कटोरी का लेन- देन तो पड़ोसी का हक है – सविता गोयल   : Moral Stories in Hindi

 “मम्मी बहुत भूख लगी है। जल्दी से खाना डाल दो।” 

“हाँ बेटा अभी लगाती हूँ खाना, बस सब्जी बनने ही वाली है।” 

“क्या सब्जी बना रही हैं आप?” 

“आज तो लौकी बनाई है बेटा।” 

“लौकी!!” लौकी का नाम सुनते ही रोहन ने बुरा सा मुंह बना लिया। 

“और कोई सब्जी घर पर थी ही नहीं और बाजार भी नहीं जा पाई आज” सुषमा को पता था रोहन को लौकी पसंद नहीं है, लेकिन मजबूरी में बनानी पड़ रही थी। 

“रहने दो मम्मी मुझे नहीं खाना है खाना” पैरों को पटकते हुए रोहन कमरे में जाने लगा। 

सुषमा को बहुत बुरा लगा कि भूखे बेटे ने खाना खाने से इंकार कर दिया। तभी पड़ोस वाली कमला आंटी हाथ में कटोरी लिए आ गई। 

सुषमा का मूड खराब था, ऊपर से उनके हाथ में कटोरी देखकर उसे लगा कि वो कुछ मांगने आई हैं। लेकिन उन्होंने टेबल पर कटोरी रखते हुए सुषमा से कहा, “बेटा आज मैंने शाही पनीर बनाया है। चख कर बताना जरूर कैसा बना है।” 

सुषमा को अपनी सोच पर शर्मिंदगी हो रही थी। साथ ही वो खुश थी कि रोहन अब खाना खा लेगा क्योंकि पनीर तो उसका फेवरेट है। 

“थैंक्यू आंटी, आपने तो मेरी प्राब्लम सोल्व कर दी।” 

“वो कैसे!” कमला आंटी ने आश्चर्य से पूछा। 

“आंटी आज मैंने लौकी बनाई है, इसलिए रोहन खाना खाने से इंकार कर रहा था| लेकिन अब शायद वो खाना खा लेगा।” 

“बेटा हम पड़ोसी हैं, परिवार तो दूर होता है लेकिन सबसे पहले पड़ोसी ही एक दूसरे के काम आते हैं। फिर कटोरी का लेन देन तो पड़ोसियों का हक होता है” मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा। सुषमा अभी दो महीने पहले ही इस मोहल्ले में शिफ्ट हुई थी। वो पहले जहाँ रहती थी वहाँ के पड़ोसी का अनुभव कुछ अच्छा नहीं था।

इसलिए वो यहाँ भी अपने पड़ोसियों से ज्यादा मेलजोल नहीं रखना चाहती थी। लेकिन कमला आंटी से मिलने के बाद सुषमा का नजरिया ही बदल गया। अब जब कभी सुषमा कोई नई चीज बनाती तो कमला आंटी के यहाँ जरूर भेजती। 

कुछ दिनों के लिए सुषमा की माँ उसके पास रहने के लिए आई थी। इस बीच सुषमा ने कई बार कमला आंटी के घर कुछ कुछ बनाकर भेजा लेकिन कमला आंटी के यहाँ से कुछ भी नहीं आया। ये देखकर सुषमा की माँ ने सुषमा से कहा, “बेटा तुम क्यों रोज रोज चीजें बनाकर कमला के यहाँ भेजती हो। वो तो कभी नहीं भेजती। किसी को ज्यादा सर पर चढ़ाना भी अच्छा नहीं है।” 

माँ की बात सुनकर सुषमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “माँ वो बहुत अच्छी हैं।” 

लेकिन सुषमा की माँ को यकीन नहीं हुआ। एक दिन सुषमा को अपनी बुआ सास के यहाँ जाना था। वो रोहन को अपनी माँ के पास छोड़कर चली गई। अचानक ही सुषमा की माँ का ब्लड प्रेशर बढ़ गया और वो बेहोश हो गई। रोहन घबरा गया और भाग कर कमला आंटी को बुला कर ले आया।

कमला आंटी ने जल्दी से उन्हें उठाया। इतनी देर में कमला आंटी के हसबैंड डाक्टर को बुला कर ले आए। कई देर में उनको होश आया। कमला आंटी ने फटाफट उनके लिए खाना बना दिया और उनको दवा भी दी। सुषमा को पता चलते ही वो टैक्सी करके वापस आ गई। 

सुषमा की माँ कमला के बारे में अपनी सोच पर बहुत शर्मिंदा थी। अब उन्हें समझ में आ गया था कि अच्छे पड़ोसी सचमुच फरिश्ता होते हैं और कटोरीयों के लेन देन से प्यार भी बढ़ता है। 

दोस्तों, हमारे आसपास भी कई ऐसे लोग रहते हैं, कोई अच्छा तो कोई बुरा। आपके पड़ोसियों का अनुभव कैसा है जरूर बताएं। 

    धन्यवाद                               सविता गोयल 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!