किसका घर – अनिता मंदिलवार सपना : Moral Stories in Hindi

        विवेक और छाया में जब भी कहा सुनी होती  तो विवेक छाया से कहता ये तुम्हारा घर नहीं है ।  छाया की सास और नमक मिर्च लगाकर बात का बतंगड़ बनाती रहती । विवेक तो कम पर चला जाता । छाया मन ही मन कुढ़ती रहती और सोचती कि आखिर मेरा घर है कहाँ  ।

मायका तो पराया हो चुका है शादी के बाद यहॉं भी ताना मार कर बताया जाता है कि यह घर तुम्हारा नहीं है । घर के लिए समर्पित हो सबके लिए अच्छा सोचना सबके लिए पूरे समर्पण के साथ अच्छे बुरे समय में साथ देना क्या मेरी गलती है या समय की बर्बादी । 

        वह कुछ समझ नहीं पा रही थी हर दिन का यही किस्सा था । बहुत ही मायूसी महसूस कर रही थी । क्या करे कुछ समझ नहीं पा रही थी । ऐसे ही समय बीतता रहा । और अचानक  देश में भी महामारी आ चुकी थी । जब महामारी फैली और सब घर पर थे

तो हर चीज के लिए, हर काम के लिए सब छाया पर निर्भर रहते । विवेक का काम सब आनलाइन ही चल रहा था । वह तो आनलाइन वर्क फ्राम होम के चक्कर में एक कमरे में कैद जैसा ही था । आज सबको छाया की अहमियत समझ आ रही थी । बच्चे भी घर पर ही रहते थे तो काम और भी बढ़ गया था । बच्चों को घर ही पढ़ाना।  इस समय सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट भी बंद ही थे ।

काम वाली बाई को कुछ चाहिए तो छाया दीदी, दूध वाले का हिसाब तो छाया दीदी, मम्मी पापा की दवाई से लेकर, उनके और बच्चों के पसंद नापसंद सब छाया ही को पता है । छाया के इर्द-गिर्द ही पूरा घर और पास पड़ोस सब है । आज विवेक को लग रहा है कि असल में तो यह घर छाया का ही है । मन ही मन अपराध बोध महसूस करते करते कब चेहरे पर मुस्कराहट के भाव आ गये और छाया ने भी महसूस किया कि कुछ तो अंदर ही अंदर बदला है और निश्छल हँसी के साथ आगे बढ़ गयी ।

 

अनिता मंदिलवार सपना 

विषय- नमक मिर्च लगाना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!