सुप्रिया और स्वाति दोनों एक ही ऑफिस में नौकरी करती थी घर पास होने के कारण साथ में मिलकर ऑफिस जातीं थीं । उनका एक दूसरे के घर आना जाना भी लगा रहता था ।
सुप्रिया की बेटी मधु और स्वाति की बेटी सविता एक ही कक्षा में पढ़ती थी पर अलग अलग स्कूलों में फिर भी दोनों में अच्छी दोस्ती थी ।
सुप्रिया के पति ने नया घर ख़रीदा था जिससे उन्हें यहाँ से जाना पड़ गया था । दोनों परिवार शुरू में एक दूसरे से मिल लेते थे फिर बाद में अपने आप ही उनमें दूरियाँ आ गई थी ।
मधु कॉलेज में बी काम पढ़ने लगी थी उधर सविता की कोई ख़बर नहीं थी क्योंकि स्वाति को डेपुटेशन पर दूसरे ब्रांच में भेजा गया था जिसके कारण स्वाति और सुप्रिया में भी मुलाक़ात नहीं हो पाती थी ।
सविता मधु को बताती रहती थी कि उसके माता-पिता बच्चों को बहुत ही अनुशासन में रखते थे । बाहर का खाना नहीं खाना है चॉकलेट नहीं जंक फ़ूड नहीं मोटी हो जाओगी इस सहेली से मत बात करो सविता को देखो घर में ही रहती है इस तरह की टोका टोकी बहुत चलती थी । सविता मधु को बताती थी कि मेरी माँ किस से दोस्ती करना है किससे नहीं यह भी बताया करती है ।
अब सविता भी व्यस्त हो गई थी तो मधु के बारे में सोचना भी बंद हो गया था ।
उस दिन सविता केब में स्टेशन की तरफ़ जा रही थी कि अचानक उसकी केब सडन ब्रेक से रुकी तो देखा कि कोई औरत कार के सामने आ गई थी और ड्राइवर के ब्रेक मारने के बाद भी वह गिर गई थी ।
सविता उन्हें उठाने के लिए कार से उतरकर गई उन्हें देखते ही आश्चर्य चकित होकर कहा स्वाति आँटी आप !!
स्वाति ने सविता को देखते ही रोते हुए कहा कि सविता मधु मधु…
सविता ने उन्हें उठाकर साइड में लेकर आई और कहा कि क्या हो गया है मधु को बोलिए । उन्होंने यह उसने आत्महत्या करने की कोशिश की है और वे उस तरफ़ दिखाने लगी जहाँ शांति अस्पताल है । मुझे स्टेशन पहुँचने के लिए समय है क्योंकि ट्रेन को आने के लिए डेढ़ घंटा बचा है । इसलिए उसने केब वाले को पैसे देकर भेज दिया तथा आँटी को लेकर अस्पताल पहुँची । वहाँ मधु की आँखें बंद थीं और नर्स उसे इंजेक्शन दे रही थी ।
उसे अभी ही उल्टियाँ करवाया गया था ताकि उसके शरीर से सब जहर बाहर आ जाए ।
आँटी ने बताया था कि अँकल बैंगलोर गए हुए हैं उन्हें बताकर डराना क्यों कहकर मैं और मनोज उसे लेकर आ गए हैं ।
मैंने कहा कि आँटी मधु को आत्महत्या करने की ज़रूरत ही क्या थी । उन्होंने कहा कि तुम्हें मालूम ही होगा कि हम अपने दोनों बच्चों को अनुशासन में रखते थे ( मुझे लगा कि मधु की बातें आँटी ने सुन ली थी शायद) मुझे चुप देख कर उन्होंने कहा कि मुझे अच्छे से मालूम है बेटा कि मधु सबको हमारे स्ट्रिक्ट होने के बारे में बताती है ।
आँटी मधु ने आत्महत्या क्यों की है आपको मालूम होगा ना मुझे बता सकतीं हैं आप । उसने घड़ी देखी अभी समय है स्टेशन यहाँ से सिर्फ़ पाँच मिनट की दूरी पर है रमेश आधे घंटे पहले आएगा ऐसा उसने कहा था ।
आँटी ने कहा कि बेटा जब वह स्कूल में थी तब ऑटो से स्कूल जाती थी । एक दिन मनोज स्कूल नहीं गया था तो वह भी घर पर रहने की जिद करने लगी तो उसने कहा कि चॉकलेट दोगी तो जाऊँगी मेरे मना करते समय रोते हुए ऑटो में सवार होकर चली गई ।
इसके कुछ दिनों बाद मैंने ध्यान दिया था कि मधु आजकल किसी भी बात पर जिद नहीं करती है । मैं खुश हो गई थी कि बच्ची समझदार हो गई है हमारी बात उसे समझ आ गई है ।
जब वह कॉलेज के प्रथम वर्ष में थी तब मैं उससे मिलने कॉलेज गई थी कि उसे सरप्राइज़ दूँगी फिर उसे मूवी दिखाने ले जाऊँगी । मैंने देखा कि वह कॉलेज में नहीं थी । उसकी एक सहेली ने बताया था कि आजकल मधु कॉलेज में कम दिखती है । मेरे सर पर जैसे बिजली गिर गई थी मैं घबराते हुए घर पहुँची कि अंकल को सब बताऊँगी
तब मनोज ने बताया था कि माँ आजकल वह हमारे स्कूल के ऑटो वाले के साथ घूमती है शायद उसी के साथ कहीं गई होगी । मैं उसका इंतज़ार करते हुए घर के बाहर ही खड़ी रही । मैंने देखा कि वह शाम को घर उसी ऑटो वाले के ऑटो में आई थी मुझे देखते ही वह घबरा गई थी । वह ऑटो वाला भी नमस्ते कहकर चला गया था मैं उसे कुछ नहीं कह सकती थी क्योंकि मेरे खून में भी तो खोट है ।
