किसान – एम.पी. सिंह : Moral Stories in Hindi

परिवार के साथ कार से मनाली घूमने गया था। बच्चा छोटा था इसलिए बार बार रुकना पढ रहा था।

एक जगह रुक कर बच्चे के लिये दूध बनाने के किये गरम पानी लिया और चाय पी। होटल वाले ने 50 रु लिये, 20-20 रु चाय के ओर 10 रु गरम पानी के। 

तब मुझे अपने दोस्त की बात याद आई। चलने से पहले मैंने दोस्त से पूछा था कि मनाली में सस्ता क्या हैं ? उसका जवाब था नहाने का गरम पानी। पर ये तो बोतल धोने का पानी भी? 

कुलु पहुंचे से पहले से ही दूर दूर तक सेब  के पेड़ नज़र आ रहे थे।

किसान सेब  तोड़कर ओर वही लकड़ी के बॉक्स बनाकर पैकिंग ओर ट्रक में लोडिंग कर रहे थे।

मेरा बेटा सेब  देख कर खाने की जिद पकड़ बैठा। हमने गाड़ी रोकी ओर पूछा, सेव दोगे क्या? कितने बॉक्स चाहिए,

पैकिंग करने वाला बोला। मैंने कहा, बेटा जिद कर रहा है, 1 सेव दे दो। बस, ये लो, ओर 4-5 सेब  मेरी तरफ बढ़ा दिये और बोला,

आप सब भी खाओ। मैंने पूछा कितने पैसे? वो बोला, जी रहने दो, 2-4 फल का क्या लेना, आप तो बस स्वाद चखो।

मेरे लाख बोलने पर भी उसने पैसे नहीं लिए। मैंने सारी उम्र कभी किसी दुकानदार को ऐसे मुफ्त में समान देते नहीं देखा। जितनी बड़ी दुकान, उतनी बड़ी लूट।

उस दिन मुझे समझ आया, की किसान को अन्न दाता क्यो कहा जात है। किसान सारी उम्र केवल देता है रहा है, कमाने के लिये तो केवल दुकानदार हैं।

लेखक

एम.पी. सिंह

(Mohindra Singh) 

स्वरचित, अप्रकाशित

2 Jan.25

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!