कृतज्ञ –  किरण केशरे

Post View 303 हाँ छमिया ही तो थी , एक दिन गली के तीन चार कुत्ते उसके पीछे पड़ गए थे। घबरा कर भागते हुए घर के खुले गेट से आकर सोफे के नीचे आकर दुबक ही तो गई थी वह!  कुत्ते भौंकते हुए गेट तक आ पहुँचे थे ! माली ने डण्डे से उन्हें … Continue reading कृतज्ञ –  किरण केशरे