बहुत ही सुन्दर है, पढ़ी लिखी भी है और बातो से साफ पता चल रहा था कि समझदार भी है। ऐसी लड़की यदि घर मे आएगी तो घर को स्वर्ग बना देगी। वे लोग ज्यादा पैसे वाले तो नहीं लग रहे थे, पर हमें उससे क्या हमारे पास तो वैसे ही बहुत पैसा है।
दादी और पापा तो पहले से ही कहते है कि धनी घर की लड़की नहीं लाएंगे।उसकी माँ ने कहा पता नहीं तुम्हारा स्टेण्डर्ड क्या है जो भी लड़की देखने जाते हो वही पसंद आ जाती है। मैंने भी उसकी तस्वीर देखी है,मुझे तो कुछ खास नहीं लगी। तुम विवाह के लिए मना कर दो, मुझे लड़की पसंद नहीं है। नहीं इसबार मै मना नहीं करूंगा। आप ही पापा से बोल दीजिए।
आपको लड़की पसंद नहीं आती है और आप मेरा नाम लगाकर रिश्ते के लिए मना कर देती है। अब ऐसा नहीं होगा। मुझे तो लग रहा है कि आप मेरा विवाह ही नहीं होने देना चाहती है।
आप माँ नहीं दुश्मन हो। आप एकदम पत्थर दिल हो। आप बार बार मुझे पापा से बात सुनवाती हो,आप मेरी ख़ुशी से जलती हो। मुझे तो लगता है कि कही आप मेरी सौतेली माँ तो नहीं हो।
मधुर ने माँ को बहुत सुनाया। इसमें सौतेली और पत्थर दिल होने की बात कहा से आई? मुझे लड़की पसंद नहीं है तो मैंने कहा कि पसंद नहीं है और तो कुछ नहीं कहा। मेरी बात नहीं माननी हो तो मत मानो, जाओ जाकर अपने पापा से कह दो कि लड़की पसंद है और विवाह कर लो। यही तो बात है जो लड़की आपको पसंद नहीं है मै उससे कैसे विवाह कर सकता हूँ,
पर पापा को ना कहने का मतलब जानती है न? कितना सुनाते है, और आप है कि मुझे ही आगे कर देती है।मै पापा से नहीं बोलूगा आप ही मना कर देना।यह कहकर वह अपने कमरे मे चला गया। थोड़ी देर बाद मधुर के पापा मनोहर जी अपने ऑफिस से आए, आते ही उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा मधुर आ गया?
हाँ, आ गया जबाब मिलते ही फिर बोले कहा है? कही गया है पत्नी ने फिर कहा। अच्छा, लड़की देखने गया था तो लड़की पसंद आई। अब ना मत कह देना लड़की की बुआ बोल रही थी कि लड़की इतनी सुंदर है कि कोई एकबार देख ले तो विवाह से मना नहीं कर सकता।बुआ के कहने से क्या होता है अब आप ही सोचो कोई लड़की वाला अपनी लड़की का शिकायत करेगा भला,
आप भी तो अजीब बात कर रहे है मधुर कि माँ ने जबाब दिया। शादी विवाह मे तो लोग ऐसे ही बोलते ही है कि मेरी बेटी बहुत गुणवान है, सुंदर है, आदि बहुत सारी बाते। अब बात को गोल गोल घुमाओ मत साफ साफ कहो कि तुम्हारे बेटे को लड़की पसंद आई कि नहीं झुंझलाते हुए मनोहर जी ने कहा।नहीं पसंद आई, मधुर की माँ ने सर झुकाए हुए कहा.।तुम्हारे बेटे को क्या चाहिए?
