लक्ष्मी – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

जब शांत मन से यादों के समंदर में गोते लगाओ तब अचानक कोई नायाब सीपी या मोती क्रमवार आंखों के समक्ष उपस्थित हो जाता है। 

   संभवतः भूली-बिसरी यादें इसी को कहते हैं। जब चौबीस घंटे के हवाई यात्रा के पश्चात मैं  सनफ्रांसिस्को हवाई अड्डा पहुंच कस्टम माइग्रेसन से निपट बाहर निकली। बेटा लेने आया था। उसे देखते ही थकान उड़न छू हो गया। मैं रास्ते की सुर्खियां सुनाती रही… बेटा मुझे सही-सलामत देख मुस्कुराता रहा। 

   वहाँ एअरपोर्ट का पार्किंग कई  लेयर में रहता है। बेटा डिक्की में मेरा सामान रख रहा था उसी समय  एक  युवती दौड़ती हुई आई और मेरा चरण-स्पर्श किया, “मैडम आप ,मैं लक्ष्मी आपकी हिंदी आनर्स की छात्रा “वह भावविह्वल रुंधे गले से बोल पडी़। 

मैने उसकी ओर  ध्यान से देखा।  चेहरा कुछ पहचाना सा लगा किंतु नाम, किस बैच की है…मुझे कुछ भी याद नहीं रहा। दर असल हर वर्ष सभी कक्षाओं में कितनी छात्रायें आती जाती हैं कि उनको जेहन में रखना आसान नहीं। लेकिन नाम लक्ष्मी सुनते ही मन पाखी को झटका सा लगा। 

   ” मैडम आपने अगर मेरी ऐन वक्त पर मदद न की होती तो मैं भी कहीं अपनी तकदीर पर आंसू बहा रही होती या मर-खप गई होती। “

“अच्छा अब ठीक हो न… फुरसत में मिलो.. बातें करते हैं! “

“जी मैडम “वह नन्हीं बच्ची के समान चहक उठी। 

फिर  लक्ष्मी पति के साथ बेटे से बात की, कार्ड का आदान-प्रदान हुआ और मैं घर पहुंच गई। यहाँ बहू और पोता पोती पलकपांवडे़ बिछाये मेरी प्रतिक्षा कर रहे थे। 

   फिर मैं अपने परिवार बच्चों में उलझ गई।लौटने का समय भी नजदीक आ पहुंचा।  वापसी  के समय नाते रिश्तेदार परिवार के लिये उपहार की खरीददारी होने लगी। यहाँ अपने देश के बच्चे  मित्रों के माता-पिता को दावत पर बुलाते हैं… जबकि अपने शहर में कम हो गया है खाना-खिलाना !लेकिन प्रवासी बच्चे अवश्य एक-दूसरे के माता-पिता को खाने पर बुलाते हैं… उपहार देते हैं आशीर्वाद लेते हैं। इसी व्यस्तता में एक दिन लक्ष्मी पति के साथ आ पहुंची। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

अस्तित्व – पूनम शर्मा : Moral Stories in Hindi

   इतने दिनों तक नहीं मिलने के लिए क्षमा मांगी… उसके पति के रिश्तेदार गंभीर रूप से बीमार थे इसीलिए दूसरे शहर चली गई थी। 

   “अब बताओ, यहाँ कैसे आ पहुंची, सब ठीक है न। “

फिर परतें खुलती गई। लक्ष्मी अन्य लड़कियों की तरह ही मेरी छात्रा थी ।एक दिन कालेज से निकलते समय मेरी नजर उसपर पड़ी वह घबराई, परेशान और कुछ विक्षिप्त सी लगी। 

   कौतूहल वश मैने अन्य स्टाफ से चर्चा की तब पता चला कि इसके पिता शराबी हैं। मां की मृत्यु हो गई थी। सौतेली मां के तीन बच्चे हैं। तंगहाली में जीवन बीत रहा है। सौतेली मां बहुत क्रूर थी। आधे पेट खाने को देती। घर का काम… मार डांट अलग से। लक्ष्मी पढना चाहती थी। इधर एक नशेडी गंजेरी अपने रिश्तेदार से पैसे लेकर सौतेली मां उसे व्याहना चाह रही थी। लक्ष्मी जान देने पर उतारु थी। 

   मैने अपनी सहकर्मियों के साथ मिलकर रुपये पैसे किताब हर प्रकार से लक्ष्मी की सहायता की। उसे समझाया, “जान देकर क्या मिलेगा ।तुम बालिग हो, तुम्हारी मर्जी के खिलाफ कोई कुछ नहीं कर सकता है। तुम्हें दृढता दिखानी होगी। एकबार ग्रेजुएशन कर लो… नौकरी के लिए सारे रास्ते खुल जायेंगे। “

“अब बर्दाश्त नहीं होता “वह रो पड़ी थी। 

“सहना तो पडेगा, मृत्यु अवश्यभावी है तो क्यों न संघर्ष किया जाये। “

  पूरे कालेज में बात फैल गई। कुछ उत्साहित समझदार लकडियां उसका मार्गदर्शन करने लगी। 

  मैं हिंदी विभागाध्यक्ष पद से रिटायर होकर अपने पुश्तैनी गांव चली आई। लक्ष्मी के  नाम का ख्याल कभी सपने में भी नहीं आया। 

  उसके बाद यहाँ एअरपोर्ट पर भेंट हुई थी। आगे की कहानी लक्ष्मी की जुबानी। 

” मैम आपके मार्गदर्शन सहायता और आशीर्वाद से ही मैं उस घुटन भरे रिश्ते से आजाद हो पाई।”

वह कालेज से  अच्छे नंबरो से पासकर एक प्राइवेट स्कूल में पढाने लगी थी। सशक्त दोस्तों का साथ पाकर यह भी अब परिपक्व हो चली थी। 

इसके स्वभाव आचरण जुझारूपन से प्रभावित होकर स्कूल की प्रिंसिपल ने अपने विदेश में कार्यरत इंजीनियर बेटे के लिए लक्ष्मी का हाथ मांग लिया। घर का माहौल ही बदल गया…अब लक्ष्मी से किसी को शिकायत नहीं रही। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बदजात – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi

    अब सौतेली माता और पिता नहीं है। लक्ष्मी और  उसके पति ने सौतेली बहनों का  पढा-लिखाकर  विवाह करवा दिया। दोनों अपने घर-गृहस्थी में सुखी हैं। 

लक्ष्मी अपने पति और बेटे के साथ विदेश में सेटल है। सामाजिक कार्यों में बढ-चढ़कर हिस्सा लेती है। उसका सुदर्शन पति, प्यारा बेटा और सुखी गृहस्थी देख मैं गदगद हो गई।

  सच में शिक्षक सिर्फ शिक्षा ही नहीं देता है बल्कि अपने विद्यार्थियों का मनोबल बढाकर मुख्यधारा में जोड़ने की कडी़ भी होता है। 

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा ©®

#आखिर इस घुटन भरे रिश्ते से आजादी मिल गई 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!