कीमत – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“अब देखो मुझे देखकर तुमने फिर से रोना शुरू कर दिया रोज-रोज मेरे सामने रोने का नाटक मत किया करो नहीं तो मैं आज के बाद तुमसे मिलने नहीं आया करूंगा” अमित अपने बड़े भाई सुमित से बोला तो सुमित दुखी स्वर में अमित से बोला “भाई तुझे मेरा रोना नाटक दिखता है अरे पत्नी गई है मेरी अब उसे याद करके मैं रोऊं  ना तो क्या करूं मेरे आंसुओं को नाटक कह कर मेरा अपमान मत कर?”

          बड़े भाई की बात सुनकर अमित को उस पर तरस आने की बजाय गुस्सा आ रहा था उसका भाई सुमित जिसका कद ६फिट रंग गोरा चिट्टा और   तीखे  नयन नक्श  जिसे अपनी खूबसूरती पर बेहद घमंड था अपने इसी घमंड के कारण वह अपनी पत्नी सुनीता जिसका रंग थोड़ा  सांवला, कद ५ फिट साधारण नयन नक्श थे

और अपने पति से वह बेपनाह प्यार करती थीं उसके हर इशारे पर वह सुबह से शाम तक कठपुतली की तरह नाचा करती थी उसकी पसंद का खाना बनाती अपने सास  ससुर नंनद देवर की सेवा के साथ-साथ घर का हर काम बड़ी सुघड़ता से करती फिर भी वह उसकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करता था।

     बात बात पर हर काम में कमी निकाल कर उसे प्रताड़ित करता जब वह दुखी होती तो वह उससे माफी मांगने की बजाय अकड़ कर यही कहता “जा यहां से कहीं दूर चली जा मुझे अपनी शक्ल मत दिखा”तब पति की बात सुनकर सुनीता दुखी होकर दूसरे कमरे में चली जाती थी

जब अमित अपने भाई का भाभी के प्रति ऐसा दुर्व्यवहार देखता तो उसे बहुत दुख होता था वह सुमित को समझाने का बहुत  बार प्रयास करता था कि वह भाभी के साथ ऐसा व्यवहार ना करें परंतु, सुमित अहंकार के कारण उसकी बातों को समझता नहीं था।

   सुनीता बेहद सरल स्वभाव की स्त्री थी जो अपने पति की गलतियों को माफ करके फिर से उसकी सेवा में लग जाती थी जिसे देखकर सुमित यहीं समझता कि सुनीता सब भूल गई है लेकिन वह कुछ भूलती नहीं थी बस मन ही मन पति की बातों को याद करके घुटती रहती थी

जिसके कारण उसकी भूख प्यास और जीवन जीने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो गई थी उसी दौरान विश्व में कोरोना की ऐसी लहर आई की सुमित और सुनीता दोनों ही उसकी चपेट में आ गए थे।

   तब अमित ने दोनों को एक अस्पताल में कोरोना की वजह से मरीजों की भीड़ होने के कारण दोनों के लिए जगह न होने के कारण अलग-अलग अस्पताल में  भर्ती करवा दिया था।

   जहां पर कुछ दिन जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद सुनीता ने दम तोड़ दिया था और सुमित स्वस्थ होकर अस्पताल से घर आया तो पत्नी को घर में न पाकर वह जब अमित से सवाल पूछने लगा तो अमित ने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया था

जिसे सुनकर सुमित दुखी होकर आंसू बहाने लगा था तब अमित ने उसे समझा बुझा कर चुप करा दिया था उसे खाना खिला कर फिर वह सोने के लिए अपने कमरे में चला गया था।

   अगले दिन अमित जब उसके पास आया तो सुमित फिर उसे देखकर पत्नी को याद करके रोने लगा था तब भाई का भाभी के प्रति किए हुए व्यवहार को याद करके अमित उसके प्रति हमदर्दी दिखाने की बजाय उसे फटकारते हुए बोला”जीते जी तो आपने भाभी की कदर नहीं की बात बात पर उसका अपमान करते थे जिसके कारण वह खाना भी नाम मात्र का खाती थी

आप कभी उससे पूछते थे कि तुमने खाना खाया कि नहीं? कम खाना खाने के कारण और आपका उनके प्रति दुर्व्यवहार के कारण उनकी इम्यूनिटी  इतनी कमजोर हो गई थी कि उनकी जीने की इच्छा खत्म हो गई थी जिससे वह कोरोना से जीत नहीं सकी आज आप मेरे सामने स्वस्थ और तंदुरुस्त बैठे हैं

यह सब भाभी जी की सेवा का ही फल है मैंने तो आपको समझाने का बहुत प्रयास किया था कि भाभी का अपमान मत करो परंतु, अपनी सुंदरता के अहंकार में आपने कभी मेरी बात नहीं मानी

इसलिए मुझे आपका रोना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता बल्कि एक नाटक ही लगता है।”अमित की बात सुनकर सुमित शर्मिंदा हो गया था पश्चाताप के कारण जब वह अमित से माफी मांगने  लगा तो अमित उसे माफ करने की बजाय अपने कमरे में चला गया था। 

      यह हमारे समाज की एक सच्ची घटना है जिसके माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि पति पत्नी को एक दूसरे की इज्जत और सम्मान करना चाहिए न जाने जीवन में कब कैसा मोड़ आ जाए जब जीवन साथी को एक दूसरे से प्रेम मिलता है

तो जीवन जीने की इच्छा बलवती हो जाती है इसके विपरीत अपमान मिलने से ना तो जीवन में आनंद ही आता और ना ही जीवन जीने की इच्छा रहती इसलिए समय रहते ही अपने जीवन साथी की कीमत समझे नहीं तो समय फिर ऐसा सबक सिखाता है कि इंसान के पास रोने के सिवाय कुछ नहीं बचता। 

बीना शर्मा 

#कठपुतली

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