कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi

यह विवरण कलयुग में 20 वी सदी के आरंभ की है. धरा की गोद में रहने वाले पेड़ पौधों की छाँव में दिन ब्यतीत हो रहे थे।

मिट्टी पत्थर, घास फूस की झोपड़ियाँ ही इंसानों व पालतू जानवरों का आशियाना थे।

सभी चाहे इंसान हो या पालतू जानवर एक दूसरे के सुख दुख में सहयोगी थे।पर्व त्योहार ,शादी ब्याह, धार्मिक कार्य, मेले  उल्लास

पूर्वक मनाये जाते थे। खान पान,वस्त्र आभूषण में कोई प्रतिद्वंदिता नही थी। ।मिट्टी के चूल्हे में मोटा अनाज लोहे, कांसे , पीतल,मिट्टी

के बर्तनों में बनता था। जैविक अनाज सब्जियां थी। कोई मिलावट नही भले ही विविधता नही थी।विद्यालय सभी बच्चों के लिए एक

समान थे ।उन्हीं विद्यालयों से निकलकर एक से बढ़कर एक उच्चाधिकारी, उच्च कोटि के नेता,उच्चकोटि के न्यायविद्, तथा ब्यापारी,

किसान एवम महान लोग हुए हैं।सदी के उत्तरार्ध में कुछ नई चीजों का अविष्कार हुआ लिंटर वाले मकानों का चलन बढ़ा,  रेडियो

पंखे कूलर जैसी चीजें आई। जिसका मकान लिंटर वाला था उसमें रेडियो पंखा स्टेटस सिंबल माना जाता था।लोग संपन्न और साधारण

वर्ग में बँटने लगे। । पहले अंतर्देशीय, बंद  लिफ़ाफ़े पोस्ट कार्ड का चलन था । खूब पत्र लिखे जाते।स्पीड पोस्ट कुरियर जैसी कोई

चीज नहीं थी।अस्सी का दशक आते आते  गैस स्टोव ब्लैक एंड वाइट टीवी का अवतरण हुआ अब जिनके घरों में ये चीजें थी उनका

रुतबा ही कुछ और था। इसी दशक में शिक्षा सरकारी और कॉन्वेंट स्कूलों में में बँट गई। नये नये धनिक लोगों के बच्चे कॉन्वेंट स्कूलों

में पढ़ने लगे। सरकारी स्कूलों में अच्छी पढाई के बावजूद छात्र संख्या कम होती गई। नब्बे के दशक में लैंडलाइन फोन लगने लगे।

  तब भी बिना बिल की परवाह किये एक दूसरे का हालचाल फोन में जानने की होड़ लगी रहती थी । पत्रों का चलन कम हो गया फिर

भी आपसी भाईचारा बना रहा। अब आ गई  इक्कीसवीं सदी। पहले छोटा भाई नोकिया का जन्म हुआ तब भी लोग, खुश थे क्योंकि

इकलौता बच्चा था केवल बतियाता था। इधर उधर नज़र नही थी। हर समय गोद में, हाथ में, जेब में रहता था। सबकी किस्मत में वह

नही था। सबने भरपूर प्यार दिया क्योंकि उसका जन्मदाता एक ही कंपनी थी। परंतु यह क्या घुसपैठियों की तरह अनेक कंपनियों ने

फिर इतने मोबाइल पैदा कर दिये कि गोद लेने वाले कंफ्यूज हो गए कि किसका वाला लें। एक से बढ़कर एक महंगे कई फीचर वाले

फोन आ गए। इन घुसपैठियों ने बच्चों को माँ बाप से, भाईबहनों, रिश्तेदारों से दूर कर दिया। पत्र की जगह मैसेज का आदान प्रदान

होने लगा। इसी में रिश्ते बनने और बिगड़ने लगे। ऑन लाइन बिजनेस, खरीदारी के साथ साथ साइबर ठगी, धोख़ा,अश्लीलता, विश्वाश

घात भी खूब फला फूला है। मोबाइल हाथ में है तो कोई किसी से बात नही करना चाहता। यह कहीं पर बहुत अच्छा है तो कहीं पर

बहुत बुरा आपको क्या लगता है।

हालांकि यह सबको पता है।आज मेरा यह सब लिखने का मन था। आपको क्या 30 वर्ष पहले के दिन याद नही आते कृपया बताइएगा। धन्यवाद

Champa kothari 

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