खुशियों को किसकी नजर लग गई – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कुछ वर्षों पहले तक सुधाकर जी का परिवार खुशहाल परिवारों की श्रेणी में आता था, किंतु अब अचानक ऐसा क्या हो गया की… परिवार की खुशियां को किसी की नजर लग गई. ! हंसता खेलता परिवार आज विषाद  के गम में डूब गया!

   सुधाकर जी के दो ही पुत्र थे! बड़ा बेटा विजय अधिवक्ता था, तथा छोटा बेटा नीरज एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर था! विजय की शादी हो चुकी थी, और उसकी पत्नी सुधा साक्षात अन्नपूर्णा थी! दो छोटे-छोटे प्यारे प्यारे बच्चे थे! कुल मिलाकर सुखी संपन्न परिवार था! इन दिनों घर में छोटे बेटे नीरज की शादी की धूमधाम से तैयारी की जा रही थी!

सुधा की हार्दिक इच्छा थी कि वह अपनी छोटी बहन को अपने देवरानी के रूप में लेकर आए, किंतु नीरज ने उसके सारे अरमानों पर पानी फेरते हुए, अपने ही पसंद की सहकर्मी डॉक्टर विजेता से शादी करने की इच्छा प्रकट कर दी, और सुधा के अलावा घर में किसी को भी आपत्ति नहीं थी! खैर बड़ी धूमधाम से विजेता नीरज की दुल्हन बनाकर इस घर में आ गई, और अपने स्वभाव और पाककला में माहिर होने के कारण, उसने सभी घर वालों के दिलों में जल्दी ही अपनी जगह बना ली!

ऐसे तो सुधा को अपनी देवरानी से कोई शिकायत नहीं थी, किंतु आजकल जहां भी वे जाते सभी जगह विजेता की तारीफो के पुल बांधे जाते! ,उसकी सुंदरता, अपने कार्य के प्रति लगन, और घर में भी सभी का सम्मान करना ,इन्हीं खूबियों की  वजह से जल्दी ही सबकी चहेती बन गई !विजेता इतनी व्यस्त रहने के बावजूद भी घर वालों का ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करती, और अस्पताल से आते ही सुधा के साथ भी घर के कार्यों में भरपूर मदद करती!

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दिनभर सुधा को दीदी दीदी करती घूमती रहती! घर में उसके खाने की तारीफ होती देखकर अब सुधा को धीरे-धीरे उससे जलन की भावना उत्पन्न होने लगी! विजेता अब  सब की डाइट का भी ध्यान रखने लगी! घर में एक समय कम तेल मसाले में खाना बनने लगा! छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी अब किसी को घर से बाहर नहीं भागना पड़ता था! सुधा के  दोनों बच्चे चाची- चाची करके उसके इर्द-गिर्द घूमते रहते !विजेता को बच्चों से विशेष लगाव था!

अब सुधा को लगने लगा की विजेता के आने से उसकी जो इज्जत थी वह कम होने लगी है! उसकी हर कोशिश यही रहती कि किसी भी तरह से विजेता को नीचा दिखाए जाए ! जलन की भावना धीरे-धीरे सुधा की खुशियों को डस्ती जा रही थी! अब  जब भी विजेता कोई अच्छा सा खाना तैयार करती,  सुधा उसमें कभी नमक ज्यादा, कभी चीनी ज्यादा डालकर, उस खाने को बिगाड़ देती! एक दिन सुधा अपने पति से बोली… मुझे लगता है विजेता कुछ ज्यादा ही अच्छी होने का दिखावा कर रही है,

जबकि ऐसी वह है नहीं! बच्चों से भी अत्यधिक लगाव होने का दिखावा कर रही है! उनके लिए इतनी सारी तरह की चीज ले लेकर आती है, मेरे बच्चों को मुझसे  ही दूर करने की कोशिश कर रही है! अभी जब इसका खुद का बच्चा हो जाएगा ,तब देखना.. यह हमें पूछेगी भी नहीं? विजय उसकी बातों को एक कान से सुनता और दूसरे से निकाल देता !कुछ महीनो बाद विजेता ने भी अपनी गर्भवती होने की खुशखबरी घर में सुनाई!  अब तो सुधा और भी जल गई, क्योंकि अब सभी विजेता का विशेष ध्यान रखने लगे!

इसी जलन के मारे एक दिन सुधा ने वह कर दिया, जिसका किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था! सुधा को पता था विजेता अपने कमरे में से 7:00 बजे के करीब उतरकर नीचे आती है, तभी उसने सीडीओ पर हल्का सा तेल फैला दिया, जिससे विजेता वहां से फिसल जाए और उसके बच्चे और उसे नुकसान पहुंचे! किंतु भगवान के यहां देर है अंधेर नहीं! विजेता के ऊपर से नीचे आने से पहले, सुधा का बेटा जो 6 साल का था, चाची को कोई चीज दिखाने ऊपर जा रहा था, उधर से ही विजेता भी आ रही थी!

सुधा का बेटा जब तक चाची के पास पहुंचता, तेल पर पैर पड़ने की वजह से क नीचे गिरने लगा, किंतु विजेता ने ऐन वक्त पर आकर उसे तो बचा लिया ,किंतु खुद को ना बचा सकी, और वह सीधा ऊपर सीडीओ पर से गिरती हुई नीचे आ गई !तुरंत विजेता को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने विजेता के बच्चे को मृत घोषित कर दिया!

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सुधा ने जब यह देखा कि उसके बच्चे को बचाने के लिए विजेता ने अपनी जान की परवाह नहीं की, तो उसकी सारी जलन शर्मिंदगी में बह गई! आज उसको अपने ऊपर बहुत शर्म आ रही थी! विजेता ने तो उसको हमेशा अपनी बड़ी बहन समझ कर आदर सम्मान दिया था और उसने क्या किया, सिर्फ अपनी जलन शांत करने के लिए विजेता को इस स्थिति में पहुंचा दिया! आज तो वह माफी के लायक भी नहीं बची! वह तुरंत विजेता के पास पहुंची, और जोर-जोर से रोने लगी,

और अपने कर्मों की माफी मांगने लगी! उसके ससुर पति और देवर सभी वही थे, वह सबसे हाथ जोड़-जोड़ कर  बार-बार माफी मांगने लगी ,कि वह जलन की अग्नि में इतनी आंधी हो गई, कि उसे अच्छे बुरे का ध्यान भी नहीं रहा! वह किसी से भी नज़रे मिलाने लायक नहीं बची! हो सकता है.. सुधा को अपने किए की माफी मिल जाए ,किंतु क्या उसके प्रति घर के  सदस्यों में उसके लिए वही आदर  वापस जागृत हो जाएगा! शायद कभी नहीं …?

#जलन 

हेमलता गुप्ता

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