अंकल के आने बाद जब उससे पूछा कि कॉलेज क्यों नहीं जा रही है पहले तो जोर देकर कहने लगी थी कि मैं कॉलेज में ही थी पर जब मैंने उससे कहा था कि मैं कॉलेज गई थी तो चुप हो गई ।
सोचो ना बेटा हम दोनों इतनी अच्छी नौकरियाँ कर रहे हैं । बच्चों को सब कुछ दे रहे हैं । उसकी ऐसी हरकतों से ख़ानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी यह उसने भी नहीं सोचा ऊपर से बेशर्मी से कहने लगी कि आप लोगों से वह अच्छा है मेरी हर बात मानता है मुझे जो चाहिए वह खिलाता है मूवी दिखाने ले जाता है ।
मैंने और अंकल ने बात की और उसका कॉलेज जाना बंद करवा दिया था कि कुछ दिन घर पर रहेगी तो उस ऑटो वाले का भूत सर से उतर जाएगा ।
उसने हमें इस तरह से धोखे में रखा था कि जैसे वह ठीक हो गई हो माँ पापा आप ही सही हैं मैं ही गलत थी । अब से आप जो कहोगे मैं वही सुनूँगी । हमने उसकी तरफ़ ध्यान देना कम कर दिया था । उसी का फ़ायदा उठाकर एक दिन वह उस ऑटो वाले के साथ भाग गई । एक चिट्ठी लिखकर रख दिया था कि मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना मैं जहाँ भी रहूँगी खुश रहूँगी । अपने साथ गहने और पैसे लेकर चली गई थी ।
हम दोनों तो टूट गए थे । मनोज ही हमें सँभाल रहा था यह ऐसी बात तो नहीं है कि किसी के साथ साझा कर सकें । इसलिए पंद्रह दिनों की छुट्टी लेकर घर में दुबके हुए बैठ गए ।
उसे गए हुए अभी एक सप्ताह ही हुआ था । वह वापस आ गई थी उसे अपनी भूल का अहसास जल्दी ही हो गया था । मरता क्या न करता उसे घर में रख लिया । उसने रोते हुए बताया था कि वह गलत थी । अनपढ़ गँवार है वह उसकी पहले से ही शादी हो गई थी दो बच्चे भी हैं । उसने सिर्फ़ पैसों के लिए ही उसके साथ आया था ।
जब उसने शादी की बात की थी तो कहने लगा कि तुम अपने साथ जो गहने पैसे लाई हो उनके ख़त्म होते ही तुम अपने घर मैं अपने घर समझ गई ना । कहते हुए हँसने लगा था । अब मधु चुप ही हो गई थी हमारे सामने भी नहीं आती थी । इसी तरह उसे वापस आए हुए एक महीना हो गया था ।
सविता ने कहा कि यह सब तो ठीक है आँटी परंतु उसने आत्महत्या करने की कोशिश क्यों की थी ।
आँटी ने कहा कि वह प्रेगनेंट थी । क्या?
हाँ बेटा एक दिन मैं ऑफिस से आई तो मुझे गले लगाकर रोने लगी बहुत पूछने पर बताया था कि वह माँ बनने वाली है।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे मैं क्या करूँ इस बच्ची का सोचने लगी उस रात नींद नहीं आई । अंकल भी शहर से बाहर गए हुए थे वरना वे कुछ उपाय ज़रूर निकालते थे । रात भर सोचने के बाद मैंने अपनी सहेली से बात की जो कि डॉक्टर थी उसने कहा कि अभी एक महीना ही हुआ है मैं टेबलेट देती हूँ शायद कुछ बात बन जाए ।
मैं सुबह मधु को लेकर डॉक्टर के पास जाना चाह रही थी इसलिए मधु को उठाने गई थी तो देखा उसने एनड्रिन पी लिया था । कहते हुए वे रोने लगी ।
डॉक्टर ने आकर मधु का चेकप किया और बताया था कि वह खतरे से बाहर है।
आँटी ने मेरे हाथ पकड़कर कहा कि तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलूँगी तुमने मेरा साथ दिया है । तुम कहीं जा रही थी शायद नानी के घर जा रही हो । सविता ने सोचा कि अब आँटी मैं आपको कैसे बताऊँ कि आपकी बेटी ने जो गलती की है उसे ही मैं भी दोहराने जा रही थी ।
माँ पापा ऑफिस चले जाते थे और कोई भी भाई बहन ना होने के कारण मैं अकेलापन महसूस करती थी ।
उसी समय हमारे घर के ड्राइवर रमेश से बातचीत हुई वह बहुत अच्छा था । कहीं बाहर जाना भी पड़ता था तो पापा कहते थे कि रमेश के साथ चले जाओ सेफ रहेगा । इस तरह हमारी नज़दीकियाँ बढ़ने लगी और हम एक दूसरे को चाहने लगे थे ।
मुझे मालूम है कि माँ पापा हमारे रिश्ते को कभी नहीं मानेंगे इसलिए आज मैं उसके साथ मिलकर भाग रही थी । ईश्वर की कृपा से आँटी मिल गई और मधु के बारे में जानने के बाद तो वह ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती थी अपने माता-पिता और ख़ानदान की इज़्ज़त पर दाग नहीं लगाना चाहती थी । इसलिए आँटी और मधु से विदा लेकर ऑटो किया और घर की ओर निकल गई थी ।
माता-पिता जो भी कहते हैं वह बच्चों के अच्छे के लिए ही होता है यह बच्चे समझ गए तो शायद गलत कदम उठाने की कोशिश नहीं करेंगे ।
के कामेश्वरी