“छुटकी राखी की थाली सजाकर डेहरी पर बैठ भाई के आने का इंतजार कर रही थी। इंतजार करते-करते बचपन की यादों मे खो गई…”
“छुटकी नीचे उतर तुझे मना किया है ना पेड़ पर मत चढ़ा कर।”
“उतर रही हूं भैया।”
“भैया तुम मुझे पेड़ पर चढ़ने से क्यों मना करते हो? जबकि तुम तो खुद लंबी दौड़ लगाते हो, ऊंची-ऊंची दीवार फांदते हो, लंबी छलांग लगाते हो।”
“मेरी बात दूसरी है छुटकी… मुझे सेना मे अफसर बनना है।तू अभी छोटी है… तुझे चोट लग जाएगी और फिर तुझे एकदिन दूसरे के घर जाना है।”
“भैया मुझे कहीं नही जाना, बड़े होकर मैं भी सेना में अफसर बनूंगी।”
“अच्छ ठीक है… पहले बड़ी हो जा फिर मेरी तरह दौड़ना, कूदना मैं नही मना करुंगा।चल जल्दी से घर चलते है नही तो अम्मा डाटेगी… और फिर कल राखी भी तो है ना ।”
“हां भैया चलो जल्दी से… भैया तुम्हारे लिए मै सुंदर सी राखी खरीद कर लाई हूं।”
“आ गए दोनो कहां थे इत्ती देर तक।”- अम्मा ने कहा
“अम्मा दौड़ लगाते-लगाते थक गया बहुत तेज भूख लगी है जल्दी से कुछ खाने को दो।”
“हां हां निकाल रही हूं दोनो लोग हाथ मुंह धुल कर आओ जल्दी से…आज साग रोटी बनाया है।”- अम्मा ने कहा
“वाह अम्मा ! बहुत बढ़िया।”- प्रताप ने कहा
“जे बताओ प्रताप तुम्हारा सेना वाला परिणाम कब निकलेगा।”- अम्मा ने पूछा
“बस अम्मा एक दो दिन में निकलने वाला है।”- प्रताप ने कहा
“अम्मा मैं भी बड़ी होकर सेना मे अफसर बनूंगी।”- छुटकी ने कहा
“का कह रही हो छुटकी तुम भी सेना मे अफसर बनोगी।”- अम्मा ने हंसते हुए कहा
“हां!”-छुटकी बोली
“ठीक है दोनो भाई बहन खुश रहो,देश का नाम रोशन करो…हमका और का चाही।”- अम्मा ने कहा
“सुबह-सुबह दोनो भाई बहन जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गए। छुटकी राखी की थाली सजाकर ले आई भाई की आरती करके कलाई पर राखी बांधी और मिठाई खिलाई।”
“तभी प्रताप के बाबूजी आ गए…देखो प्रताप तुम्हारा सेना नियुक्ति पत्र आया है।
“प्रताप नियुक्ति पत्र देखकर खुशी-खुशी अम्मा बाबू के चरण स्पर्श करता है और जाने की तैयारी करने लगता है। छुटकी भी भाई की तैयारी मे सहयोग करती है।”
प्रताप जाने से पहले छुटकी को वचन देता है मैं जल्दी लौटकर आऊंगा।”
एक वर्ष के सफल प्रशिक्षण के उपरांत प्रताप भारतीय सेना मे कैप्टन का कार्यभार संभाल लेता है।प्रताप की पोस्टिंग कश्मीर के बारामुला में होती है… जहां आतंकवादी गतिविधियां तेज थी। प्रताप को सूचना मिलती है कि उक्त स्थान पर आतंकवादी किसी घटना को अंजाम देने वाले है। प्रताप सेना की एक टुकड़ी के साथ वहां पहुंचता है। मुठभेड़ मे सारे आतंकवादी मारे जाते है। लेकिन एक आतंकवादी भागने मे कामयाब हो जाता है। प्रताप अकेले ही उसका पीछा करता है। पीछा करते-करते प्रताप बहुत दूर निकल जाता है। प्रताप का कुछ पता नही चलता है… वह लापता हो जाता है।
“इधर छुटकी पांच साल से हर राखी पर राखी की थाली सजाती है और डेहरी पर बैठकर भाई के आने का इंतजार करती है।उसे विश्वास है भैया लौटकर आएगा…उसने लौटकर आने का वचन दिया था। अम्मा बाबू की आंखे सूख गई है।”
“तभी एक आवाज छुटकी के कानों मे टकराती है। छुटकी… छुटकी… छुटकी।”
“छुटकी नजर उठाकर देखती है…सेना की वर्दी मे एक नौजवान उसकी आंखो के सामने खड़ा है…वह कोई और नही उसका भाई प्रताप था।”
“छुटकी दौड़कर भाई के गले लग जाती है।भैया तुम कहां थे इतने दिन तक, अम्मा बाबू की तो आंखे पथरा गई तुम्हारे इंतजार मे।”
प्रताप अम्मा बाबू के चरण स्पर्श कर सारी बात बताता है..”मुठभेड़ मे सारे आतंकवादी मारे जाते है। लेकिन एक आतंकवादी भागने मे कामयाब हो जाता है। मैने अकेले ही उसका पीछा किया, पीछा करते-करते मै बहुत दूर निकल गया…उन लोगो ने मुझे पकड़ने के लिए पहले से ही जाल बिछा रखा था। वे लोग मुझे पकड़कर एक काल कोठरी मे बंद कर देते है। मुझे मारा पीटा कई- कई दिनो तक भूखा प्यासा रखा। फिर एकदिन सभी आतंकवादी किसी मुहिम पर चले गए। मुझे अकेला देखकर एक लड़की उस अंधेरी कोठरी मे आई, मुझसे बोली भैया राखी बंधवा लो आज राखी है… मैने नजर उठाकर देखा बिल्कुल छुटकी के जैसी ही थी। उसने मेरे कलाई पर राखी बांधी और मुझे कैद से आजाद करवाया।
मैन उस लड़की से पूछा राखी बांधने पर अपने इस भाई से क्या चाहती हो…उसने कहा भैया मेरा नाम रीना है कालेज जाते वक्त इन आतंकवादियों ने मेरा अपहरण कर लिया था। मुझे मेरे घर तक पहुंचा दो।मैने आतंकवादियों के सभी ठिकाने,गोला,बारूद,असलहे सब कुछ ध्वस्त कर दिया और रीना को वहां से लेकर निकल गया।”
“रीना को उसके घर तक सुरक्षित पहुंचाया, उसके माता पिता ने मुझे रोक लिया कहा आप यहां सुरक्षित है…स्वस्थ हो जाइए फिर चले जाइएगा। स्वस्थ होने के बाद मैंने उन लोगो से विदा लिया, और कश्मीर पंहुचा,सारी घटना से उन्हे अवगत कराया…मुझे सरकार ने वीरता का शौर्य पुरस्कार दिया। मैने अपना कार्य भार संभाला और आज तुम लोगो के सामने हूं।”
“देख छुटकी राखी पर मैं तेरे लिए क्या लाया हूं…”
“तेरे लिए सेना नियुक्ति पत्र आया है।”
“नियुक्ति पत्र देख कर छुटकी चहक उठी।”
“अम्मा बाबू का अपने दोनो बच्चों के लिए गर्व से सीना ऊंचा हो गया।”
प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’
प्रयागराज उत्तर प्रदेश