कोई लड़की ही पसंद नहीं आती। अब मै इसमें क्या कर सकती हूँ, मधुर की माँ ने अपने को इस मुद्दे से बचाते हुए कहा।बहू मनोहर आ गया क्या कहते हुए उनकी माँ कमरा मे आई। हाँ माँ मै आ गया। कुछ काम था क्या? मनोहर जी ने जबाब दिया। हाँ, पूछना था कि आज मधुर लड़की देखने जाने वाला था न, क्या हुआ। हुआ क्या, तुम्हारे पोते को कोई लड़की ही पसंद नहीं आती है,
मनोहर जी ने गुस्साते हुए कहा।क्यों बहू तुम क्यों नहीं कुछ बोलती, कही तुमने ही तो मना नहीं न कर दिया है। व्यंग मे मनोहर जी कि माँ ने अपनी बहू कोई कहा।तुम जानती हो कि जितना जल्दी विवाह हो उतना ही अच्छा है फिर भी उसे समझा नहीं रही हो।तुम्हे पोता देखने का मन नहीं होगा पर मुझे परपोता देखकर ही मरना है।वे इतना जोर जोर से बोल रही थी
कि मधुर को अपने कमरा मे भी उनकी बाते साफ साफ सुनाई दे रही थी । उसने सोचा अभी तक तो सिर्फ पापा ही हम माँ बेटा पर चिल्लाते थे अब दादी भी आ गईं। पता नही माँ को क्या दिक्कत है।विवाह ही तो करना है किसी से भी कर देती, ये रोज़ रोज़ इतना सुनना तो नहीं पड़ता। पापा को अच्छे से जानती है फिर भी। ये तो पता नहीं इसबार ऐसा क्या है कि वो मेरी पसंद पूछ रहे है
नहीं तो मुझे तो लगता था कि वे एक दिन आकर कहेंगे कि कल तुम्हारा विवाह है। चलो तुम्हारे और बहू लिए कुछ कपड़े खरीद लेते है। अभी बेचारा मधुर यह सब सोच ही रहा था कि उसे अपने पिता की चिल्लाने की आवाज सुनाई दी।
तुम्हारे बेटे की बीमारी के बारे मे सोचकर चुप हूँ तो उसका भी बहुत हो रहा है।कल के कल जाकर विवाह तय करता हूँ,वही ठीक रहेगा। कह देना अपने बेटे से इसी लड़की से उसका विवाह होगा। मेरी बीमारी! मुझे ऐसा क्या हुआ है जो मेरे प्रति पापा नर्म बन रहे है। वह तुरंत पापा के कमरा मे आया और पूछा मुझे क्या हुआ है। उसके पापा उसे देखकर घबरा गए
और बात को पलटते हुए बोले कुछ नहीं बेटा, तुम्हारी दादी बीमार रहती है इसलिए हमलोग चाह रहे थे कि तुम्हारा विवाह जल्द से जल्द कर दे ताकि वह भी देख ले, पर तुम्हे तो कोई लड़की पसंद ही नहीं आती है। लड़कियों की कमी नही है,पर थोड़ा जल्दी करो दादी को कुछ हो जाए उसके पहले विवाह कर लो।नहीं पापा मैंने अपने कानो से सुना आप मेरी बीमारी का कुछ कह रहे थे।
आप सही सही बोलिए मुझे क्या हुआ है? मधुर ने अपने पापा से पूछा। कुछ नहीं, यह बताओ की लड़की क्यों नहीं पसंद आई? नही पापा बात मत बदलिए पहले मेरी बात का जबाब दीजिए। तुम्हे जानना है तो सुनो तुम्हे लीवर कैंसर हुआ है। बीमारी इतनी ज्यादा बढ़ गईं है कि अब इलाज भी सम्भव नहीं है। दवा के द्वारा कुछ दिन ठीक रहोगे।
इसलिए हम चाहते है कि तुम्हे कुछ हो जाए उसके पहले तुम्हारा विवाह कर दे ताकि एक बच्चा हो जाए तो हमारा वंश भी चले और वह हमारे जीने का आधार भी बने,उसकी दादी ने कहा। अपनी बीमारी के बारे मे सुनकर उसे झटका लगा, पर उसने इस बात पर विश्वास कर लिया क्योंकि उसे चार माह पहले पेट मे भयंकर दर्द हुआ था उसे जब अस्पताल ले जाया गया
तो डॉक्टर ने कुछ जांच करवाया और दवाई दी जो वह अभी तक खा रहा है। पापा ने बताया था कि अल्सर हुआ है ठीक हो जाएगा, पर उसे आज पता चला कि कैंसर है। इसी कारण पापा मेरी बीमारी के बाद से ही लगातार लड़की पर लड़की देखने का प्रोग्राम बनाते रहते है।उसने अपने आप पर काबू करते हुए कहा यह क्या कह रही है
