क्या कहें हमारे तो करम ही फुट गए जो ऐसी संतान को जन्म दिया – शनाया अहम  : Moral Stories in Hindi

माँ,पापा , आप दोनों अच्छे से सुन लो मुझे अब आप लोगों की ज़रूरत नहीं है , मैं बड़ी हो गई हूँ , मेरी ख़ुद की एक पहचान है।  अगर एक मल्टीनेशनल कंपनी में एक ऊँची पोस्ट पर काम करने के बाद ,सारे स्टाफ को अपने अंडर काम करवाने के बाद भी अगर मुझे अपने छोटे छोटे फैसलों के लिये आप लोगों पर निर्भर रहना पड़ेगा तो फिर किस काम की मेरी ये पढाई लिखाई , मेरी ये पोस्ट। 

लगभग चिल्लाते हुए मृणाल ने अपने माता पिता से कहा। 

मृणाल के इतना कहते ही उसके माता पिता एक दूसरे की तरफ़ दुःख से देखने लगे और चुपचाप अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गए। 

सीमा जी और शशांक जी आज अपनी बेटी के इस तरह बात करने और बर्ताव से बेहद दुखी थे, वो एक दूसरे का हाथ थामे आज से 25 साल पुरानी यादों में खो गए जब मृणाल को भगवान ने उनकी गोद में बहुत सी मन्नतों और मुरादों के बाद डाला था।  ऐसा कोई दर नहीं था जहां सीमा जी और शशांक जी ने औलाद के लिए दुआएं नहीं मांगी थी। शादी के 14 साल बाद जाकर मृणाल को उन्होंने पाया था। 

शशांक जी का ग़ुस्सा तब सातवें आसमान पर पहुंच गया था जब उनके किसी रिश्तेदार ने ये कह दिया था कि 14 साल की तपस्या के बाद मिली भी तो लड़की, लड़का होना चाहिए था , शशांक जी ये सुनते ही भड़क उठे थे , और उन्होंने सबके बीच में उस रिश्तेदार की बोलती ये कहकर बंद कर दी थी कि मेरे घर लक्ष्मी का रूप आया है, मेरी 14 साल की तपस्या भगवान क़ुबूल की है और अपने आशीर्वाद के रूप में लक्ष्मी दी है, जिसे मेरे यहाँ बेटी का होना पसंद नहीं आ रहा, उससे मैं सारे रिश्ते तोड़ता हूँ और आज तक शशांक जी ने उस रिश्तेदार से बात नहीं की और उनका आना जाना भी बंद कर दिया। 

मृणाल के जन्म से लेकर आज तक हर जन्मदिन पर सीमा जी और शशांक जी घर को दुल्हन की तरह सजाकर एक बहुत बढ़िया पार्टी सभी को दिया करते थे , साथ ही उसी दिन मृणाल के साथ जाकर गरीबों में दान पुण्य किया करते थे। 

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उन्होंने मृणाल को बेहतरीन शिक्षा दिलाई , उसे इस क़ाबिल बनाया कि आज वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीईओ के पद पर कार्य कर रही है। 

उसकी तरक़्क़ी देखकर आँखों में ख़ुशी के आंसूं लिए उसे ढेरों आशीर्वाद देने वाले उसके माता पिता फुले नहीं समाते थे लेकिन आज उसी बेटी ने दोनों की आँखों में दुःख के आंसू भर दिए। 

मृणाल के हर फैसले में उसके पापा उसके साथ हमेशा खड़े रहे लेकिन आज मृणाल एक गैर बिरादरी के लड़के से शादी करके उनके सामने आ खड़ी हुई , उसने अपने माता पिता से एक बार बताना भी ज़रूरी नहीं समझा। हालाँकि वो लड़का एक बहुत बड़ा वकील है लेकिन उसकी बिरदारी अलग है, पर फ़िर भी मृणाल को एक बार अपने माता पिता से बात तो करनी चाहिए था। 

यही सब सोचकर शशांक जी रो पड़े , आप मत रोइये , आप ऐसे करेंगे तो कैसे चलेगा , पति की ये हालत देखकर सीमा जी ने उन्हें समझाने की कोशिश की। 

अब जो हो गया सो हो गया। 

लेकिन सीमा , मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि उसने एक गैर बिरादरी के लड़के से शादी की, दुःख इस बात का है कि उसने एक बार हमसे बताना भी ज़रूरी नहीं समझा, वो इतने सालों में अपने पापा को इतना भी नहीं समझ पाई कि मेरी ख़ुशी उसकी ख़ुशी में है , मैं उसे कभी मना नहीं करता , मुझसे एक बार कह कर तो देखती। 

शशांक जी भर्राई हुई आवाज़ से बोले। 

एक मिनट पापा , आपसे किसने कहा कि मैंने विजय से बाहर के बाहर शादी इसलिए की है क्योंकि वो अलग बिरादरी का है , आप न मानते इस शादी के लिए। .. मैंने इस डर से तो शादी की ही नहीं , और ये बिरादरी विरादरी की दकियानूसी सोच तो हमारे दिलों में कभी आई ही नहीं , न हमें इससे कोई फ़र्क पड़ता है , मैंने बाहर के बाहर शादी इसलिए कर ली कि अचानक से हमें लगा कि एक लम्बी डेट के बाद आज हम शादी कर सकते हैं और क्यों तामझाम करना। 

मैं घर में बताती तो आप लोगों को मानना तो पड़ता ही लेकिन शादी के हज़ार तामझाम आपने करने थे , जिसके लिए मेरे पास टाइम नहीं है न विजय के पास , इसने भी अपने घरवालों को नहीं बताया।

कल हम इसके घर जायेंगे और बता देंगे , परसों से अपनी अपनी जॉब पर, शशांक और सीमा की बातें सुनकर दरवाज़े पर खड़ी मृणाल ने बोला। 

अब क्या लेने आई हो यहां, अपने पापा को रुलाकर चैन नहीं पड़ा तुम्हें जो फिर आ गई , सीमा जी गुस्से से मृणाल से बोली. 

