इशिता बहु.. तुम एक-दो दिन में अपनी रसोई अलग कर लेना मतलब की ऊपर वाले हिस्से में तुम अपना सारा सामान व्यवस्थित कर लेना इसमें मैं भी तुम्हारी मदद कर दूंगी! अभी 2 दिन पहले ही अपने हनीमून से लौटी और 15 दिन पहले ही ब्याह कर आई बहू इशिता से उसकी सास रमा देवी ने कहा! अपनी सास की ऐसी बातें सुनकर इशिता दंग रह गई क्योंकि कोई भी सास ससुर यह नहीं चाहते कि उनका बेटा बहू उनसे अलग रहे
और वैसे भी अभी तो उसकी शादी को सिर्फ 15 दिन ही हुए हैं तो ना तो घर में कोई क्लेश हुआ ना कोई लड़ाई झगड़ा ना कोई ऐसी बात जिसके कारण मम्मी जी को यह फैसला लेना पड़ा, तब उसने यह बात अपने पति अनुज को बताइ और शाम को अनुज और इशिता दोनों अपने मम्मी पापा के पास में आकर बैठ गए और तब इशिता बोली … मम्मी जी ऐसा क्या हो गया, क्या मुझसे कोई गलती हो गई, अगर मैने आपका किसी भी रूप में दिल दुखाया हो तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं किंतु मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप मुझसे अलग होने के लिए क्यों कह रही हैं मुझे किस बात की सजा दे रही है?
मैं तो कितने अरमानों से इस घर में आई थी कि यहां पर पापा जी ताऊजी ताई जी उनके बच्चे और मेरे बहन भाई जैसे ननद देवर, इतना भरा पूरा परिवार मिला, मैं तो बचपन से अकेली रहती आई हूं आपको पता है मम्मी जी मैं मुंबई में पली बड़ी हूं किंतु मेरा झुकाव हमेशा ही अपने गांव में रहने वाले दादा-दादी चाचा बुआ और उनके बड़े से संयुक्त परिवार पर रहता था मैं हर संभव कोशिश करती की छुट्टियां लगते ही मुझे ना विदेश ट्रिप ना और कहीं जाना है बस मुझे केवल अपने गांव जाना होता था सब मुझे देखकर आश्चर्य करते
कि इतने बड़े शहर में पली होने के बावजूद इसे गांव कितना प्यारा है पर सच बताऊं मुझे तो अपना इतना बड़ा परिवार देखकर बहुत ही खुशी होती थी वहां मैंने कभी अपनी मम्मी चाची ताई को आपस में झगड़ते नहीं देखा न हीं दादाजी या पापा ताऊ चाचा किसी मे भी अनबन होती देखी, हम सब भाई बहनों में भी बहुत लगाव था जो कि आज भी है किंतु हम सिर्फ साल में एक बार ही वहां जाते थे और मैं सोचती थी कभी मेरी शादी होगी तो इतने बड़े परिवार में ही होनी चाहिए ताकि मुझे भी सबके साथ में रहने का मौका मिले,
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कितने अरमानों से आप मुझे इस घर में अपनी बहू बनाकर लाई थी क्या इसीलिए की 15 दिन बाद ही अपनी बहू को अपने से अलग कर देगी, मम्मी जी मैं तो हमेशा से इतने बड़े परिवार के लिए तरसती आई हूं और आप मुझे अभी से अलग करने का सोच रही है यहां आप पापा जी अनुज रितिक रिचा और ताऊ जी ताई जी उनके बेटे बहुएं उनकी छोटी बेटी नंदिनी! कितना बड़ा परिवार है हमारा, मैंने तो कभी आपको लड़ते झगड़ते भी नहीं देखा फिर आप मुझे क्यों अलग कर रही हैं क्या मैं आपको पसंद नहीं हूं
और मम्मी अगर मुझसे कोई गलती भी हो गई हो तो कृपया मुझे बताएं ताकि मैं आगे से वह गलती ना करूं! अपनी बहू इशिता की आंखों में आंसू देख कर रमा जी बोली… अरे नहीं नहीं बहू तुम तो बिल्कुल मेरी रिचा ऐसी हो, मैंने तुम् मे और रिचा में कोई भेद नहीं किया, बस तुम्हें अलग करने का फैसला मेरे दिमाग की पुकार है मैं रोज अखबार में पढ़ती हूं की सास बहू में लड़ाई हो गई या पिता पुत्र में लड़ाई हो गई और उसके बाद बेटा बहू अलग रहने लगे उनके बीच में मतभेद इतने बढ़ गए
कि सब एक दूसरे की शक्ल देखने को भी तैयार नहीं थे यहां तक कि तुम अपनी ताई जी को ही देख लो इनके बड़े बेटे बहु जिसकी अभी 6 साल पहले ही शादी हुई थी 1 साल के अंदर ही उनकी बहू इसी शहर में अलग मकान लेकर रहती है क्योंकि ताई जी की और उनकी बहू की आपस में कभी नहीं बनी, अपनी 2 साल की पोती को देखने के लिए भी तरसते रहते हैं, मेरी तुम्हारी ताई जी से आज तक किसी बात पर अनबन तक नहीं हुई किंतु उनका इतना विनम्र स्वभाव होने के बाद भी पता नहीं
कैसे उनकी अपनी बहू से नहीं बन पाई वह अलग रहती है और कभी कभार बुलाने पर तीज त्योहार पर या शादी ब्याह के मौके पर थोड़े समय के लिए आती है इसलिए शायद तुम उसे नहीं जानती और मैंने कई परिवार ऐसे देखे हैं जहां घर में मतभेद होने की वजह से बहु बेटा अलग रहने चले गए और वह फिर कभी नहीं आते, मैंने सिर्फ यह सोचा कि मेरे घर में ऐसी स्थिति आए उससे पहले ही मैं अपने बेटे से बोल दूंगी कि तुम अगर अलग से रहना चाहते हो तो कोई दिक्कत नहीं है किंतु हमारा प्रेम हमेशा बना रहना चाहिए,
