प्रेम शब्द सुनते ही मन में सकारात्मक अनुभूति का एहसास होता है,,,सृष्टि में जीवन नर्तन के लिए प्रेम का होना परम आवश्यक है,,इसके अभाव में संसार रसहीन हो जाएगा,,सारी खुशियाँ और रौनकें इसी से हैं,,
यह कभी ममता के रूप में,कभी विरह में,कभी आत्मीयजनों की परवाह में,कभी दयाभाव में और कभी प्रियतम के प्यार में अपनी उपस्थिति को दर्शाता है,,,
इसका सबसे लुभावना रूप श्रृंगार रस में दिखाई देता है,,,प्रेम कब,कहाँ,किससे हो जाये,यह प्रेमी खुद भी नहीं जानता,,वो कहते हैं न कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है,,,और जो प्लानिंग के साथ किया जाये वो प्यार नहीं होता,,,
लेकिन इस पर भी समाज ने बहुत सारी बंदिशें लगा रखी है,,,
ठाकुर कृष्णपाल सिंह हमारे गाँव के बहुत ही सज्जन,बुद्धिमान और रसूखदार व्यक्ति थे ,,गाँव के लोग अपनी समस्यायें ले कर उनके पास आते और वो स्वविवेक से उनका निपटारा भी कर दिया करते थे,,
उनकी एक बेटी थी,,नाम था गोमती,,वह ठाकुर साहब का अभिमान थी,,बहुत विश्वास और गर्व था उन्हें बेटी पर ,,
एक दिन उन्हें पता चला कि गोमती माली के बेटे किशन से छुप- छुप कर मिलती है ,,उन्होने जब इस बारे में गोमती से बात की तो उसने डरते-डरते कहा कि वह किशन से बहुत प्यार करती है और उसके बिना नहीं रह सकती,,लेकिन ठाकुर साहब को यह मंजूर नहीं था कि उनकी बेटी किसी दूसरी जाति में विवाह करे
अत:आनन- फ़ानन में उन्होने उसका विवाह अपने मित्र के बेटे के साथ कर दिया,,,चूंकि विवाह जल्दबाजी में हुआ था और वह शहर में रहता था तो ज्यादा खोजबीन भी नहीं की,,,कुछ समय बाद पता चला कि वह तो पहले से ही शादीशुदा है,,उसने भी पिता के डर से यह बात किसी को नहीं बताई थी,,
अब गोमती अपने गाँव आ गई और पिता के साथ रहने लगी,,,एक बार फिर से वह अपने किशन के पास थी,,,एक दिन किशन ने कहा ,” हम कब तक यूँ छुप-छुप कर मिलते रहेंगे क्यों न हम शादी कर लें”,चाहती तो गोमती भी यही थी पर परिणाम से डरती थी,,,
वह बोली,”जानते हो इसकी कीमत हमारी जान भी हो सकती है।”
किशन ने कहा,”अब जो भी हो हम आज ही गाँव से चले जायेंगे और शहर जा कर मंदिर में शादी कर लेंगे,,इसके बाद हम इतनी दूर चले जायेंगे जहाँ हमें कोई भी नहीं ढूँढ पायेगा।”
रात को वो दोनों जीवन के नये सफ़र पर चल पड़े,,,
इधर जब सुबह गोमती नहीं दिखी तो ठाकुर साहब ने खोजबीन की तो पता चला कि रात को उसे किशन के साथ शहर की ओर जाते हुए देखा गया था,,,अब तो उनके क्रोध ने सारी सीमाएं लाँघ दी और उन्होंने चारों ओर अपने आदमी भेज दिये उन्हें जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए,,,लेकिन कई साल बीत गये दोनों का कोई पता न चला,,,
किशन और गोमती अनजानी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे,,,नैनों में प्यार के सपने संजोये,,,ट्रेन बिहार के किसी छोटे से स्टेशन पर रुकी,,उनको लगा कि इतनी दूर उनको कोई ढूंढ़ नहीं पायेगा,,दोनों वहीं उतर गये,,अनजाने देश में,,
देखते-देखते 10साल बीत गये,,इस बीच गोमती 3 बच्चों की माँ बन गई,,किशन ने कुछ दिन एक डॉक्टर के पास काम किया था और वह दवाओं के बारे में जानकारी रखता था,,अपने उसी अनुभव से उसने ग्रामीणों का इलाज़ करना शुरू किया,,अभी तक वहाँ कोई डॉक्टर नहीं था इलाज़ के लिए लोगों को दूसरे गाँव जाना पड़ता था,,उसके आने से सभी लोग खुश थे,,
पर जब भी किशन को अपने परिवार की याद आती,,वह चिड़चिड़ा हो जाता और सारी गुस्सा गोमती और बच्चों पर निकालता,,
ऐसे ही एक दिन दोनों में बहस हो गई और वह गुस्से में घर से निकल गया,,,जब रात तक नहीं लौटा तो गोमती का मन आशंका से भर गया,,थोड़ी देर बाद बाद पता चला कि उसने ट्रेन के नीचे आ कर अपनी जान दे दी,,,
गोमती तो एकदम पागल सी हो गई,,क्या करेगी अब वह,,कैसे पालेगी बच्चों को,,चारों तरफ अंधकार था रोशनी की कोई किरण नज़र नहीं आ रही थी,,
तभी एक दिन माया उसके पास आई वह किन्नर थी,,उसने बहुत तसल्ली दी गोमती को और नर्स का कोर्स करने के लिए कहा क्योंकि गाँव में नर्स कोई थी भी नहीं,,,गोमती ने कहा,”उसके लिए तो 10वीं की मार्कशीट की जरूरत पड़ेगी,वो तो मेरे पास नहीं है और मैं गाँव जा भी नहीं सकती,,
माया ने कहा,”तुम चिंता मत करो,मैं स्कूल से तुम्हारी मार्कशीट निकलवा कर लाऊंगी।”,,,माया अपना काम कर के ही वापस आई,,,
आज गोमती एक सफल नर्स है और माया उसके साथ हरदम साये की तरह रहती है,,उसने गोमती के जीवन की नैया को पार लगाने में केवट का काम किया है।
कमलेश राणा
ग्वालियर