दादी आप,अपने सुख के लिए दूसरे की बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दोगी? मै विवाह नहीं करुँगा। उसे अब समझ आ रहा था कि उसकी माँ उसका विवाह क्यों नहीं करना चाहती है।यह कह कर वह वहाँ से चला गया। मनोहर जी और उनकी माँ अपनी बहू पर चिल्लाने लगे तुमने तो कहा था कि मधुर घर पर नहीं है। अब क्या होगा हमारा वंश कैसे चलेगा।
पूरी रात मधुर बेचैन रहा। सुबह उठकर वह माँ के पास गया और पहले उसने उन्हें पत्थर दिल कहने के लिए माफ़ी मांगी फिर उसने कहा माँ मेरे पास एक उपाय है जिससे पापा और दादी का मन भी रह जाएगा और मुझे भी किसी लड़की का जीवन बर्बाद करने का पाप नहीं लगेगा। मेरे एक दोस्त की बहन है जो विधवा है। मै उसे पहले से ही पसंद करता था,
पर पापा के डर से नहीं बोला। फिर उसका विवाह हो गया, पर नियति ने उसके साथ बहुत ही बुरा किया विवाह के कुछ महीने बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गईं। पति के मृत्यु के तीन माह बाद उसे एक बेटा हुआ। यदि पापा तैयार हो तो मै उससे विवाह कर सकता हूँ।मुझे कुछ हो जाएगा तो उसके पास हमारी सम्पति रहेगी और यदि इस बीच हमारा बच्चा हुआ तो और भी अच्छा होगा।
अभी तो वह बेचारी अपने मायके मे रहती है।अभी माँ पापा जिन्दा है तो फिर भी चल रहा है। भाई भाभी के यहाँ रहना आसान भी नहीं होगा। वैसे भी मेरे दोस्त की पत्नी का रवैया उसके प्रति अच्छा नहीं है। बोलो माँ कुछ तो बोलो मै सही सोच रहा हूँ ना? मधुर अपनी माँ से अपनी बातो की सहमति चाह रहा था. उसकी माँ उसकी बातो से सहमत भी थी,पर उसने कहा तुम तो जानते ही हो तुम्हारी
दादी और पापा के सामने मेरी एक नहीं चलती। तुम दादी को बोलो वह तैयार हो जाएगी तो पापा भी मान जाएंगे। मधुर ने दादी को इमोसनली ब्लेकमेल करते हुए कहा सोच लो दादी मै दूसरे किसी से विवाह नहीं करूंगा। पापा को मनाओ और इस लड़की से मेरा विवाह करवा दो। उसमे कमी है तो मुझमे भी तो कमी है। आखिर उसकी दादी तैयार हो गईं
और उसका विवाह उसके पसंद की लड़की से हो गया। विवाह के दो महीने बाद डॉक्टर ने यह कहकर कि दवा का कोर्स छह माह का था जो कि पूरा हो गया अब आप दवा खाना बंद कर दीजिए।मनोहर जी ने कहा मेरा बेटा ठीक है अब? हाँ, अब वह पूर्णतः ठीक है. उसे अब कोई प्रॉब्लम नहीं है। पर डॉक्टर साहब आपने तो कहा था
कि इसे कैंसर है जो लाइलाज है, मनोहर जी ने डॉक्टर से पूछा। वह तो आपकी पत्नी ने ऐसा कहने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि आप बेटा को ज़रा भी प्यार नहीं करते है उसके मरने की बात सुनकर शायद आपमें उसके लिए भावनाए जग जाए। यह सोचकर उनके बहुत रिक्वेस्ट करने पर मैंने ऐसा कह दिया था। यह सुनते ही मनोहर जी और मधुर को समझ आ गया कि
माँ ने इस विवाह को करवाने के लिए डॉक्टर से ऐसा कहने के लिए बोला था। मनोहर जी ने सोचा चलो एक झूठ से मधुर को मनपसंद पत्नी मिल गईं और हमें बहुत ही प्यारी बहू और सबसे बड़ी बात कि उनका बेटा एकदम ठीक है। सही बात है इन छह माह मे उन्होंने अपने बेटे की क़ीमत समझ लिया
था। बेटे के मरने का सोचकर ही उनकी रातो की नींद उड़ गईं थी। इधर मधुर सोच था कि मैंने अपनी माँ को पत्थर दिल कहा,मै सोच रहा था कि माँ खुद पापा के डांट से बचने के लिए मुझे आगे कर देती है, पर आज समझ आया, माँ कभी पत्थर दिल हो ही नहीं सकती और अपने बच्चो की ख़ुशी के लिए वे कुछ भी कर सकती है।
विषय —पत्थर दिल
लतिका पल्लवी