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बेटा… मुझे पता है संयुक्त परिवार में सब एक दूसरे के दुख दर्द के सहयोगी होते हैं कोई भी मुश्किल ज्यादा दिन यहां नहीं टिक सकती लेकिन कई बार बड़े परिवारों में अत्यधिक काम , ईर्षा जलन यह सब भी देखा जाता है जिसके चलते घर में हर सदस्य एक दूसरे से नफरत की भावना लिए बैठा होता है और कभी भावना अति का रूप धारण कर ले मैं नहीं चाहती, इसलिए मैंने तुमसे सिर्फ ऊपर वाले पोर्शन में रहने के लिए कहा था ताकि हम अलग-अलग रहकर भी साथ रह सके, बेटा कौन मां-बाप यह चाहते हैं
कि उनकी बहू उनसे लग रहे या उनका बेटा उनको छोड़कर चला जाए, हो सकता है तुम बहुत अच्छी बहू हो किंतु यह जरूरी नहीं है कि मैं अच्छी सास बन पाऊं, हो सकता है मेरा व्यवहार तुम्हारे लिए और अपनी बेटी के लिए अलग-अलग हो और कल को यही बातें बहुत बड़ा रूप ले ले, मैं आजकल की घटनाओं को देखकर इतना व्यथित रहती हूं कि मैंने तो पहले ही फैसला कर लियाथा की अपनी बहू को आते ही अलग घर बसाने के लिए बोल दूंगी ताकि कल को हम दोनों को ही दुख ना हो!
अपनी सास की बातें सुनकर इशिता जोर-जोर से हंसने लगी सब उसे आश्चर्य से देखने लगे और उसके हंसने का कारण पूछा! तब इशिता बोली… वाह मम्मी.. आपने यह कैसे सोच लिया की हर घर की तरह हमारे घर में भी लड़ाई झगड़ा होंगे, आप देखना मम्मी जी अगर सास और बहू दोनों चाहे तो घर को हमेशा जोड़कर रख सकती हैं और अपने संबंधों को और विस्तृत कर सकती हैं, आप मुझे 6:00 बजे उठने को कहेंगी यह कहकर कि तू इस घर की बहू है तुझे जल्दी उठना है तो कोई बात नहीं..
मेरी मम्मी भी तो मुझे शुरू से 6:00 बजे ही उठा देती थी मम्मी आप इस चीज की बिल्कुल टेंशन मत लो मैं कभी अपने घर का हिस्सा नहीं होने दूंगी, रितिक और रिचा हमेशा मेरी बहन भाई जैसे ही रहेंगे और आप मेरे मम्मी पापा! अगर आपने कभी मुझे डांट दिया या कुछ कह भी दिया तो आप मेरा यकीन मानिए मैं उसको दिल पर नहीं लूंगी मेरी मम्मी तो मुझे कितना डांटती है तो क्या मैं उनसे अलग हो जाती हूं, मम्मी अगर सास और बहू पूरे मन से और तालमेल के साथ घर को जोड़ने में रहे तो कोई तीसरा हमारे घर को नहीं तोड़ सकता,
मैं आप में अपनी मम्मी देखती हूं, मम्मी प्लीज… मेरा संयुक्त परिवार में रहने का सपना मत तोड़िए, मैं हमेशा आपकी बेटी के रूप में रहूंगी और आपको कभी भी कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी आप अपने मन से यह डर बिल्कुल निकाल कर फेंक दीजिए और कल का किसने देखा है जब जो होगा वह होना ही होगा, हो सकता है आप अच्छी सास बन जाए किंतु मैं आपकी अच्छी बहु ना बन पाऊं, मां मुझे तो लगता था आप मुझ पर हुक्म चलाने वाली सास होगी पर आप तो मुझे इतना ज्यादा प्यार करती हैं
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की आपको अभी से मुझसे अलग रहने का डर सता रहा है कि कहीं कल हम आपसे अलग ना हो जाए किंतु मम्मी कल अलग होने को लेकर आज आप ही हमको अलग कर रही हैं, मम्मी बिल्कुल चिंता मत कीजिए हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे! इशिता की इतनी समझदारी वाली बातें सुनकर और एक आधुनिक लड़की की सोच को देखकर सभी की आंखें नम हो गई और इतने में ही सास बोली….. जा जा बहुत सुन ली तेरी बकवास, जा जाकर सबके लिए चाय बना कर ला मैं सास हूं तेरी,
यह बात मत भूलना! सास की बात सुनकर इशिता बोली…. जो आदेश सासू मां यह बहू आपकी हर बात मानेगी, बस वह तो सिर्फ यह चाहती है पूरा परिवार हमेशा इसी तरह हंसता खिलखिलाता और खुश रहे और वह फटाफट चाय बनाने चली गई! सभी लोग आज घर के सोच रहे थे क्या कोई इतनी आधुनिक लड़की इतनी संस्कारी बहू भी बन सकती है वरना आजकल की लड़कियां तो अपने पति को लेकर जल्द से जल्द अलग रहना चाहती हैं और एक इशिता है जो अलग होने का मौका मिलने के बावजूद अपने संयुक्त परिवार में रहना चाहती है धन्य है इसी तरह जैसी सोच वाली लड़कियों पर!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता (#संयुक्त परिवार)