कीमत – नंदिनी

सुबह का समय ,सब अपने अपने काम पर लग चुके थे ,मां नाश्ता बनाने में,पापा चाय सँग पेपर पड़ने में,दादी गेहूं साफ करने में, हम भाई बहन तैयार होकर स्कूल जाने में ।

कल तो रविवार की छुट्टी है माँ से आलूबड़े बनवाएंगे रवि चहक कर अपनी बहन बड़ी बहन रुपाली से बोला आज तो मां ने परवल की सब्जी बनाई है जो पसन्द ही नहीं है कैसे खाऊंगा ये मैं ,रुपाली को भी खास पसन्द नही थी पर वह सब खा लेती थी उसके नखरे कम थे । रवि भूखा रह जायेगा पर जो नही खाना मतलब नहीं खाना , टिफिन अपने दोस्तों को दे देता , मां दादी समझाती भी, सब खाना चाहिए पर वह कहाँ सुनने वाला ये बातें ।

रविवार की सुबह ,गांव की सुबह भी जल्दी होती है और दादी की भी , रवि रुपाली भी खेलकूद में लगे हुए थे , मां आलूबड़े की तैयारी में, ओर दादी तो आज बड़ा मटका भर के दही में से माखन ओर मठ्ठा निकालने में व्यस्त हैं ।

रवि पूछता है इतने सारे दही का क्या होगा दादी , वह बोलतीं हैं माखन निकलेगा और उससे घी बनेगा,बाक़ी मठा बचेगा तो उससे आज सबके पसन्द की कड़ीं बनेगी और बचा हुआ मठा गांव में जो कटाई के लिए परिवार आएं हेना खेत पर ,वो ले जाएंगे ,इतने में रुपाली आवाज देती है tv पर कार्टून शुरू हो गया है, यह सुनकर रवि दौड़ जाता है।

कुछ सम्यपश्चात कुछ बच्चे आतें हैं आवाज देकर पूछते हैं ,मठा भाऔं है का आज, सुनकर रवि तुरंत आता है और हां कहकर चला जाता है , थोड़ी देर बाद कुछ और बच्चे अपने बर्तन लेकर आतें हैं और दादी बारी बारी से उनके बर्तनों को मठ्ठे से भर देतीं हैं, जाने के बाद रवि उत्सुकता से पूछता है दादी आज तो हमारे साथ साथ इन सबके घरों में भी कड़ीं बनेगी हेना, दादी कहती हैं अरे बेटा सबकी किस्मत में रोज का मनपसंद भरपेट खाना नहीं होता , मठे में नमक मिर्च डालकर रोटी के साथ खा लेंगे हो गया खाना ।

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सुनकर रवि सोच में पड़ जाता है ,कहाँ में इतने नखरे करता हूँ ये सब्जी नहीं ,ये पसन्द नहीं, वो खाऊंगा नही तो आज नहीं खाऊंगा

ओर एक ये हैं इनके पास तो  ……

रवि को सोचते हुए देख दादी समझाती हैं बेटा अन्न का सदा सम्मान करना चाहिए ,हमेशा ध्यान रखना कभी तुम्हारी प्लेट में व्यर्थ न हो भोजन ,सब सब्जियां खाना चाहिए हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं तुम तो खुशनसीब हो पसन्द का भोजन मिलता है तुम्हें, पर कभी बिना पसन्द का मिले तो भी व्यर्थ न जाये कोशिश करना और धीरे धीरे खाओगे तो सब अच्छा लगेगा हरि सब्जियां बहुत पोष्टिक होतीं हैं,भोजन की कीमत उनसे पूछो जिन्हें मिलता नहीं ,जो दो वक्त की रोटी के लिए दिन रात पसीना बहाते हैं ।

रवि ने आज से प्रण किया प्लेट में उतना ही खाना लेगा जितना उसे खाना है ओर थोड़ा थोड़ा कम पसन्द वाली सब्जियां दाल भी अब से खायेगा, उसे भोजन की कीमत का अहसास हो गया था ।

नंदिनी

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