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माँ ये मेरा घर है , और आप मुझे यहां आने से नहीं रोक सकती और दूसरी बात मैं आप लोगों को कोई सफ़ाई देने नहीं आई हूँ, मैं सिर्फ इतना बताने आई हूँ कि कल मैं अपने ससुराल जा रही हूँ , परसों वापस आ जाउंगी और फिर विजय और मैं अपने खुद के अपार्टमेंट में रहेंगे जो हमने लिया है ,,, आप लोग वहां आकर देख सकते हो ,

अरे नहीं, बेटा शुक्रिया , आख़िरकार तुमने अपार्टमेंट लिया है तो शानदार ही होगा , जब तुम शादी ख़ुद कर सकती हो, तो अपार्टमेंट कौन सी बड़ी बात है , दुखी हृदय से शशांक जी ने कहा। 

देखिये पापा, मैंने आपको बताए बिना शादी सिर्फ इसलिए की क्योंकि मैं शादी के तामझाम वाले रिवाज़ों में नहीं मानती, मेरे पास इतना वक़्त नहीं है।  

अब अगर आपको कुछ गलत लग रहा है तो ये आपकी सोच है। 

इतना कहकर मृणाल जाने लगी तो सीमा जी ने उसका हाथ पकड़ रोकते हुए हुए कि मृणाल तुम अपनी पढ़ाई और अपनी पोस्ट के बलबूते आज जो उड़ रही हो, और उड़ते उड़ते इतना ऊँचा उड़ गई हो कि तुम्हें अपने माता पिता भी नज़र आने बंद हो गए हैं , तो इतना तो पता ही होगा तुम्हें कि तुम्हारी इस कामयाबी के पीछे सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा पापा की मेहनत है जिन्होंने तुम्हें पढ़ाया लिखाया और इस क़ाबिल बनाया , तुम्हारी हायर स्टडी के साथ कभी कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया लेकिन अपनी सेहत के साथ कोम्प्रोमाईज़ करते हुए ओवर टाइम भी काम करते रहे ताकि तुम्हारी पढाई और तुम्हारे शौक पुरे हो सके। 

तो माँ इसमें नया क्या है, ये तो हर माँ बाप अपने बच्चों के लिए करते ही हैं और मैं इकलौती हूँ तो पापा सब कुछ मेरे लिए ही करते न।  

 हां बेटा, तू अकेली है, आज यही दुःख है कि काश हमारे कोई दूसरी औलाद भी होती तो शायद आज तेरे इस बर्ताव से हमें कम दुःख पहुंचता, हमारा दूसरा सहारा होता,सीमा जी बोल उठी। 

ओह माँ , मृणाल कुछ और कहने को ही थी तभी शशांक जी बोल उठे ,, जा बेटा हमारा आशीर्वाद आज भी तेरे साथ है। 

लेकिन आज एक बात कहूंगा , ये तो तुम बार बार शादी के तामझाम की बात कर रही हो , ये तामझाम नहीं होता , ये माँ बाप के अरमान होते हैं और रस्मों रिवाज़ में जो वक़्त ज़ाया होने की बात कर रही हो , माँ बाप बचपन से उस वक़्त का इन्तेज़ार करते हैं कि कब वो हर रसम रिवाज़ निभाएंगे।  

पापा, प्लीज मेरे पास आपके इस ज्ञान को सुनने का भी वक़्त नहीं है, आपसे आशीर्वाद की उम्मीद थी बस।  अब मैं विवेक के साथ जा रही हूँ।  कल ससुराल के लिए निकलना है , वहां से आकर आपको इन्फॉर्म करुँगी। .ओके बाय सी यु।  

इतना कहकर मृणाल अपने पति के साथ निकल गई। 

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सीमा, हमारे प्यार में कहाँ कमी रह गई, जो आज मृणाल ने ऐसा किया।  दुःख से शशांक ने अपनी पत्नी से कहा। 

कमी नहीं हमने अति की है मृणाल को प्यार देने में , ये उसी का नतीजा है। 

सीमा ने शशांक का हाथ थामते हुए कहा।  

सीमा जिस दिन मैंने मृणाल को बेटी के रूप में पाया था उस दिन दुआ की थी कि भगवान् सबको ऐसी प्यारी बेटी दे लेकिन आज मैं भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि कभी किसी को ऐसी औलाद न दे, जो माँ बाप के बचपन से पाले गए अरमानों को वक़्त की बर्बादी समझे। 

आप ठीक कह रहे हैं, हमारे तो करम ही फुट गए जो हमने ऐसी औलाद को जन्म दिया।।। 

सीमा ने कहकर शशांक जी के हाथों को थाम लिया जिन पर अभी भी आंसुओं की बूंदें आखों के रस्ते गिर रही थी।।। 

शनाया अहम

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